पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४४६

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मालाली २७३७ मालीदा मालाली-संशा स्त्री० [सं०] पृक्का । असबरग। मालियत-संज्ञा स्त्री० [अ० ] (1) कीमत । मूल्य । (२) संपत्ति । मालावती-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक संकर रागिनी का नाम जो! धन । (३) मूल्यवान् पदार्थ । कीमती चीज़ । पंचम, हम्मीर, नट और कामोद के संयोग से बनती है। मालिया-संज्ञा पुं० [ देश० ] मोटे रस्सों में दी जानेवाली एक कुछ लोग इसे मेघ राग की पुत्रवधू भी मानते हैं। प्रकार की गाँठ जिसका व्यवहार जहाज के पाल बाँधने में मालिंघ-संज्ञा पुं॰ [सं०] एक प्राचीन पर्वत का नाम । होता है। ( लश.) मालिक-संज्ञा पुं॰ [सं०] (1) माली । (२) एक प्रकार की मालिवान:-सं० पुं० दे. "माल्यावान्"। चिदिया। (३) रजक । धोबी।। मालिश-संशा स्त्री० [फा०] मलने का भाव वा किया । मलाई। संशा पुं० [अ०] [सी० मालिका ] (१) ईश्वर । अधियति । मईन । उ-माया जीव अझ अनुमाना। मानत ही मालिक : माली-संज्ञा पुं० [सं० मालिन्, प्रा. मालिय] [श्री. मालिनि, बौराना ।—कबीर । (२) स्वामी । (३) पति । शौहर ।। मालिन, मालन, मालिनी ] (1) बाग को सौंचने और पौधों मालिका-संशा बी० [सं०] (१) पंक्ति। (२) माला । (३) को ठीक स्थान पर लगानेवाला पुरुष । वह जो पौधों को गले में पहनने के एक आभूपण का नाम । (४) पक्के मकान लगाने और उनकी रक्षा करने की विद्या जानता और इसी के ऊपर का स्वंद्ध । रावटी। (५) द्राक्षा मद्य । अंगूर की का व्यवसाय करता हो। उ०—पुलक बाटिका बाग बन शराब । (६) मद्य । (७) पुत्री। (6) चमेली। चंद्रमल्लिका। सुम्ब सुविहंग बिहारु । माली सुमन सनेह जल सींचत (९) अलसी । (१०) भालिन । (११) मुरा । (१२) लोचन चारु।—तुलसी (२) एक छोटी जाति का नाम । सप्तला । सातला। इस जाति के लोग बागों में फल और फल के वृक्ष लगाते, मालिकाना-संक्षा पुं० [फा०] (1) वह कर, दस्तूरी वा हक जो . उनकी कलमं काटते, फूलों को चुनते और उनकी मालाएँ मालिक-अदना बा कम्जेदार सालिक ताल्लुकेदार को देते । बनाते और फूल तथा माला बेचते हैं। इस जाति को लोग हैं। (२) स्वामी का अधिकार या स्वस्य । मिलकियत । शूद्र वर्ण के अंतर्गत माने जाते है। इनके हाथ का छूआ स्वाभिव। जल बाह्मण-क्षनियादि पीते हैं। कि० वि० गालिक की भाँति । मालिक की तरह । जैसे, वि० [सं० मालिन् ] [स्त्री०मालिनी ] जो माला धारण किए मालिकाना तौर पर । हो । माला पहने हुए। मालिकी-संशा स्त्री० [फा० मालिक+ई (प्रत्य॰) । (१) मालिक होने संज्ञा पुं०(१) वाल्मीकीय रामायण के अनुसार सुकेश राक्षस का भाव । (२) मालिक का स्वत्व । का पुत्र जो माल्यवान् और सुमाली का भाई था। (२) मालिनी-संश स्त्री० [सं०] (1) मालिन । (२) चंपा नगरी का : राजीवगण नामक छंद का दूसरा नाम । एक नाम । (३) स्कंद की सात माताओं में से (जिन्हें , वि० [फा०, अ. माल से ] माल से संबंध रखनेवाला। मातृकाएँ कहते है) एक माता का नाम । (४) गौरी । आर्थिक । धन संबंधी । जैसे,—आज कल उपकी माली (५) एक नदी का नाप जो हिमालय पर्वत में है। पुराणा हालत खराब है। मुग्मार इसी के तट पर भेनका के गर्भ से शकुंतला का जन्म माली गौड़-संज्ञा पुं० दे० "मालव गौड़"। हुआ था । (६) मंदाकिनी। गंगा। (७) कलियारी। मालीद-संशा पुं० [अ० मालिपटेना ? | एक धान का नाम जो करियारी । (८) दुरालभा। जवासा । (९) एक वर्णिक चाँदी की भाँति उज्वल और चमकदार पर चांदी से अधिक वृत्त का नाम । इसके प्रत्येक पाद में १५ अक्षर होते हैं कड़ी होती है और बहुत तेज आंच में गलती है । इसका जिनमें पहले छः वर्ण, दसवाँ और तेरहवाँ अक्षर लघु और . अटवी भार ९६ होता है। इसका क्रोमियम, टंगस्टेन और शेष गुरु होते हैं ( न न भ य य )। जैसे,-'अतुलित , यूरेनियम से रासायनिक संबंध है और उनके सदृश ही बलधाम स्वर्णशैलाभदेहं' वा 'दसरथ सुत द्वैषी रुद्र ब्रह्मा न इससे श्यम्लजित् बनता और शार के गुणों को धारण करता भासै'। इसे कोई कोई मात्रिक भी मानते हैं। (१०) मदिरा है। यह मल्फेट के रूप में मिलता है। नाम की एक वृत्ति का नाम । (१) महाभारत के अनुसार . मालीदा-संज्ञा पुं० [फा०] (१) मलीदा। चूरमा । (२) एक एक राक्षसी का नाम । (१२) मार्कंडेय पुराण के अनुसार . प्रकार का ऊनी कपड़ा जो बहुत कोमल और गरम होता है। रौख्य मनु की माता का नाम । यह काश्मीर और अमृतसर आदि स्थानों में बनता है। मालिन्य-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मलीनता । मैलापन। (२) । उनी पादर को लेकर गरम पानी में खूब मलते हैं जिससे अंधकार धेरा । उसके रोएँ बहुत गाढ़े और मुलायम हो जाते हैं। मालीदे मालिमंडन-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक राजा का नाम ।। की गिनती बदिपा ऊनी कपड़ों में होती है।