पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४२७

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माथुर २७१८ माधष जैम,-क्या तुम्हारे माथे टीका है जो सुम्हीं को पत्र चीजें संज्ञा पुं० (१) प्राचीन काल का एक प्रकार का अखा जिसके दे दी जायँ ? माथे पड़ना- उत्तरदायित्व आ पडना । ऊपर भार विषय में यह प्रसिद्ध है कि उसके प्रयोग मे शत्रु में प्रमाद आ पला । जैसे,—वह तो खिसक गए; अन्य सय काम हमारे उत्पन होता था। (२) वह चीज़ जिसके खाने से नशा हो। माथे आ पड़ा। माथे पर सदना-दे० "सिर पर चढ़ना' । नशा उत्पन्न करनेवाला पदार्थ। जैसे. अफीम, भांग, माथे पर बल पड़ना-आकृति में काथ, दुःख या असंताप आदि . शराब आदि। (३) एक प्रकार का हिरन । का वह्न प्रकट होना। शक्ल से नाराजगी जाहिर होना । जैसे,- मादकता-संज्ञा स्त्री० [सं०] मादक होने का भाव । नशीलापन । रुपए की बात सुनते ही उनके माथे पर बल पड़ गए। 30-कनक कनक तं सौगुनो मादकता अधिकाय। वह माय भाग होना भाग्यवान् होना। तकदीरवर होना । माथं खाए बारात है, यह पाए बौराय । सदनागले बांधना । गले भदना । जबरदस्ती देना ।* मार्थ मादन-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) लौंग। (२) मदन वृक्ष । (३) मानना=शिरोधार्य करना। सादर स्वीकार करना । उ.-(क) कामदेव । (४) धतूरा । कह रविसुत मम कारज होई। माथे मानि करव हा 'मादनी-मज्ञा स्त्री० [सं०] भाँग । सोई-सबलसिंह । (ख) सूरदास प्रभु के जिय मात्र मादनीय-वि० [सं० मादकता उत्पन्न करनेवाला । मादक । आयसु माथे मानि ।—सूर । माथे मारना बहुत है। उपेक्षा नशीला। या तिरस्कार पूर्वक किमी का कुछ देना बहुत तुच्छ भाव में देन। 1 ! मादर-संशा स्त्री० [फा० मि० सं० मातृ माँ । माता। जननी। जन्म, वह रोज़ तगादा करता है; उपकी किताब उसके। मादरजाद-वि० [0] (1) जन्म का पैदाइशी। जैसे, माथ मारो। मादरज़ाद अंधा । (२) एक माँ से उत्पन्न । सहोदर । यौ०-माथा-पच्ची या माया-पिष्टन -बहुत अधिक बकना या (भाई) (३) जैगा माँ के पेट से निकला था, वैसा ही। समझाना । मिर खपाना । मगज-पच्ची करना । बिलकुल नंगा। दिगंबर । (२) वह चित्र आदि जिसमें मुग्ख और मस्तफ की आकृति मादरिया-संज्ञा स्त्री० दे० "मादर"। उ०-सासु ननदि मिलि बना हो। (लश.) (३) किसी पदार्थ का अगला या | अदल चलाई । मादरिया घर बेटी आई।--कबीर । ऊपरी भाग। जैसे, नाव का माथा, अलमारी का माथा। मादा-संस स्त्री० [फा०] स्त्री जाति का प्राणी । नर का उलटा । मुहा०—माथा मारना-जहाज का वायु के विपरीत इस प्रकार जैसे,—(क) साँड की मादा गाय कहलाती है। (ख) इस जोर मारकर चलना कि मस्तूल, पाल तथा ऊपरी भागों पर बहुत कवृतर की मादा कहीं खो गई है। जार पर। विशेष-इस शब्द का व्यवहार बहुधा जीव-जंतुओं के लिए (४) यात्रा । सफर । खेप । (लश.) ही होता है। संज्ञा पु० [ देश० ] एक प्रकार का रेशमी कपका । मादिक -वि. दे. "मादक"। माथुर-सा पुं० [सं०] [स्त्री. माथुरानी ] (8) मधुरा का मादिकता*-संज्ञा स्त्री० दे० "मादकता"। निवासी । वह जो मधुरा का रहनेवाला हो। (२) प्राह्मणों मादिना-संज्ञा स्त्री. दे. "मादा"। को एक जाति । चौबे। (३) कायस्थों की एक जाति । मादी-संशा स्त्री० दे० "मादा"। (४) वैश्यों की जाति । (५) मथुरा प्रांस । मादीन-संशा स्त्री० दे० "मावा"। वि० मथुरा संबंधी । मथुरा का। माहा-सा पुं० [अ०) (1) वह मूल तख जिससे कोई पदार्थ मार्थ-कि० वि० [हिं० माथा ] (1) माथे पर । मस्तक पर । सिर । बना हो। (२) शब्द की व्युत्पत्ति । शग्न का मूल । (३) पर। उ-नागरि गृजरि ठगि लीनो मेरो लाल गोरोचन योग्यता । जैसे,—आप में यह बात समझने का मादा ही को तिल्क माथं मोहनी । हरिदास । (२) भरो।। नहीं है। (४) मवाद । पीत्र । पहार पर। उ०—सो जनु हमरे माथे कादा। दिन चलि माद्रवती-सं: । स्त्री० [सं०] राजा परीक्षित की स्त्री का नाम । गपउ म्याज बहु बाड़ा।-तुलसी। माद्रिसुत-संभा पुं० [सं०] नकुल और सहदेव ।। माध - वि० दे. "माथे"। | माद्री-संवा स्त्री० [सं०] (1) पांडु राजा की रक्षी और नकुल माद-सज्ञा पुं० [सं०] (1) अभिमान । शेखी । घमंड। (२) तथा महदेव की मासा जो मद्र के राजा को कम्या थी। हर्ष । प्रसन्नता । (३) मत्तता । मस्ती। राजा पादु के मरने पर यह उनके साथ सती हुई मी। (२) संज्ञा पं. { देश० ] छोटा रस्मा । (लश०) अतिविषा । अतीस। मादक-वि० सं०] नशा उत्पम करनेवाला । जिसमे नशा हो। माद्य-संज्ञा पुं० [सं०] माद्री के पुत्र नकुल और सहदेव । नकाला। !माधव-संज्ञा पुं० [सं०] (6) विष्णु भगवान् । नारायण । (३)