पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१८८

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बुका बुझाना बुका-संज्ञा पुं० दे० "बुक्का" । लटकाया जाता है। इसे प्रायः ब्याही स्त्रियाँ पहनती है। खुकार-संज्ञा पुं० [ देश० ] वह बालू जो बरसात के बाद नदी बुजियाला-संज्ञा पुं॰ [फा० बुज ] वह बकरी का बच्चा जिसे कलं- अपने तट पर छोड़ जाती हो और जिसमें कुछ अन्न आदि दर लोग तमाशा करना सिखलाते हैं। (कलंदर) रोपा जा सकता हो । भाट । बाल्टू । संशा पुं० [फा० बूजन। ] वह अंदर जिसे कलंदर तमाशा घुकुना-संज्ञा पुं० [हिं० यूकना ] (1) बुकनी। (२) किसी करना सिखाते हैं । (कलंदर) प्रकार का पाचक । चूर्ण। उ०-जलित जलेके अंदरसा युजर्ग-वि० [फा०] (१) जिसकी अवस्था अधिक हो । पृछ । खुकुने दधि चटनी चटकारी जू।-विश्राम । बड़ा । (२) पाजी। दुष्ट । (व्यंग्य) बुक्का-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) हृदय । कलेजा। (२) गुरदे का मेज्ञा पुं० बाप-दादा । पूर्वज । पुरखा । (इस अर्थ में यह मांस। (३) रक्त । लहु । (४) बकरी। (५) प्राचीन . शब्द सदा बहुवचन में बोला जाता है।) काल का एक प्रकार का बाजा जो मुँह से फेंककर बजाया | बुजुर्गी-संज्ञा स्त्री० [फा० ] बुजुर्ग होने का भाव । बड़ापन । जाता था। घुजरा-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का पक्षी। संशा पुं० [हिं० बूकना-पीसना] (१) फूटे हुए अभ्रक बुजी-वि० [फा० बुज ] बकरी । (डिं.) का चूर्ण जो प्राय: होली में गुलाल के साथ मिलाया जाता बुज्झा-संशा श्री० [देश॰] एक प्रकार की चिड़िया । या इसी प्रकार के और कामों में आता है। (२) बहुत बझना-कि० अ० [?] (१) किसी जलते हुए पदार्थ का जलना छोटे छोटे बच्चे मोतियों के दाने जो पीसकर औषध के । बंद हो जाना। जलने का अंत हो जाना । अग्नि या काम में आते हैं अथवा पिरोकर आभूषणों आदि पर लपेटे अग्निशिखा का शांत होना । जैसे, लकड़ी बुझना, लेप जाते हैं। बुझना । (२) किसी जलते या तपे हुए पदार्थ का पानी संज्ञा पुं० दे० "बक"। में पड़ने के कारण ठंढा होना । तपी हुई या गरम चीज़ धुषार-संज्ञा पुं० [अ० ] (१) वाच । भाप । (२) ज्वर । का पानी में पड़कर ठंडा होना । (३) पानी का किसी ताप । विशेष—दे. "ज्वर" । (३) हृदय का उद्वेग । गरम या तपाई हुई चीज़ से छौंका जाना । पानी में किमी शोक, क्रोध, दु:ख आदि का आवेग। चीज़ का बुझाया जाना जिग्नमें उस चीज़ का कुछ प्रभाव मुहा०—दिल या जी का बुखार निकालना-दे० “जी! पानी में आ जाय । (४) पानी आदि की सहायता से किसी का बुखार निकालना" प्रकार का ताप शांत होना । पानी पड़ने या मिलने के कारण बुषारचा-संशा पुं० [फा०] (1) खिड़की के आगे का छोटा । उंदा होना । जैसे, चूना बुझना । (५) चित्त का आवेग बरामदा । (२) कोठरी के अंदर तख्तों आदि की बनी हुई। या उत्साह आदि मंद पड़ना । जैसे, ज्यों ज्यों बुझापा आता छोटी कोठरी। है, त्यो त्यो जी बुझता जाता है। बुग-संज्ञा पुं॰ [देश॰] मच्छर । ( धुंदेलखंड) घुझाई-संशा स्त्री० [हिं० बुशाना+ई (प्रत्य०)] (1) बुझाने की संज्ञा पुं० दे० "बुक"। क्रिया । बुझाने का काम । बुगचा-संशा पुं० दे० "बुकचा"। । यौ०-बुझाई का होज वह होत जिसमें नील के पौधे काट कर बुगदरी-संशा पुं० [ देश० ] मच्छर । पहले पहल पानी में भिगोए जाते है। बुगदा-संज्ञा पुं० [फा०] कसाइयों का घरा जिससे वे पशुओं: (२) बुझाने की मजदूरी। ___की हत्या करते हैं। बुझाना-क्रि० स० [हिं० बुहाना का सकर रूप ] ( किसी बुगिअल-संशा पुं० [ देश. ] पशुओं के चरने का स्थान । घरी। पदार्थ के जलने का (उस पर पानी डालकर, या हवा के चरागाह । ज़ोर ये) अंत कर देना। जलते हुए पदार्थ को ठंडा करना गुल-संशा पुं० दे० "बिगुल"। या अधिक जलने से रोक देना। अग्नि शांत करना । जैसे, बुचका-संशा पुं० दे. "बुकचा"। आग बुझाना, दीया वुझाना। (२) किपी जलती हुई बुज़कसान-संशा पुं० [फा०] वह जो पशुओं की हत्या करता धातु या ठोग्न पदार्थ को ठंडे पानी में डाल देना जिससे अथवा उनका मांस आदि बेचता हो। बकर कसाब । वह पदार्थ भी ठंढा हो जाय । तपी हुई चीज़ को पानी में कस्साई। डालकर दा करना । जैसे,-सोनार पहले सोमे को तपाते बुज़दिल-वि० [फा०] कायर । उरपोक । भीरु । हैं और तब उसे पानी में बुझाकर पीटते और पत्तर घुजनी-संशा सी० [ देश० ] करनफूल के आकार का एक गहना बनाते हैं। जो कान में पहना जाता है और जिसके नीचे झुमका भी! मुहा०-ज़हर में बुझाना-छुरी, बरछी, तलवार आदि शस्त्रों के ६२१