पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३००

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भूरति २५९१ भूलना - - भूरति-संज्ञा पुं० [सं०] कृशाश्व के एक पुय का नाम । भूरिधाम-संभा पुं० [सं० भूरिधामन् ] नवे मनु के एक पुत्र का भूरपूर -वि० [सं० भूरि+पूर्ण ] भरपूर । परिपूर्ण । नाम । कि० वि० पूरी तरह से । पूर्ण रूप से। भूग्बिल-सं। पुं० [10] राष्ट्र के एक पुत्र का नाम । भूरला-सं... पुं० [ देश ] वैश्यों की एक जाति । भरिबला-संज्ञा स्त्री० [सं०] अतिबला । कँगही । ककही। भूगलोखरिया-संशा स्त्री० [हिं० भूर-बालू+लोखरो लोमड़ो] भरिमंजरी-संशा स्त्री० [सं०] पद तुलसी। वह बलुई मिट्टी जिम्में लोमड़ी माँद बनाती है। भरिमल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं०] ब्राह्मणी या पाढा नाम की लता। भूरसी दक्षिणा-संशा स्त्री० [सं० भूयसी+दक्षिणा] (1) वह थोड़ी भरिमूलिका-संज्ञा स्त्री० [सं० ] ब्राह्मणी लता । पाढ़ा। थोकी दक्षिण जो किसी बड़े दान, यज्ञ या दृत्परे धर्मकृत्य ! भूरिग्स-संज्ञा पुं० [40] ईख । ऊँग्छ । के अंत में उपस्थित प्राक्षणों को दी जाती है। (२) वे छोटे भूग्लिना-संज्ञा स्त्री० [सं०] सफेद अपराजिता । छोटे बच जो किसी बड़े वर्ष के बाद होते हैं। भूग्विीय्ये-संशा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक राजा का नाम । क्रि० प्र०—देना ।-याँटना। भूरिश्रया-संज्ञा पुं० [सं० भूरिश्रवम् ] वाहीक के चंद्रवंशी राजा भूरा-संशा पुं० [सं० बभ्र ] (1) मिट्टी का सारंग। खाकी रंग। सोमदत्त का पुत्र जो कोरवों की ओर से महाभारत में लड़ा मटमैला रंग । धूमिल रंग। (२) युरोप देश का निवासी। था और जो अर्जुन के हाथ मे मारा गया था। युरोपियन । गोरा। (डिं०) (३) एक प्रकार का कवृतर ! भूग्णि -संवा पुं० [सं०] भागवत के अनुसार एक मनु का जिसकी पीठ काली और पेट पर सफेद छोटे होते हैं। (४)। नाम । कच्ची चीनी को पकाकर और साफ़ करके बनाई हुई चीनी। भरिसेन-संथा पुं० [सं०] सना शर्याति के तीन पुत्रों में से एक (4) कच्ची चीनी । खाँद। (६) चीनी । पुत्र का नाम । वि० मिट्टी के रंग का । मटमैले रंग का । खाकी। भडी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] हस्तिनी नाक वृक्ष । हाथीसूस। भूरा कुम्हड़ा-संशा पुं० [हिं० भूरा+कुम्हड़ा ] सफेद रंग का ! भूरुह-संज्ञा पुं॰ [सं०] (1) वृक्ष । पेरु । (२) अर्जुन वृक्ष । कुम्हड़ा । पेठा। (३) शाल का वृक्ष । भूरि-संज्ञा पुं० [सं० ] (१) प्रहा। (२) विगु । (३) शिव। . भरुहा-सा स्त्री० [सं०] दृव । (0) इंद्र। (५) सोमदत के एक पुत्र का नाम । (६) 'भजे-संज्ञा पुं० [सं०] भोजपत्र का वृक्ष । स्वर्ण । सोना। भर्जकंटक- सं ० [सं० } मनु के अनुसार एक वर्णसंकर जाति। वि० [सं० 1 (9) मर । अधिक । बहुत (२) बड़ा। : भूर्जपत्र-संज्ञा पुं० [सं०] भोजएन । भारी। भूर्णि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) पृथ्वी । मरुभूमि । रेगिस्तान । भृरिक-संज्ञा पुं० [सं०] गायत्री छंद का एक भेद । भर्भुय-मा पु० [सं०] ब्रह्मा के एक मानस-पुत्र का नाम । संज्ञा स्त्री० [सं० भूरिक या भूरिज़ ] पृथ्वी। भलॉक-संगा पुं० [सं० } मर्त्य गोक । संम्बार । जगत् । भूग्गिंधा-संशा स्त्री० [सं०] मुरा नामक गंध द्रव्य । भद-संशाम्बी० [हिं० भूटना ] (1) भूलने का भाव । (२) गलती। भूरिगम-संशा पुं० [सं० ] गधा। चूक । जैसे,—इस मामले में आपने बड़ी भूल की । उ०-- भूरिज-संशा स्त्री० [सं०] पृथ्वी। कियो सयानी गाखिन सौ नाहि पयाग यह भूल । दुरै दुराई भूरिता-संज्ञा स्त्री० [सं०] भरि अथवा अधिक होने का भाव।' फूल ली क्यों पिय आगाम फूल ।-बिहारी। ___ अधिकना । ज्यादती। यौ०-भूल चूफ । भूरितेजस-संशा पुं० [सं० भूरितेजस् ) (1) अग्नि । उ०-विंगेश महा०-भूल के कोई काम करना कोई ऐगा काम करना जो विश्वानर प्लवर्ग सुभरितेजस सर्व जू। सुकुमार सू भगवान पहले न करते रहे हो । प्रम में घटकर कोई काम कर बैठना । रुद्र हिरण्यगर्भ अखर्व जू ।-विश्राम । (२) सोना ! जैमे,-आज हम भूल के नुम्हारे साथ चल पड़े। भूल के भूरिदक्षिण-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु। कोई काम न करना. कदापि कोई काम न करना । हरगिज भूरिदा-वि० [सं० ] बहुत बड़ा दानी । बहुत देनेवाला । उ० कोई काम न करन। । जैसे,--हम तो कभी भूल के भी उनके प्रबुध प्रेम की राशि भूरिदा माघिरहोता। नामा। घर नहीं जाते। भूरिदुग्धा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] वृश्चिकाली। (३) कसूर । दोर। अपराध। (५) अशुद्धि । ग़लती। भूरिद्युम्न-संज्ञा पुं० [सं०] (1) एक चक्रवर्ती राजा जिसका जैसे,--हिसाब में २) की भूल है। नाम मैन्युपनिषद् में आया है। (२) नवे मनु के एक पुत्र मि०प्र०-निकलना ।-पदना । का नाम । | भूलना-संशा स्त्री० [सं० ] शंखपुष्पी।