पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४०७

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महारागी २६९८ महावस हैं। वैद्य लोग ऐसे रोगों की चिकित्सा करने से पहले रोगी महालोक-संशा पुं० दे० "महर्लोक"। से प्रायश्चित आदि कराते है। महालोध्र-संशा पुं० [सं०] पठानी सोध । महारोगी-संज्ञा पुं० [सं० महारोगिन् ] जिसे कोई महारोग हो। । महालोभ-संज्ञा पुं० [सं०] कौआ। महारौद्र-संज्ञा पुं० [सं०] (1) शिव । (२) २२ मात्राओं के महालोल-संज्ञा पुं० [सं०] कौआ। छंदों की संज्ञा। महावक्ष-संशा पुं० [सं० महावक्षस् ] महादेव । महागैद्री-संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा । महावट-संज्ञा स्त्री० [हिं० माह माघ+वट (प्रत्य) 1 पूस भाष महारौरव-संज्ञा पुं० [सं० (1) पुराणानुसार एक नरक का की वर्षा । बह वर्षा जो जाड़े में हो। जाड़े की झड़ी। माम । कहते है कि जो लोग देवताओं का धन दुराते या उ....पैठी हो सरदी रग रग में और बर्फ निकलता हो गुरु की पत्नी के माय गमन करते हैं, वे इस नरक में भेजे पत्थर । म बाँध महावट पड़ती हो और तिस पर लहरें जाते हैं। (२) एक प्रकार का साम । ले लेकर । समाटा पाव का चलता हो तब देव बहारें जारे महाघ-वि० [सं०] (1) बहुमूल्य । बड़े मोल का। (२) की।-नज़ीर । जिसका मूल्य ठीक से अधिक हो । मँहगा। महावत-संज्ञा पुं० [सं० महामात्र] हाथी होकनेवाला । फीलवान । संज्ञा पुं० महा सोमलता। हाथीवान । उ.--(क) हलै इते पर मैन महावत नाज के महायता-संज्ञा स्त्री० [सं०] महार्य होने का भाव । महँगी। आंदू परे जउ पाइन ।-पनाकर । (ख) द्वार कुवलया गज महाय-वि० दे० "महार्घ"। ठढ़ियावा । अयुत नाग बल तासें पाया । कहेसि महावत ते महार्णध-संशा पुं० [सं०] (1) बहुत बड़ा समुद्र । महासागर । गोहराई। प्रविशत से हार छपवाई।—विश्राम । (२) शिव । (३) पुराणानुसार एक दैत्य जिग्मे भगवान् ने महावतारी-संशा पुं० [सं० महावतारिन् ] २५ मात्राओं के छंदों कूर्म अवतार में अपने दाहिने पैर से उत्पन्न किया था। की संज्ञा । महार्थ-संज्ञा पुं० [सं०] एक दानव का नाम । महावध-संज्ञा पुं० [सं०] वन । महाक-संज्ञा पुं० [सं०] (1) जंगली अदरक । (२) मोठ। : महावर-संज्ञा पुं० [सं० महावर्ण ? 1 लाख से बना हुआ एक प्रकार महार्षद-संशा पुं० [सं०] सौ करोड़ या दस अर्बुद की संख्या। का लाल रंग जिससे सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पांवों को महाह-संज्ञा पुं० [सं०] सफेद चंदन । चित्रित कराती हैं। यावक । उ०—(क) पलन पीक अंजन वि० दे० "महा"। अधर धरे महावर भाल। आज मिले सु भलो करी भले महाल-संज्ञा पुं० [अ० महल का बहु० २० ) (1) वह स्थान जहाँ बने हौ लाल-विहारी। (ख) आई हो पायें दिवाय बहुत से बड़े मकान हों । मुहल्ला । टोला। पुरा । पाहा । महावर कुजन तं करि कै सुख सेनी ।—मतिराम । (ग) (२) बंदोबस्त के काम के लिए किया हुआ ज़मीन का काह दियो लाख रस सोई। जासों तुरत महावर होई। एक विभाग, जिसमें कई गाँव होते हैं। (२) भाग । पट्टी। -लक्ष्मणसिंह। हिस्सा । उ.---कैयौं रसाल के ताल फले कुछ दोऊ महाल महावरा-संशा स्त्री० [सं०] दूब । जगीर अनंग के। संवा पुं० दे. "मुहावरा"। महालक्ष्मी-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) लक्ष्मी देवी की एक मूर्ति का महापराह-संशा पुं० [ सं . ] भगवान् का वराह अवतार । नाम । (२) पुराणानुसार नारायण की एक शक्ति का नाम । महावरी-संज्ञा पुं० [हिं० महावर] महावर की बनी हुई गोली या (३) एफ वर्णिक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तीन रगण होते टिकिया जिससे स्त्रियों के पैर चित्रित किए जाते हैं। उ०- है। उ०-(क) रात्रि चौसो रहे कामिनी। पीव की जो मनो (क) पाय महावर देन को नाइन बैठी आय । फिरि फिरि गामिनी । भाषती बोल बोले अमी। जानिये सो महालक्ष्मी। जानि महावरी एंबी मीडति जाय।-बिहारी । (ख) छैल (ख) राधिका वल्लभ गाइले। चित्रनी से पाइ ले। छबीली का छवा लहि महावरी संग। जानि पर नाइन लगै महालय-संश पुं० [सं०] (1) कुँआर का कृष्णपक्ष जिसमें जबहि निचोरन रंग।-रामसहाय । पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध आदि किया जाता है। महावरेदार-वि० दे० "मुहावरेदार" 1 30-कमिटी ने सिफा- पितृपक्ष । (२) तीर्थ । (३) पुराणानुसार एक तीर्थ का रिश की कि नंबर १ का तरजमा बहुत महावरेदार देशी नाम (५) नारायण । भाषा में किया जाय । सरस्वती। महालया-संहा स्त्री० [सं०] आश्विन कृष्णा आवास्या, जिस दिन महाधरोह-संशा पुं० [सं०] पलाश । पितृ विसर्जन होता है । पितृपक्ष की अंतिम तिमि । महावल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं०] माधवी लता । महालिंग-संज्ञा पुं० [सं०] महादेव । | महावस-संशा पुं० [सं०] मगर नामक जल-जंतु ।