पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५८०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

दलदल दसराय २२२६ की. . लोधो दलद, कोषो गात कुढग । गनका राखै गुसट रसिया तोनू रग।-बांकी०प्र०, भा॰ २, पृ० १२।। दलदल-सबा खी० [सं० दलाढ्य (= नदीतट का कोपड)] १ कीचड । पौफ। पहला। २. वह जमीन जो गहराई तर गीली हो मोर जिसमें पैर नीचे को फंसता हो। विशेष-कहीं कहीं पूरब में यह शब्द भी बोला जाता है। मुहा०-दखदल में फंसना - (१) कीचड़ में फंसना । (२) ऐसी कठिनाई में फंस जाना जिससे निकलना दुस्तर हो । मुश्किल या दिक्कत में पटना । (३) जल्दी खतम या न होना । मनिर्णीत रहना । खटाई में पड़ना। उ०-दोनों दलो की दलादली मे दलपति का चुनाव भी दलदल में फंसा रहा।बदरीनारायण चौधरी (धन्द०)। ४ वुड्डो स्ली (पालको के कहार)। दलदला-वि० [हिं० दलदल] [वि० श्री. दलदली ] जिसमें दलदल हो । दलदलवाला । वैसे, दलदना मैशन, दलदली धरती। दलदार-वि० [हिं० दन+फा० दार ] जिसका दल मोटा हो। जिसकी तह या परत मोटी हो । जैसे, दलदार गूदा । दलदार माम। दलन'-संशा पुं० [सं०] [ वि० दलित ] १ पीसकर टुकडे दुकडे करने की क्रिया। चूर चूर करने का काम । २ विनाश । संहार । ३ विदारण। उ०-या विधि वियोग ब्रज बावरी मयो है सब, वाढत उदेग महा अंतर दलन को।-घना नद०, पृ०५०३। दलन-वि० दलनेवाला ! नए करनेवाला । विनाशकारी । नाशक । उ.-साहि का ललन दिली दल का दलन अफजल का मलन शिवराज पाया सरजा ।-भूषण प्र०, पृ० ११६ । दलना-क्रि० स० [सं० दलन] १ रगड़ या पीसकर टुकडे टुकड़े करना। मलकर चूर चूर करना। चूर्ण करना। खंड खड करना। २. रोदना। कुचलना। मलना । खूब दबाना । मसलना । मोड़ना । २०-पर मकान लगि तनु परिहरहीं। जिमि हिम उपल कृषि दलि गरही।--मानस, दलनिर्मोक-एक पुं० [१०] भोजपत्र का पेट। दुलनिहार-वि० [सं० दलनि+हिं हारा (प्रत्य॰)] विध्वंस करनेवाला । नए करनेवाला। मदित करनेचाचा । उ.-- कलि नाम कामतरु राम को। दलनिहार दारिद' दुकाल दुख दोप घोर धन घाम फो।-तुलसीमें, पृ० ५३७ । दलनी-सचा मी० [सं.] फंकर। मिट्टी का टुकड़ा। ढेला किो०] । दलप-का पुं० [सं०] १ दलपति। मंडली या सेना का नायक ! २ सोना। स्वर्ण। ३ शस्त्र । मायुष (को०)। ४. शास्त्र (को०)। दलपति-सा पुं० [सं०] १ किसी मंडली या समुदाय का प्रधान । मडली का मुखिया । अगुवा। सरदार । २. सेनापति। उ.-दलगर्जन दुर्जगदलन दलपतिपति दिल्लीस। -रसरतन, पृ०६। यौ०-दलपतिपति सेनापतियों का प्रषीश्वर। दलपुष्पा--मचा बी• [सं०] केतकी जिसके फूल पत्ते के पाकार के होते हैं। विशेष-केतकी या केवडे की मंजरी बहत कोमल पत्तों के कोश के भीतर रहती है। सुगंध के लिये इन्हीं पत्तों का व्यवहार होता है। दलबदी-सदा श्री० [सं० दल + हिं० वाषना ] गुटबाजी। दल या गुट बनाने का काम । दलबल-सज्ञा पुं० [सं०] लाव लश्कर । फौज । 30-मछु मारे क्छु घायल कछु गढ़ चने पराइ । गहि भालु बलीमुख रिपु दलवल विचलाइ । —मानस, ६।४६ । दसवा-सा एं० [हिं० दलना] तीतरवाजो, बटेरवाजो मादि का वह निर्वल पक्षी जिसे वे दूसरे पक्षियों से लड़ाकर पीर मार खिलाकर उन पक्षियो का साहस बढ़ाते हैं। दलवादल-सञ्ज्ञा पुं० [हि० दल+बादल ] १ वादलो का समूह । बादलों का झुड। २ भारी सेना। ३ बहुत बड़ा शामि याना । बड़ा भारी खेमा। मुहा०-दलवादल खडा होना-बड़ा भारी शामियाना या खेमा गड़ना। दलमलना-क्रि० स० [हिं० दलना+मलना] १ मसल डालना। मोड़ डालना। उ०-यौं दलमलियत निरदई दई कुसुम से गात । कर धर देखो घरधरा मजौं न उर ते षात ।-विहारी ( शब्द०)। २. रौंदना । कुचलना । उ० रनमत्त रावन सकल सुभट प्रचड भुजबल दलमले ।-मानस, ६।१४। ३ विनष्ट कर देना । मार डालना । दलमलित-वि० [हिं० दलना+मलना] सताई हुई। कुचली हुई। पीडित 1 30-प्रजा दुखित दलमलित गएर फटि फुटि पठान दल !-प्रकवरी०, पृ०६८। दलराय -सचा प्र० सं० दल+राज, प्रा० राय दे० 'दलपति'। उ.-दावदार निरखि रिसानो दोह दलराय, जैसे गपदार अड्दार गजराज को !-भूषण प्र०, पृ०६। संयो० क्रि०-डालना । --मारना । ३ चक्की में डालकर मनाजे प्रादि के दानों को दलों या कई टुकड़ो में करना । जैसे, दाल दलना । ४. नष्ट करना । ध्वस्त करना। जालना। ३०-केतिक देश दल्यो भुज के का!-सुषण (शब्द०)। यौ०-दलना मलना । उ-भुजबल रिपुदल दलि मलि देखि दिवस कर प्रत ।-तुलसी (शब्द०)।-मलना दलना। ५ तोडना । झटके से खहित फरना। उ०-(क) दलि तण प्राण निधावरि करि करि लैहें मातु बलैया !-तुलसी (शब्द०)। (ख) सोई हौं वूझत राजसभा घुनुकै दल्यो हो दलिहौं पल ताको।—तुलसी (शब्द०)। -सका स्त्री॰ [हिं० दलना ] दलने की क्रिया या ढग ।