पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३४३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मदकची २६३४ मदनपति पदार्थ जो अफीम के सत में यारीक कतरा हुआ पान पकाने | मददगार-वि० [फा०] सहायता देनेवाला । मदद करनेवाला । से बनता है। पीनेवाले इसकी छोटी छोटी गोलियों को सहायक। चिलम पर रखकर समाखू की भाँति पीते हैं। | मदधार-संशा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार एक पर्वत यो०-मदकची या मदकबाज-मदक पानेवाला । का नाम। मदकची-वि० [हिं० मदक+ची (प्रत्य॰)] जो मदक पीता हो। मदन-संज्ञा पुं॰ [सं०] (१) कामदेव (२) काम फ्रीड़ा । (३) मदक पीनेवाला। कामशास्त्र के अनुसार एक प्रकार का आलिंगन जिसमें मदकट-संज्ञा पुं० [सं० ] माँद । नायक अपना एक हाथ नायिका के गले में डालकर और मदकमद्रम-संज्ञा पुं० सं०] ताद का पेड़ । दूसरा हाथ मध्यदेश में लगाकर उसका आलिंगन करता है। मदकर-वि० [सं०] मदव फ।मदकारक । जिससे मद उत्पन्न हो। (४) मैनफल नामक वृक्ष और उसका फल । (५) धतूरा संज्ञा पुं० धसूरा। (६) खैर । (७) मौलग्पिरी । (6) भ्रमर । (९) मोम । मदकल-वि० [सं०] (१)मसामतवाला । (२) बावला । पागल। (१०) अखरोट का वृक्ष ।(११) महादेव के चार प्रधान अव- मवकी-वि० [हिं० मदक+ई (प्रत्य॰) मदक पीनेवाला । सदकची। तारों में से तीसरे अवतार का नाम । (१२) मैना पक्षी । मदकृत्-वि० [सं०] उन्मादजनक । मादक । सारिका । (१३) ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म से सप्तम मदकोहल-संज्ञा पुं० [सं०] साँड़। गृह का नाम । (१४) एक प्रकार का गीत । (१५) प्रेम । मदग्वला-संशा स्त्री० [अ० ] वह स्त्री जिसे कोई बिना विवाह (१६) रूपमाल छंद का दूसरा नाम । (१७) छप्पय के एक किए ही रख ले वा घर में डाल ले । गृहीता । रखनी। भेद का नाम । (१०) खंजन पक्षी। सुरैतिन । मदनकंटक-संज्ञा पुं० [सं०] साविक रोमांच । मदगंध-संज्ञा पुं० [सं०] (१) छितवन । (२) मश्च । मदनफ-संज्ञा पुं० [सं०] (1) सदन वृक्ष । मैनफल । (२) मदगंधा-संशा स्त्री० [सं०] (१) मदिरा । शराब । (२) अतसी। दौना । (३) मोम । (४) खैर । (५) मौलसिरी । (६) अलसी। धतूरा। मदगमन-संज्ञा पुं० [सं०] महिए । भैंसा । मदनग्रह-संज्ञा पुं० [सं०] (१) योनि । भग । (२) फलित मदगल-वि० [सं० मदकल ] मत्त । मस्त । उ०—साहि के सिवा ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में सप्तम स्थान । (२) जी गाजी सरजा समस्य महा मदगल अफजल पंजा बल मदन हर ईद का दूसरा नाम ! पटक्यो । भूषण ! | मदनगोपाल-संज्ञा पुं० [हिं० मदन+गोपाल ] श्रीकृष्णचंद्र का मदग्नी-संज्ञा स्त्री० [सं०] पोय । पूतिका । एक नाम । उ.-..-उसुदा मदनगोपाल सुवावै । देखि स्वपन मदच्युत-वि० [सं० ] गर्वनाशक । गत त्रिभुवन कंप्यो ईश विधि भ्रमात्रै ।—सूर । मदजल-संज्ञा पुं० [सं० ] मत्त हाथी के मस्तक का स्राव । हाथी मदन चतुर्दशी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] चैत्र मास की शुक्ल चतुर्दशी का मद । दान । का नाम । यह मदन महोत्सव से अंतर्गत है। मदद-संज्ञा स्त्री० [अ०] (1) सहायता । सहारा । उ.-पहल-मदनताल-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का ताल जिसमें पहले दो वाम सो बखाने बली । मदद मीर हमजा औ अली। जायसी। दुत और अंत में दीर्घ मात्रा होती है। (संगीत) यौ०-मद खर्च । मददगार । मदनत्रयोदशी-संशा स्त्री० [सं०] चैन की शुक्ल प्रयोदशी का क्रि०प्र०—करना ।—देना । नाम । यह मदन महोत्सव के अंतर्गत है। मुहा०—मदद पहुँचना कुमक पहुँचना ! सहायता मिलना। मदनदमन-संशा पुं० [सं०] शिव का एक नाम । मजदूर और राज आदि जो किसी काम के ऊपर लगाए । मदनदिवस-संशा [सं०] मदनोत्सव का दिन । जाते हैं। साथ काम करनेवालों का समूह । मदनदोला-संज्ञा स्त्री० [सं०] इंद्र ताल के छः भेदों में से एक क्रि० प्र०-लगना ।—लगाना । का नाम । (संगीत) मुहा०—मदद बाँटना काम पर लगे हुए मजदूरों को मजदूरी मदनद्वादशी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] चैत्र शुक्ल द्वादशी का नाम । बाँटना वा देना । दैनिक मजदूरी चुकाना । प्राचीन काल में इस दिन मदनोत्सव प्रारंभ होता था। मददखर्च-संशा स्त्री० [अ० मदद-+फा० रखर्च ] (1) वह धन पुराणों में इस दिन प्रप्त का विधान है। जो किसी को सहायतार्थ दिया जाय । (२) वह धन जो मदननालिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिस का विश्वास न किसी काम करने के लिये काम करनेवालों को अगाऊ दिया : हो। भ्रष्टा स्त्री । दुचरित्रा भी। जाय । पेशगी। | मदनपति-संज्ञा पुं० [सं०] (8) इंद्र। (२) विष्णु ।