पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३९

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फेरना २३३२ फेरष भी उसने उसे दक्खिन की ओर फेर दिया। 30--(क): विहग दुम डारन रूप निहारत पलक न प्रेरत । मगन मैं ममता मन मारि ले घट ही माहीं घेर । जब ही चाल । नबरत निरखि कर कमलन सुभग सरासन सायक फेरत । पीठ आँकुसदेई फेर ।—कबीर । (ख) लोभ, मोह, --तुलसी। मद, कोध बोधरिपु फिरत रन दिन धेरे। तिनहिं मिले संयो० कि०-देना ।-लेना। मन भयो कुपथ स्त फिरै तिहारे फेरे ।-सुलसी । (ग) मुहा०—हाथ फेरना=(१) स्पर्श करना । इधर उधर छूना । सीय सनेह सकुच बस पिय तन हेर । सुस्ता रुख सुरवेलि (२) प्यार मे हाथ रखना । मुहलाना । जैसे, पीठ पर पधन जनु फेरह । -तुलसी। हाथ फेरना । (३) हथियाना । ले लेना । हजम करना । संयोगक्रि—देना ।—लेना । उड़ा लेना । जैसे, पराये माल पर हाथ फेरना। (२) पीछे चलाना । जिधर ये आता हो उसी ओर भेजना (6) पोतना । तह चढ़ाना । लेप करना । जैसे, कलाई या चलाना । लौटाना । वापस करना। पलटाना । जैसे, फेरना, रंग फेरना, चूना फेरना। वह सुम्हारे यहाँ जा रहा था, मैंने रास्ते ही से फेर दिया। मुहा०-पानी फेरना-धो देना । रंग बिगाड़ना । नष्ट करना । उ.-जे जे आए हुते यज्ञ में परि तिनको फेरन ।-सूर । (९) एक ही स्थान पर स्थिति बदलना। सामना दूसरी संयो०क्रि०-देना। तरफ़ करना। पाश्र्व परिवर्तित करना । जैसे,—(क) उसे उस (३) जिसके पास से (कोई पदार्थ) आया हो उसी के पास करवट फेर दो। (ख) वह मुझे देखते ही मुँह फेर लेता है। पुनः भेजना । जिसने दिया हो उसी को फिर देना। संयो० क्रि०-देना।-लेना। लौटाना । वापस करना । जैसे,—(क) जो कुछ मैंने सुम से (१०) स्थान वा क्रम बदलना । उलट पलट या लिया है सब फेर दूंगा । (ख) यह कपड़ा अच्छा नहीं है, : इधर उधर करना। नीचे का ऊपर या इधर का उधर फान पर फेर आगो। (ग) उनके यहाँ से जो न्योता । करना । जैसे, पान फेरना । (11) पलटना । और आवेगा वह फेर दिया जायगा। 30-दियो सो सीस : का और करना । बदलना । भिन्न करना । विपरीत घायले आछी भाँति अएरि । जापै चाहत सुख लयो ताके , करना । विरुद्ध करना । जैसे, मति फेरना, चित्त फेरना। दुखहि न फेर ।-बिहारी । उ.--(क) फेरे भेख रहै भा तपा । धूरि लपेटे मानिक- संयो०शि०-देना। छपा ।जायसी । (ख) सारद प्रेरि तासु मति फेरी । (४) जिसे दिया था उससे फिर ले लेना । एक बार देकर . माँगेसि नींद मास पट केरी।-सुलसी । (१२) माँजना । फिर अपने पास रख लेना । धापस लेना । लौटा लेना। ! बार बार दोहराना । अभ्यस्त करना । उद्धरणी करना । जैसे,—(क) अय दूकानदार कपड़ा नहीं फेरेगा । (ख) एक जैसे, पाठ फेरना । (१३) चारों और सब के सामने ले बार चीज देकर फेरते हो। जाना । सब के सामने ले जाकर रखना । घुमाना । जैसे, संयो० क्रि०-लेना। जनवासे में पान फेरना। उ०-फेरे पान फिरा सब कोई । (५) चारों ओर चलाना। मंडलाकार गति देना । चकर, लागा म्याहचार सब होई।जायसी । (१४) प्रचारित देना । धुमाना । भ्रमण कराना । जैसे, मुगदर फेरना, पटा : करना । घोषित करना । जैसे, डौंडी फेरना । (१५) चला- फेरना, बनेठी फेरना। कर 'चाल ठीक करना । घोड़े आदि को ठीक चलने की शिक्षा मुहा०-माला फेरना=(१) एक एक गुरिया या दाना हाथ से देना । चाल चलाना । निकालना । जैसे,—वह सवार बहुत खिसकाते हुए माला को चारी और घुमाना । माला जपना। अच्छा घोड़ा फेरता है। उ०-फेरहि चतुर तुरंग गति (एक एक दाने पर हाथ रखते हुए ईश्वर या किमी देवता का नाना ।--तुलसी। नाम या मंत्र कहते जाते है जिससे नाम या मंत्र की संख्या फेर-पलटा-संज्ञा पुं० [हिं० फेर+पलटा ] गौना । द्विरागमन । निर्दिष्ट होती जाती है)। उ०—कषिरा माला काठ की बहुत फेरफार-संज्ञा पुं० [हिं० फेर] (1) परिवर्तन । उलट फेर । जतन का फेरू । माला फेरो सांस की जामें गाँठ न मेरु । उलट पलट । जैसे,—इसमें इधर बहुत फेरफार हुआ है। -कबीर । (२) बार बार नाम लेना। रट लगाना । धुन लगाना। (२) अंतर । बीच। फर्क। (३) टालमटूल । बहाना । जैसे,-दिन रात इसी की माला फेरा करो। उ०-भानु सो पढ़न हनुमान गयो भानु मन अनुमानि (६) ऐंठना । मरोड़ना । जैसे,-पेच को उधर फेरो।। सिसकेलि कियो फेरफार सो। तुलसी । (४) बुमाव (७) यहाँ से वहाँ तक स्पर्श कराना । किसी वस्तु पर। फिराव । पेच । चकर जैसे, फेरफार की बात। . धीरे से रख कर इधर उधर ले जाना । छुलाना या रखना। फेरव-वि० [सं०] (1) धूर्त । चालबाज । (२) हिंन । दुःख जैसे, घोड़े की पीठ पर हाथ फेरना । उ.-अवनि कुरंग, . पहुँचानेवाला।