पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४३४

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माप २७२५ मामला वय, कर्म और विद्या । अर्थात् धन-संपत्ति, संबंध, अवस्था, क्रि० प्र०---आना । —पड़ना ।—होना । कार्य और योग्यता इन पाँच कारणों से मनुष्य का आदर (२) योग्य । किया जाता है। माफिकत-संज्ञा स्त्री० दे. 'माफकत' । माप-संज्ञा स्त्री० [हिं० मापना ] (1) मापने की क्रिया या भाव । ! माफी-संज्ञा स्त्री० [अ०] () क्षमा । नाप। महा.---माफी चाहना वा मांगना-क्षमा मांगना । माफ किए यौo-माप तौल जाँच । जाने के लिये प्रार्थना करना । (२) वह मान जिससे कोई पदार्थ मापा जाय । अहँडा । (२) बह भूमि जिसका कर सरकार से माफ हो। बाध । मान । (३) परिमाण । यौ०-माफीदार-माफी का भूमि का मालिक । जिसकी भूमि की मापक-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मान । माप । अहँडा । पैमाना। मालगुजारी सरकार ने माफ की हो। (२) वह जिससे कुछ मापा जाय । मापने की चीज़ । (३) (३) वह भूमि जो किसी को बिना कर के दी गई हो। वह जो मापता हो। क्रि० प्र०—देना ।-पाना ।—मिलना । मापना-क्रि० स० [सं० मापन ] (1) किसी पदार्थ के विस्तार, ! माम* -संज्ञा पुं० [सं० माम् ] (1) ममता। अहंकार । उ०- आयत वा वर्गव और धनरव का किसी नियत मान से रहहु सँभारे रान विचार कहत अहो जो पुकारे हो। मूंग परिमाण करना । नापना । जैसे-अंगुल के मान से किसी मुदाय फूलिकै बैठे मुद्रा पहिर मंजूसा हो। ताहि उपर पटरी की लंबाई और चौड़ाई का मान निकालना कि इसकी कछु छार लपेटे भितर भितर घर मूसा हो। गाउँ बसत लंबाई इतने अंगुल वा चौदाई इतने अंगुल है। किसी कोठरी है गर्व भारती माम काम हंकास हो। मोहनि जहाँ तहाँ के वर्गव का मान करना कि वह इतने वर्ग गज की है। लै जैहै नाहीं रहे तुम्हारा हो।-कार । (२) शक्ति । उ.---(क) कहि धौं शुक्र कहा धौं कीजै आपुन भए । अधिकार । इख्तियार । भिखारी । जै जैकार भयो भुव मापत तीन र भह मारी। मामता-संज्ञा स्त्री० [सं० ममता ] (1) अपनापन । रमीयता । ......सूर । (ख) बावन को पद लोकन मापि ज्या बावन के वधु (२) प्रेम । मुहब्बत । अनुराग । माह सिधायो। केशव । (ग) इसन लगी सहचरि सबै मामरी-संज्ञा स्त्री० [ देश. ] एक प्रकार का पेब जो हिमालय की देहि नयन दुराह । मानो मापति लोपननि कर परसनि तराई में रावी नदी म्ये पूर्व की ओर तथा दाम और मध्य फलाह । ---गुमान । (२) किसी मान वा पैमाने में भरकर भारत में होता है। की करी बहुत मज़बृत्त और वव वा चूर्ण वा अनादि पदार्थों का नापना । जैसे, दूध : चिकनी होती है, जिस पर रोगन करने से बहुत अच्छी मापना, चूना मापना । (३) पदार्थ के परिमाण को जानने . चमक आती है। इसकी लकड़ी से मेज़, कुरसी, आलमारी के लिए कोई क्रिया करना । नापना। आदि आरामशी चीजें बनाई जाती है। इसकी छाल ओषधि कि० अ० [सं० मत्त ] मतवाला होना । उ०—(क) नयन : के काम में आती है और जब मार के काटने की ओषधि है। सजल तन थर थर काँपी । माजहि ग्वाह मीन जनु मापी। यह बीजों से उगता है। इसे धौरी और रूही भी कहते हैं। तुलसी । (ख) तलफत विषम मोह मन मापा । माँजा मामलत, मामलति-संज्ञा स्त्री० [अ० मुआमिलत] (1) मनहु मीन कहँ व्यापा-तुलसी।। मामिला। व्यवहार की बात (२) विवादास्पद विषय । माफ-वि० [अ० ] जो क्षमा कर दिया गया हो। क्षमित । उ०-वही जो मामिस्त पहले चुकाई। करी सो जाह तेरे मुहा०-माफ करना क्षमा करना । उ०—(क) प्रभु जू में हाथ भाई। सूदन । ऐसो अमल कमायो । साविक जमा हुती जो जोरी मीर्जा मामला-संज्ञा पुं० [ 10 मुआमिला ] (१) व्यापार | काम। धा। कुल तल लायो।" ............"बड़ो तुम्हार बरामदएको उच्चमा लिग्वि कोन्हों है साफ । सूरदास को वह मुहासिवा दस्तक मुहा०-मामला बनाना काम माधना । कीजो माफ । -सूर । (ख) खलनि को योग जहाँ नाज ही में (२) पारस्परिक व्यवहार । जैसे, लेन-देन, क्रय-विक्रय देखियतु माफ करिवही माहँ होत कर नाशु है।-गुमान। इत्यादि। (३) व्यावहारिक, व्यापारिक वा विवादास्पद माफकत-संशा स्त्री० [अ०] (1) मुभाफिक होने का भाव । विषय । ___ अनुकूलता । (२) मेल | मैत्री। मुहा०-मामला करना=(१) बात चीत करना । बात पक्की यौo-मेल-माफफस । करना । (२) पारस्परिक वैषम्य दूर करके निश्चयपूर्वक कुछ माफल-संज्ञा पुं० [१] एक प्रकार का खानीयू । निर्धारण करना । फैसला करना । मारला बनाना काम ठीक माफिका-वि० [अ० मुआफिक ] (1) अनुकूल । अनुसार। करना । बात पक्की करना । ६८२