पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/८८

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जाँदर —जायसी (शब्द०)। (स) पुन रूपयह पसानो काहा। आटा । २ इस प्रकार (शतं पर) साया या पास। जावत जगत सबै सुख चाहा 1-जायसी (शब्द०)। यो०-जाकर वही। जॉवर+-सा पुं० [हिं० जाना] गमन | प्रस्पान । माना । 30- जाकड़वही-सहा स्त्री० [हिं० जाफह+यही] बह रही जिसमें नव नव लाद लडाइ लरिल नाही नाहीं कहें बज जावरो। दुकानदार जाकर पर दिए हए यास का गाय, किस्म पौर -स्वामी हरिदास (अन्द०)। दाम आदि टॉफ लेते हैं। जा- सह श्री.16०] १. माता । मा।२ देवरानी। देवर की स्त्री। जाकिटा-सज्ञा स्त्री० [अ० जैकेट 1 दे० 'जाकर जारे---वि० श्री० [सं० तुल० फ़ा० (प्रत्य) जा( = उत्पन्न करनेवाला)] जाकेट-सहा स्त्री॰ [भ जैकेट ] मुर्ती या सबरीही तर एक उत्पन्न । समूत । वैसे, गिरिजा, जनकदा । प्रकार का अंग्रेजी पहनावा । जा -सर्व० [हिं० जो] जो । जिस । 16--(क)जाकर जा- जाख -सक्षा पुं० [सं० यक्ष, प्रा० जबल] ० 'प'३०- पर सत्य सनेह । सो तेहि मिलहि न फधु समेह । -सुलसी फोरी मटुकी दही जमायो जाम न पूजन दी। विहि (शब्द०)। (ख) इक समान जप है रहत लाच फाम घर देव पितर फाहे कों जा पर बारबपी। ये दो। पा तिय 8 तन में तह मध्पा फहिए सोह। -सूर०, १.१३४६ । ---पाकर प., पू० ८७, (ग) मेरी भषयाधा हरा राषा जाखना-सहा ती देशपहिए के प्राकार प्रयोग कर नामरि मोड। जा सन फी झांद पर स्यामू हरितदुति हादरा धो कृषों की नींद में दिया जाता है। जब चार। -विहारी २०, यो०१६ जाखिनी-सका बी• [सं० यक्षिणी, था. वह ] २० जा--वि० [फा०] मुनासिब । उचित । वाजिन। से,-पापफी। 'पक्षिणी' । ३०-राघव फरे सासिनीमा पर सो माय बास बहत का है देखाय पूजा। -डायसी (शम्य०)। यौ०-घेजा=नामुनासिव । जो ठीक न हो। जाग'-सका पुं० [सं० या ] यश । पक्ष । 80--) माह सो जा"-सपा पुं० स्थान । बगह। उ०-फुछ पैर रहा हफ्का पक्का पाम । ता ती तुम सोपी पास । निषपुर भौचक्का सा भा गया कहा। क्या कर यह जाऊं फिस जा। जहो। तह माइ मोकों तुम पही। पर, २ । मिलन०, पृ० १६०। (द) एछ लिए मुनि योनि राप र पेक वाय। जाइंट-सक्षा पु० [प्र. ज्वाइट] १. जोट । पेपद । २. गिरह । गांठ। नेदसे सादर सकल सुरे जे पाठ पर पाय। -तुमसी (मिस्तरी)। ३ दे० 'ज्वाइट'! (शब्द०)। जाइवि० [हिं० जाना] व्यर्थ । घृषा। निष्प्रयोजन । बेफायदा। शिप्र-करना। -जागना। --मदन -पहर महा १०-सुमन सुमन भरपन लिए उपवन ते घर स्याह। परती मुनि जाग जयो । नीच निसाचर देव ए प साप घरि हरि तकि कही हार भयो श्रम जाइ।-(द०)। तयो। -तुससी (शब्द०)। जाइफरसमा पुं० [सं०बातीफन ] दे० 'बायफल'। जागा-सपा पी० [हिं० जगह ] 1. पण या सिद्धार। उ०-(क) हिका न मुहिकी कही बुद्धि जाइफल-महा 100 मासीफल | दे० 'बायफल' । को राम, भाग कुन और तोपखामा पाध व्याया है।- (पप०)। जाइस-सहा पुं० [ देश०] दे० 'जायस' ! (ख) कुदरत वाफी भर रही रसरिषि एचही सापाचन जाई'-सामी. [ सं० जा (- उत्पन्न ] पन्या । बेटी। पुची। पिन धनियो रहै ज्यों पाहन में माग | -रनिषि (EPS)। 8.--तुमहाली हुई पाप होर माई कू। सुलक्खन कृपा २ गृह । घर । मकान | -(हि.) पूत तस हाईक -दविखनी॰, पृ० ३६० । जाग–समा बी० [हिं. जागना ] भागने की क्रिया या भाय। आई - साधी सं० जाती जाती । घमेली। जागरण । 3.-घटती होइ पाहि वे अपनी साको फीजे जानि -सपा बी० [हिं० जामुन] दे० 'जामुन'। स्याग धोखे कियो वास मन भीतर पब समझे भर जाग। जार-सहा [हिं० चाउर ( = चायन)] मीठा और चावल --सूर (शब०)। डालकर पफाया हपा दूध ! खीर । जाग-सब [देश॰] बह कबूतर जो विनाम काले रंग का हो। जाएला-सक्षा पुं० [देश ] दो बार जोताहमा क्षेत। जाग'-सहा . [१० धक याय का भीगररक्षक। जाएस- पुं० [देश॰] दे० 'जायस'। जागत-संक [0] जगसी । जाक -सा पुं० [सं० यक्ष, प्रा. जास, ब] यक्ष । जागवा-नि. [ जामत] [वि.पो. जागठी] १ सजग । सपेत। जाकट-या पु० [अ० जैकेट] दे० 'जाट'। २. देखयो। सारिक। जाफड़-मा. [हि. जाफर प्रयथा हि पापना (Dवधिना)] सा-याबदामराक्ष साक्षाष । पैसे, पागसी जोत, जागती १ दुकानवार यहां से कोई मास म ई पर सेना दि सा।३.-साहिर धागठि सो बमुना पद बूटै पद उमई यदि वह पसप न होगा, पो और पिया सामधाम परदेशी -धाकर (SR)।