पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३३७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मढ़याना मणिमेघ राति है भाई चले धर को दस दिस मेघ महा मदि भाये। रूप जो उसके ८ वर्ण पर विराम करने से होता है। -केवाद। इसका दूसरा नाम चंद्रावती भी है। (३) बलपूर्वक किसी पर आरोपित करना । किसी के गले मणिग्रीव-संज्ञा पुं० [सं० ] कुवेर के एक पुत्र का नाम । लगाना । थोपना । जैसे,—अब तो आप सारा दोष मुन्म मणिच्छिद्रा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) मेधा नाम की ओषधि । पर ही मदेंगे। (२) ऋषभा नाम की ओषधि। संयोगक्रि०-डालना।-देना। मणिजला-संज्ञा स्त्री० [सं०] महाभारत के अनुसार एक नदी कि० अ० आरंभ होना । मचना । मड़ना । (क०) का नाम । मढ़वाना-क्रि० स० [हिं० मदना का प्रर. ] मढ़ने का काम दूसरे मणितारक-संज्ञा पुं० [सं० ] पारस । से कराना । दूसरे को मड़ने में प्रवृत्त करना मणिद्वीप-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार रखो का बना हुआ एक महा -संज्ञा पुं० [हिं० मद। ] मिट्टी का बना हुमा छोटा घर। द्वीप जो क्षीरसागर में है । यह त्रिपुरसुदरी देवी का मढ़ाई-संज्ञा स्त्री० [हिं० मदना] (1) मड़ने का भाव । (२) निवासस्थान माना जाता है। मढ़ने का काम । (३) पढ़ने की मजदूरी । मणिधर-संज्ञा पुं० [सं.] सर्प । साँप । मढ़ाना-क्रि० स० दे. "मयाना"। । मणिपन-संज्ञा पुं० सं०] एक बोधिसत्व का नाम । मढ़ी-संज्ञा स्त्री० [सं० मठ ] (१) छोटा मठ। (२) छोटा देवालय।। मणिपुर-संज्ञा पुं० [सं०] तंत्र के अनुसार छः चक्रों में से तीसरा (३) कुटी। झोंपड़ी। पर्णशाला । (४) छोटा घर । (५) चक जो नाभि के पास माना जाता है। यह तेजोमय और छोटा मंडप विद्युत् के समान आभायुक्त, नीले रंग का, दस दलोवाला मया -संज्ञा स्त्री० दे. "मढ़ी"। और शिव का निवासस्थान माना जाता है। कहते हैं कि संशा पुं० [हिं० मदना+ऐया (प्रत्य॰)] महनेवाला। यदि इस पर ध्यान लगाया जा सके तो फिर सब विषयों मणगयण-संज्ञा पुं० [हिं०] सूर्य। का ज्ञान हो जाता है। यह भी कहते हैं कि इस पर "g" मणि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) बहुमूल्य रन । जवाहिर । जैसे, से "फ" तक अक्षर लिखे हैं। हीरा, पक्षा, मोती, माणिक आदि । (२) सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति। मणिपुष्पक-संज्ञा पुं० [सं० ] सहदेव के शंख का नाम । जैसे, रघुकुल मणि । (३) बकरी के गले की थैली । (५); मणिबंध-संज्ञा पुं० [सं०] (3) एक नवाक्षरी वृत्त जिसके प्रति पुरुयेंद्रिय का अगला भाग। (५) योनि का अगला भाग। चरण में भगण, मगण और सगण होते हैं। उ.-कंठमणी (६) पा । (७) एक प्राचीन मुनि का नाम । (4) एक मध्ये सुजला । टूट परी खोजै अबला ।-भानु । भाग का नाम । (२) कलाई। मणिक-संशा पुं० [सं०] मिट्टी का घड़ा । मणिबीज-संज्ञा पुं० [सं०] अनार का पेड़। मणिकानन-संज्ञा पुं० [सं०] गला । कठ। मणिभद्र-संज्ञा पुं० [सं०] शिव के एक प्रधान गण का नाम । मणिकुट्टिका-संशा स्त्री० [सं०] कातिकेय की एक मातृका | मणिभद्रक-संश पुं० [सं०] (1) एक प्राचीन जाति का नाम का नाम । जिसका उल्लेख महाभारत में है। (२) एक नाग का नाम । मणिकूट-संशा पुं० [सं०] पुराणानुसार कामरूप के पास के एक मणिभू-संशा स्त्री० [सं० ] वह खान जिसमें से रन आदि पर्वत का नाम । निकलते हों। मणिकेतु-संज्ञा पुं० [सं० ] वृहत्संहिता के अनुसार एक बहुत मणिभूमि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) वह खान जिसमें से रत्न आदि छोटा पुच्छल तारा जिसकी पूछ बुध सी सफ़ेद मानी गई निकलते हों । (२) पुराणानुसार हिमालय के एक तीर्थ है। यह केतु पच्छिम में उगता है और केवल एक पहर का नाम । दिखाई देता है। मणिमध्य-संज्ञा पुं० [सं०] मणिबंध नामक छंद । मणिगुण-संज्ञा पुं० [सं० ] एक वर्णिक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण मणिमाला-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) बारह अक्षरों का एक वृत्त में धार नगण और एक सगण होता है। इसको 'शशिकला' जिसके प्रत्येक चरण में तगण, यगण, तगण, यगण होते हैं। और 'पारभ' भी कहते हैं। उ०—जपहु सुखद जसुमति उ.-छाँगो सब जेते है रे जगमाला । फेरो हरि के नामों सुत सहिता । लाहहु जनम इह सुख सखि अमिता । बढ़त की मणिमाला । (२) मणियों की माला । (३) लक्ष्मी । चरण रति सुहरि अनु-पला । जिमि सित पख नित बढ़त (१) चमक | आभा। शशिकला।-भानु। मणिमेघ-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार दक्षिण भारत के एक मणिगुणनिकर-संझा पुं० [सं०] मणिगुण नामक छंद का एक पर्वत का नाम ।