पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/९८

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जापाव १७४३ जामल वाल-सक्षा पुं० [सं०] एक मुनि जिनकी माता का नाम '२. मुरब्बा । चाशनी में पागे हुए फल । जावाला था। जाम'-वि० रुका हुमा । पवरुद्ध । जैसे, दो गाड़ियो के लट जाने से विशेष-छादोग्य उपनिषद् में इनके सवध में यह पाख्यान पाया रास्ता जाम हो गया । हेलिपर ये पियों के पास वेव को खिक्षा प्राप्त करने के लिये मप, तब उन्होंने इनका पोत्र तथा इनके पिता का वाम जामगिरी-सहा पु० [१] संदूम का फलीता (लश०)। मादि पूछा । ये न वतला सके पोर मपनी माता के पास पूछने जामनी-सा पुं० [?] बदूक या तोप का फनीता। उ०--जोत गए। माता ने कहा कि मैं जवानी में बहतों के पास रही पौर जामगिन मे जगी लागे नषत दिखान । रन असमान समान उसी समय तू उत्पन्न हुमा। मैं नहीं जानती कि तू किसका भौ रन समान असमान -लाल (शब्द)। है। जापौर कह दे कि मेरी माता का नाम जावावा है जामणी-सहा पुं० [सं० जन्म ] उत्पत्ति । जन्मना । जन्म होना । पौर मेरा जावाब है। जव प्राचार्य ने यह सुचा तव उन्होंने पैदाइश । उ०-हरि रख माते मगन भए सुमिरि सुमिरि भए कहा कि हे जायाव? समिषा वायो, मैं तुम्हारा यज्ञोपवीत मतवाले, जामण मरण सब भूलि गए।-दाद०, पृ० ५६६ । करू', क्योकि ब्राह्मण के पतिरिक्त कोई ऐसा सत्य नही बोस यौ०-लामणमरण- बन्म और मृत्यु । सकता'। इनका एक नाम सत्यकाम भी है। जामदग्न्य-सहा पुं० [सं०] जमदग्नि के पुत्र । परशुराम । जावालि-समा पुं० [सं०] कश्यपयशीय एक ऋपि जो राजा दशरथ आमदानी--सला खी० [फा० जामहदानी>जामादानी ] १. कपड़ों के गुरु मोर मत्रियो में से थे। की पैटी। चमड़े का सदूक जिसमे पहनने के कपड़े रखे जाते विशेष-इन्होने चित्रकूट में रामचद्र को वन से नौट जाने घोर हैं। २ एक प्रकार का कढ़ा हुमा फूलदार कपडा। बूटीदार राज्य करने के लिये बहुत समझाया था, यहाँ तक कि अपने महीन कपड़ा। ३ शीशे या प्रवरक की बनी हई छोटी उपदेश मे इन्होने चार्वाक से मिलते जुलते मत का भामास सदूकची जिसमें बच्चे अपनी खेलने की चीजे रखते हैं। देकर भी राम को वनगमन से विमुख करने का प्रयत्न जामन....सक्षा पुं० [हिं० जमाना ] वह थोड़ा सा दही या पौर किया था। कोई खट्टा पदार्थ बो दूध में उसे जमाकर दही बनाने के लिये जावित-वि० [५० जावित ] १ जन्त करनेवाला। सहनशील । दाना पाता है। उ०—फेरि कस फरि पौरि तें फिरि चितई २ प्रक्षक। मुसुकाय । माईधामन लेन को नेह चली जमाय । बिहारी जाविता-सना पुं० [प्र. जावितह ] दे॰ 'जान्ता'। (शब्द०)। जाविर-वि० [फा०] १. जब करनेवाला । मत्याचार करनेवाला। जामन-सा पुं० [सं० जम्बू] १. आमुन । २ मालू बुखारे की जबरदस्ती करनेवाला । २. जवरदस्त । प्रचर । जाति का एक पेड़ । पारस नाम का वृक्ष । जान्ता-सहा पुं० [प० जान्ता] नियम । कायदा । व्यवस्था कानून । विशेष-यह वृक्ष हिमालय पर पनाव से लेकर सिकिम और" जैसे, जाते की कार्रवाई, जाब्दे फी पावदी। भूटान तक होता है। इसमें से, एक प्रकार का गोद तथा यौ०-बान्ता मादालत = प्रदालत सबधी कार्यविधि । प्रदालती बहरीला तेल निकषता है जो दवा के काम में माता है। व्यवहार । जान्ता दीदानी = सर्वसाधारण के परस्पर अधिक इसके फल खाए जाते हैं और पत्तियां चौपायों को खिलाई म्यवहार से सबंध रखनेवाला कानुन पा व्यवस्था । जान्ता जाती है। लकड़ी से खेती के सामान बनाए जाते हैं। इसे फौजदारी - दहनीय अपराधों से सवध रखनेवाला कानून । पारस भी कहते हैं। जान्ता माल-मदालत माल का व्यवहार या पद्धति । जामन+3--सफा पुं० [सं० जन्म, पु० हि० जामण ] जन्म । 30- जाम--साधा पुं० [सं० पाम] पहर । प्रहर । ७३ घड़ी या तीन घटे सुनिए घनुषधारी, परजी हमारी यह मेट दीजे मय भारी का समय 1 30-(क) मए जाम युग भूपति पावा । घर घर जामन मरन को |- रघु० ८०, पृ० २८५ । उत्सव बाज बधावा ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) दुधिय पाम जामना -कि०प० [हिं० जमना ] दे० 'चमना'। उ०—पर एगीत उलय रस विक्ति काव्य बमि 1-पृ० रा०,६।११। सासे तृण यदि जामा ।—तुलसी (शब्द०)। (4) 10-बाम मिसा रवि भोर की, पर सुप्न सु होय । जामनि -या सौ[सं० प्रामिनी ] रात्रि । यामिनी । निशा । -१० रासो, पृ० १७०। जामनी-वि० [सं० यावनी] दे॰ 'यावनी'। जाम-सधा पुं० [फा०] १ प्याला । २. प्याले के भाकार का जाम बेलुया--सधा ० [हिं• बाम+वेंत ] एफ प्रकार का बांस। घना हुपा करोरा। विशेष-यह घाँस प्राय घरमा, पासाम और पूर्वी बगाल में जाम-जा पुं० [भनु० झम (=जदी)] जहाज की दौर (लश.)। होता है। यह बांस टट्टर बनाने, छत पाटने भादि के लिये जाम-सबा पुं० [अ० म] १ पहाष का दो चट्टानों या और वहुत अच्छा होता है। किसी वस्तु के बीच मटकाव । फेसाव (लच.)। जामल- पुं० [सं०] एक प्रकार का तत्र। बि० दे० 'यामल' पैसे, क्रि०प्र०-माना ।—करना । होना। पर जामला