पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३३१

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मच्छअसवारी २६२२ मच्छन्नसवारी-संज्ञा पुं० [हिं० मच्छ+सवारी ] कामदेव । शरीर पर एक प्रकार का चिकना चिमदा छिलका होता है मदन । (डिं.) जो छीलने पर टुकड़े टुकड़े होकर निकलता है और जिससे मच्छवातिनी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मच्छ+सं० घातिना ) मछली सजावट के लिये अथवा कुछ उपयोगी सामान बनाए जाते फंसाने की लग्घी । बंसी। हैं। अधिकांश मछलियों का मांस खाने के काम में आता मच्छड-संज्ञा पुं० [सं० मशक ] एक प्रसिद्ध छोटा पतिंगा जो वर्षा है। कुछ मछलियों की चर्बी भी उपयोगी होती है। इसकी तथा प्रीम ऋतु में, गरम देशों में और केवल ग्रीम ऋतु में उत्पत्ति अंडों से होती है। मीन । मत्स्य । कुछ ठंडे देशों में पाया जाता है। इसकी मादा पशुओं और यौ०--मछली का दाँत-गैडे के आकार के एक पशु का दोत मनुष्यों को काटती और डंक से उनका रस चूसती है। जो प्रायः हाथीदाँत के समान होता है और इसी नाम से इसके काटने से शरीर में खुजली होती है और दाने से पर विकता है। मछली का मोती एक प्रकार का कल्पित मोती जाते हैं। यह पानी पर अंडं देता है; और इसी लिये जला जिसके विषय में लोगों को यह धारणा है कि यह मछली के शयों तथा दलदलों के आस पास बहुत अधिक संख्या में पेट से निकलता है, गुलाबी रंग का और धुंधची के समान पाया जाता है। प्रायः उड़ने के समय यह भुन् मुन् शब्द होता है और बड़े भाग्य से किसी को मिलता है। मछली की किया करता है । मलेरिया ज्वर इसी के द्वारा फैलता है। स्याही एक प्रकार का काला रोगन जो भूमध्यसागर में पाई वि० कृपण । कंजूम। जानवाली एक प्रकार की मछली के अंदर से निकलता है और मच्छर-संज्ञा पुं० दे० "ग "। जो नकश आदि खींचने के काम में आता है। संज्ञा पुं० [सं०मत्सर ] (1) क्रोध । कोप। (हिं.) (२) (२) मछली के आकार का बना हुआ सोने, चाँदी आदि का लटकन जो प्राय: कुछ गहनों में लगाया जाता है। मच्छरता*-संज्ञा स्त्री० [सं० गत्सर+ता (प्रत्य॰)] मत्पर । (३) मछली के आकार का कोई पदार्थ । ईर्या । द्वेष। मछलीगोता-संज्ञा पुं० [हिं० मछली+गोता ] कुश्ती का एक पेंच । मछरिया-संशा श्री० [म. मत्स्य । (१) दे० "मछली"। मछलीडंड-संज्ञा पुं० [हिं० मछली+इंड ] एक प्रकार का एंड (२) एक प्रकार की बुलबुल। जिसमें दोनों हाथ ज़मीन पर पास पास रखकर छाती और मच्छसीमा-संज्ञा स्त्री० [हिं० मच्छ+सीमा । भूमि संबंधी कोहनी को ज़मीन से ऊपर करते हुए मछली के समान झगड़ों का वह निपटारा जो किमी नदी आदि को सीमा उछलते हैं। इसमें पंजों को नीचे ज़मीन पर पटकने से मानकर किया जाता है। महाज़ी। आवाज़ होती है। मच्छी-संज्ञा स्त्री० दे० "मछली"। । मछलीदार-संशा पुं० [हिं० मछली+दार (प्रत्य॰)] दरी की एक मच्छीकाँटा-संज्ञा पुं० [हिं० मच्छी+कांटा ] एक प्रकार को प्रकार की धुनावट । सिलाई जिरमें सीए जानेवाले टुकड़ों के बीच में एक मछलीमार-संशा पुं० [हिं० मछली+मार (प्रत्य॰)] मछली मारने- प्रकार की पतली जाली सी बन जाती है । (२) कालीन में वाला। मछुआ। धीवर । मल्लाह । एक प्रकार की जालीदार बेल । मछवा-संज्ञा पुं० [हिं० मछली ] (१) वह नाव जिस पर बैठकर मच्छीमार-संज्ञा पुं० हिं० मच्छी+मार (प्रत्य०) धीवर । मछली का शिकार करते हैं । (लश०) (२) मल्लाह। मल्लाह । मछुआ, मावा-संज्ञा पुं० [हिं० मछली-+-उआ (प्रत्य॰)] मछली -संज्ञा स्त्री० [सं० मत्स्योदरी] ध्यासजी को माता मारनेवाला । धीवर । मल्लाह । और शांतनु की भार्या, सत्यवती । उ०--सत्यवती महा -संशा पुं० [ देश ] शहद का छत्ता । मच्छोदरि नारी । गंगा-तट ठाकी सुकुमारी ।—सूर । मलोतरा-संज्ञा पुं० [सं० मत्स्य ] मछली के आकार का लकड़ी का मछली-संशा स्त्री० [सं० मत्स्य, प्रा. मच्छ ] (1) सदा जल में वह टुकड़ा जिसकी सहायता से हरिस में हल जुड़ा रहनेवाला एक प्रसिद्ध जीव जिसकी छोटी बड़ी असंख्य : रहता है।। जातियाँ होती है। इसे फेफड़े के स्थान में गलफड़े होते हैं। मजकर-वि० [फा०] जिसका उल्लेख या चर्चा पहले हो चुकी जिनकी सहायता से ये जल में रहकर ही उर के अंदर की हो। जिक्र किया हुआ । कथित । उक्त। हवा खींचकर सांस लेती है। और यदि जल से बाहर । मजकूर-ए-बाला-वि० [फा०] अपर कहा हुआ। पूर्वोक्त । निकाली जाय, तो तुरंत मर जाती है। पैरों या हाथों के | उपर्युक्त। स्थान में इसके दोनों ओर दो पर होते हैं जिनकी सहायता मजकूरात-संशा पुं० [फा०] शामिलात देहात अराज़ी का लगान से यह पानी में तैर सकती है। कुछ विशिष्ट मछलियों के जो गाँव के खर्च में आता है।