पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५६४

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मर २२१२ दम वाला उसे मुरदा समझ ले । लोमडी कमी कभी अपने पाप को मरी हुई जलाने के लिये दम पुराती है। साज चढाने के समय मक्कार घोडे भी सांस रोककर पेट फुबा लेते हैं जिसमें पेटी या बंद अच्छी तरह न कसा जा सके । दम टूटता = (१) सौस बद हो जाना। प्राण निकलना । (२) दौड़ने या तैरने मादि के समय इतना अधिक हौफने लगना कि जिसमें धागे दौड़ा या तैरा न जा सके। दम तोड़ना= मरते समय झटके से सांस लेना । मतिम सांस लेना । दम पचना: निरंतर परिश्रम के कारण ऐसा अभ्यास होना जिसमें सांस न फूले ।-( फुश्तीवाज)। दम फूलना- (१) मधिक परिश्रम के कारण सौस का जल्दी जल्दी चलना । हाफना । (२) दमे के रोग का दौरा होना। दम बंद करना=बलपूर्वक किसी को बोलने मादि से रोकना । दम बद होना भय या पातक मादि के कारण बिलकुल चुप रह जाना । दम भरना = (१) किसी के प्रेम मथवा मित्रता आदि का पक्का भरोसा रखना और समय समय पर पभिमानपूर्वक उसका वर्णन करना । जैसे,—(क) वे उनकी मुहब्बत का दम भरते हैं। (ख) हम भापकी दोस्ती का दम भरते हैं । (२) परिथम या दौडने मादि के कारण सांस फूलने लगता और पकावट पा जाना । परिश्रम के कारण थक जाना । जैसे,- इतनी सीढ़ियां चढ़ने में हमारा दम भर गया। (३) भालू का हाथ या लकडी मुह पर रखकर सांस खीचना । इस क्रिया से उसका क्रोध शांत होता मयया भोजन पचता है ( फलदर ) 1() किसी को कुश्ती लगकर पकाना ( पहल- वानो की परीक्षा)। वम मारना=(१) विश्राम करना । सुस्ताना । (२) बोलना ! कुछ कहना। करना । जैसे,- भापकी क्या मजाल जो इस बात में दम भी मार सकें। (३) हस्तक्षेप करना। दखल देना । जैसे,—इस जगह कोई दम मारनेवाला भी नहीं है। दम लेना-विधाम करना । ठहरना । सुस्ताना। दम साधना = (१) श्वास की गति को रोकना। सांस रोकने का अभ्यास करना । जैसे, प्राणायाम करनेवालो का दम साधना, गोता लगानेवालों का दम सापना । (२) घुप होवा । मौन रहना । जैसे,—(क) इस मामले में अब हम भी दम साधेगे। (ख) रुपयो का नाम सुनते ही आप दम साध गए। २. नशे प्रादि के लिये सांस के साथ धूम्रो खीचने की क्रिया। क्रि० प्र०-खीचना । मुहा०-दम मारना=गांजे या घरस पादि को चिलम पर रख- फर उसका घूपो खीचना । दम लगना गांजे या चरस फा घूमौ खीचना । दम लगाना-दे० 'दम मारना। ३ सांस खींचकर जोर से बाहर फेंकने या फूकने को किया । मुहा०-दम मारना- मन पादि की सहायता से झार फूक करना । दम फूकना=किसी चीज में मुंह से हवा भरना । दम भरना कबूतर के पोटे में हवा भरना। ४ उतता समम जितना एक बार सांस लेने में लगता है। लमहा । पल । मुहा०-दम के दम-क्षरण भर। थोडी देर । पैसे,-वे यहाँ दम के दम वैठे, फिर चले गए। दम पर दम = बहुत पोड़ी थोड़ी देर पर। हर दम । बरावर । जैसे,-दम पर दम उन्हें के प्रा रही है । दम पदम-दे० 'दम पर दम' । ५. प्राण । जान । जी। मुहा०-दम उलझना = जी घबराना। व्याकुल होना । दम साना-दिक वरना । तग करना । दम खुश्क होना= दे० 'दम सुखना' । दम पुराना जी चुराना। जान बचाना। किसी बहाने से काम करने से अपने पापको बचाना। दम नाक में या नाक में माना = बहुत अधिक दुखी होना । बहुत तंग या परेशान होना। दम नाफ मे या नाक में दम करना अथवा लाना-बहुत कष्ट या दुख देना । बहुत तग या परेशान करना । दम निकलना - मृत्यु होना । मरना । ( किसी पर ) दम निकलना=किसी पर इतना अधिक प्रेम होना कि उसके वियोग मे प्राण निकलने का सा कष्ट हो। बहुत अधिक पासक्ति होना । जैसे,—उसी को देखकर जीते हैं जिसपर दम निकलता है। दम पर मा बनना = (१) जान पर मा बनना । प्राणमय होना । (२) आपत्ति माना । माफ त माना । (३) हैरानी होना । व्यग्रता होना । दम फडक उठना या जाना- किसी चीज की सुंदरता या गुण प्रादि देखकर चित्त का बहुत प्रसन्न होना। जैसे,—उसकी कसरत देखकर दम फडक गया । दम फटकना=वित्त का व्याकुल होना। वेचैनी होना । दम फना होना= दे० 'दम सूखना । जैसे,---(क) देने के नाम तो उनका दम फना हो पाता है। दम मे दम माना-धबराहट या भय का दूर होना । चित्त स्थिर होना । दम मे दम रहना या होना = प्राण रहना। जिंदगी रहना । दम सूखना = बहुत अधिक भय के कारण विलकुल चुप हो जाना । बहुत डर के कारण सांस तक न लेना। प्रारण सूखना। भय के मारे स्तब्ध होना । जैसे,—उन्हें देखते ही लड़के का दम सूख गया। ६ वह शक्ति जिससे कोई पदार्थ अपना अस्तित्व बनाए रखता और काम देता है । जीवनी शक्ति । जैसे,—(क) इस छाते में अब बिल्कुल वम नही है। (ख) इस मकान में कुछ दम तो है ही नही, तुम इसे लेकर क्या करोगे। यौ०-दमदार = (१) जिसमें जीवनी शक्ति यथेष्ट हो। (२) __ मजबूत । दृढ़। ७ व्यक्तित्व । जैसे, मापके ही दम से ये सब बातें हैं। मुहा०-( किसी का ) दम गनीमत होना = ( किसी के ) जीवित रहने के कारण कुछ न कुछ अच्छी बातों का होता रहना । गई बीती दशा में भी किसी के कार्यों का ऐसा होना जिसमें उसका पादर हो सके। जैसे,—इस शहर मे मम तो और कोई पडित नही रहा, पर फिर भी मापका दम गनीमत है। + सगीत में किसी स्वर का देर तक उच्चारण ।