पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४६४

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२१०८ बदलना । भुनाना । जैसे, रुपया तहाना। ५ दाम कम तुद -सबा पुं० [?] दुस्ख । उ०-दन, विधुर, प्रक, दुन, तु, फराना । मुल्य घटवाना। गहन, द्रषिन पुनि प्रादि-नंद.प्र.पु.१००। तुडुम-संज्ञा पुं० [सं० तुरम् ] तुरही। विगुल । तुपन-सा पुं० [सं०] १ उपचा देने की क्रिया। पीड़न । २. तुणि-संवा '० [सं०] तुन का पेड़। ध्यथा। पीड़ा । 3.-पादृष्टि करि तुदन मिटावा । सुमन तुमराज-वि० [हिं० तोतला][वि०सी० सुतरी] दे० 'तोतना'। माल पहिराय पठावा । -विश्राम (शब्द०)। ३. माने या उ.-मन मोहन को सुतरी बोसन मुनिमन हरत सुहसि गड़ाने की क्रिया। मुसकलिया।—सूर (धन्द०)। तुन-सका पुं० [सं० तुम्न ] एक बहुत बडा पेर पो साधारणत. सारे तुतराना -क्रिया म० [हिं० सुतरा+ना (प्रत्य॰)] दे. उत्तरीय भारत में सिंध नदी से लेकर सिकिम पौर मूटान तक 'तुतलाना' 1 10-अवगुन नहिं उपकठ रहत है म पोलत होता है। सुतरात री।-सूर (शन्द०)। विशेष-सकी ऊँचाईचालीस लेकर पचास साठ हाप तक तुतरानि-सका नी [हिं० ] तुतलाने को किया या माव । पौर लपेट दस मारह हाथ तक होती है। पत्तियां इसकी तुतरानी-सका डी• [हिं० तुतरा+ई (प्रत्य॰)] तोतसी। नीम की तरह लो लबी पर बिना कटाव की होती हैं। तुतलाती हुई। उ०-पान वधन सुनि सुरत उठे हरि कहठ शिविर में यह पेड़ पत्तियो माइता है। बसत के प्रारंभ में ही बात सुतरानी।--००, पृ० १३०१ इसमें नीम के फूल की तरह छोटे छोटे फूल गुच्छों में तुतरी -वि०सी० [हिं०] दे० 'मुतली'। उ.-काय ह प्राम सुधा लपते है जिनकी पंखुड़िया सफेद पर पीच को पुरिया ध सींचति पारस मरि बोलमि सुतरी।-घमानद, पृ०४३ । बड़ी मोर पीले रंग की होती है। इन फूलों से एक प्रकार का पीला बसती रप निकलता है। कहप फूलों को लोग तुतरोहॉल-वि० [हिं० सुतरा+पोहा (प्रत्य॰)] दे॰ 'तोतला' । इकट्ठा करके सुखा लेते है । सूखने पर केवल कडी कड़ी धुडियो तुसला-वि० [हिं०]२० बोतला' उ.--मातन्मय दर से मेरे सरसों के दाने के पाकार की रह जाती है जिन्हें साफ करके बीवन का तुतला उपक्रम ।--पल्लव, पृ० १०६१ फूट भलते या उयालालते हैं। तुन की लकड़ी लाल की तुतलान-सधा बीहि. तुतलाना ] तुतलाने की क्रिया या भाव । पौर बसत मजबूत होती है। इसमें दीमक भौर घुन नहीं तुदलाना -क्रि.म. [सं० वट(=टूटना)या अनु०] शब्दो मोर पणों कागते । मेष कुरसी पादि सजावट सामान बनाने के लिये फा पस्पष्ट उच्चारण करना । रुक रुककर टूटे फूठे शब्द इस लकड़ी की बड़ी मांग रहती है। मासाम मे पाय के घोलना। साफ न बोलना। शब्द घोलरे में वर्ष ठीक ठीक मकस भी इसमे बनते हैं। मत से न निकालना । जैसे,-बच्चों का तुतलाना बहुत तनक-वि० [फा. तुनुक ] ३०'तुमुक । प्यारा लगता है । 30-धागति पमूठी मीठी पानी दूतमान यौ०-तुनकमिजाज-दे० 'तुनुकमिवाज'। समकामिजाजी-२० को 1-शकुंतला०, पृ० १४.। ___ 'तुनुकमिजाजी'। तुनकहवास= दे० 'तूनफाहवास'। तुतली-वि०बी० [हिं० दे० 'तोतली। उ.-फर पद पसते देख उन्हे सुनकर तुतली वाणी रसाल ।-सागरिका, तुनकना-फि० प.[हि० ] ६० 'तिनकना' । उ०---स्त्रियो माया पृ.११३ । तुनक जाने का कारण सप बातों में निकाल मेती। तुही-संवा स्त्री॰ [हिं०] ३० 'तुतुही'। ककाल, पृ० १५५। तुतु लूम लूला -सथा पुं० [अनु॰] बच्चों का एक खेल । उ.-- तुन तुनकामौज-सा [?]छोटा समुद। (लश.)। मचत कब? झापरि करहूँ सुत लूम लूल मल !-प्रेमघन०, तुनकी-सका स्त्री० [फा. तुनुक+१ (प्रत्य॰)] एक तरह की भा०१, पु०४७ खस्ता रोटी। तुतुही-सहा स्त्री० [सं० तुण्ड] १ टोटीदार छोटी घटी। छोटी सी तुनतुनी-समा नी. [अनु.]१ वह माजा जिसमें तुनतुन शम्द मारी जिसमें टोंटी लगी हो। २ एक वाद्य । तुरही। निकले । २ सारगी। तुत-स० [सं० स्वत् ] तुम ! --सिहि वस भीम पर तुनी-संक स्त्री हि तुन] सुन का पेड़। घम्म सुत्त । सिहि मंस बली पनगेस तुत्त ।-पृ० रा०, ३१३२॥ तुनीर-सहा पु० सं० सूणीर ] ३० 'तूणीर'। उ०-हिम को हरष तत्थ- पुं० [सं०] १ तूतिया। नीला पोथा । २ पग्नि (को०)। मरुधरनिकों नीर मो, जियरो मदन तीरगन को तुमीर ३ परपर (को०)। भो।-भिखारी० प्र०, पृ० १.१। तुत्धक-सका ई० [सं०] ३० 'तुरथ' । तुनुक-वि० [फा०] १. सूक्ष्म । बारीक । २ पल्प । थोरा तुत्थान-सहा . [सं० तुस्थाजन ] तूतिया। नीला थोथा। पटुल । नाजुक । ४ क्षीण । दुबला पतला [को०] । तुत्था-सा स्त्री• [सं०] १ नील का पौषा। २ छोटी इलायची । यौ०-तुनुकजर्फ = (१) छिछोरा। लोफर। (२) पकुलीन । तु -वि० [सं०] पाघातकारी। पीडापायी। कहकर जैसे,- कमीना। (३) पेट का हलका। जो भेद खोल दे। (४) ममंतुंद । मसंतुद। पोपोड़ी सी शराब पीकर बहक जाय । (५)जो किसी