पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४६०

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तुंगो ५१०४ तुंदिलित तुगी--वि० [सं० तुङ्गिम्] ऊँचा [को०] । २. जिसकी नाभि निकली हुई हो। निकली हई ढोढवाला। तुंगो-सका पुं० ऊंचाई पर स्थित ग्रह (को॰] । डोंटू । ३ बकवावी । मुंहजोर । तुगीनास-सा . [सं० तुङ्गीनास] दे० 'तुगनाभ' । तुंरी-वि० सं० तुण्डिन् ] १ मुहवाला। चोरवाला। ३ थूपन- वाला । ४ वाला। तुंगीपति-सक्ष पुं० [सं० तुङ्गोपति ] चंद्रमा। तुगीश-मक्ष पु० ० तुनीश ] शिव । २ कृष्ण। ३ सूर्य । तुडो संक्षा पुं०१ गणेश । 3.हरिहर विधि रवि भक्ति समेता। सुंग ते उपजत सव तेता 1--निश्चल ( शब्द.)। २ शिव तुंज'-सबा पुं० [सं० तुझ] १ वष । २ माघात । धक्फा (को०)। के पुषभ का नाम । नदी (को०)। ३. पाक्रमण (को०)। ४ राक्षस (को०)। ५ दान देना (को०)। तंदी-सका स्त्री. १ नामि। ढोढ़ी। २ एक प्रकार का ६. दवाव । दाप (को०)। कुम्हम [को०] । तुज-वि० दुध । फितरती। हानिकर [को०] । है तुंजाल- समापुं० [सं० तुरङ्ग + जाल ] एक प्रकार का जाल जो तुडीगुदपाक-सधा पुं० [सं० तुण्डीगुदपाक ] एक रोग जिसमें बच्चो १० की गुदा पक जाती है मोर नाभि में पीडा होती है। घोडो के ऊपर उन्हे मविक्षयों पादि से बचाने के लिये गला जाता है। इसके नीचे फुदने भी लगते हैं। तुडोरमका-सया पुं० [सं० तुण्डीरमण्डल ] दक्षिण के एक देश का नाम । उ०-पुनि तुडोर महल इक देसा। तह बिलमगल तुंजीन--सा पुं० [सं० तुऊजीन ] काश्मीर देश के कई प्राचीन ग्राम सुवेसा ।-रघुराज ( याम्द०)1 राजामों का नाम जिनका वर्णन राजतरगिणी में है। । तुद-सधा पृ० [सं० तुन्द ] पेट । उदर । तुड-सक्षा पुं० [सं० तुण्ड ] १ मुख । मुह। उ०-दो दो दृढ़ तुद-वि० [फा०] १ तेज । प्रचड । घोर । २ मावेगपूर्ण । पुरजोथ रह वर वाफर निम तुओं मे ।-साकेत, पृ. ४१३ । २ (को०)। ३ क्रुद्ध । कुपित (को०)। पचु। घोंग। ३ निकला हपा मुह। थूपन। ४ तलवार का मगला हिस्सा । खग का प्रण भाग । उ०-फुट्टत कपाल यो०---तु दमिजाज-दे० 'तुदखू'। ४ शीघ्र । त्वरित । तेज । जैसे, हवा का तु द झोका । कहें गड मुड । तुट्टत कहूँ तरवारिन तुड।-सूदन (शब्द०)। ५ शिव । महादेव । ६ एक राक्षस का नाम । ७ हाथी की यौ०-तुपरफ्तार, तु दरौद्रुतगामी । बहुत तेज चलनेवाला। सुह(को०)। ८. हथियार की नोक (को०)। तुदपिका-सचा सौ० [सं० सुन्दकूपिका] नाभि का गढ़ा [को०] । तुडकेरिका-संज्ञा स्त्री० [सं० तुण्ड केरिका ] कपास वृक्ष । तुदकूपी-सहा स्त्री॰ [स० तुन्दकूपो] नाभि का गड्ढा [को०] । तंटकेरो-सका बी० [सं०तुएडकेरी ] १ कपास । २ हुँदा तुदखू-वि० [फा० तु खू ] कडे मिजाज का । गुस्सैल । क्रोधी। विवाफल । उ०-उस तु दखू सनम से जब से लगा हूँ मिलने। हर कोई तुंउकेशरी-सवा दु० [सं० तुएडकेशरी ] मुख का एक रोग जिसमे मानता है मेरी दिलावरी को।-कविता कौ०, मा. ४, ताल की पड़ में सूजन होती पोर पाह पीड़ा पादि उत्पन्न पु० ४८॥ होती है। तुदवाद-सा खो० [फा०] माधी । झकर । झंझावात [कोग। तंडनाया-सा पुं० [सं० तुए।+नाद ] तु हनाद। शुडाध्वनि तु दर-मा पु० [फा०] १ यावल की गरज । मेघगर्जन । २ मधुर चिघार । उ-तु डनाय सुनि गरजत गुजरत भौंर ।- स्वरवाली एक प्रसिद्ध चिडिया । धुलबुल [को०)। शिखर०, पृ. ३३१॥ तदि-सहा पुं० [सं० तुन्दि] १ नाभि । २ एक गर्व का नाम । तंटला --सक्षा स्त्री० [सं० तुण्डिल ?] पीपर । उ०-कोला, कृष्णा , ३ उदर । पेट (को०)। मागषी, तिग्म, तुला होइ।-नय० प्र०, पृ० १०४। दिक-वि० [सं० तुन्दिफ ] १ तोंदवाला । बढे पेटवाला । तुदिल । तुढि-सण स्त्री॰ [सं० तुएिड ] १ मुंह । २ षौच । ३ बियाफल । २ पडा । विशाल (को०)। ४ नाभि । तु दिकफला-साखी [H• तुन्दिकफला] खीरे की बेल । तुहिक-वि० [सं० तुरिएटक ] तुडवाला । थूपमवाला (को०] । तुंदिकर-सज्ञा पुं० [सं० तुन्विफर) नाभि । ढोढ़ी (को०। तुडिका-सया जी० [सं० सुरिटका ] १ टोटो। २ पौष । ३ तुदिका सथा श्री० [सं० तुन्दिका] नाभि । विवाफल । कुंदरू । ४ नाभि (को०)। तुंदित-वि• [से तुन्दित] दे॰ 'तु दिक' [को॰] । तुडिरी-सहा बी. [ सं० तुपिडफेर ] १ कपास वृक्ष । २ तालु में दिभ-वि० [सं० तुन्दिम] दे० 'तु दिक' [को०] । अत्यधिक सूजन का होना [को०] । दिल-वि० [सं० तुन्दिल] तौदवाला । बड़े पेटवाला । तुउिकेशी-सहा सी० [सं० तुण्डिकेशी ] कुंवरू। तुदिल'--सक्ष पु. गणेश जी [को०] । तडिम-वि० [सं० तुण्डिस ] १ तादल । जिसका पेट बरा हो। तविलफला-सा स्त्री. [सं० तुन्दिलफला] १ खीरा। २. २ तुदिल । जिसकी नाभि उभरी हुई हो (को०] । ककडी [को०] । तुंडिल-वि० [सं० तुरिउल ] १ तोंदवाया । निकले हुए पेटवाला। दिलित-वि० [सं० दुन्दिलित] तोदवाला । तोपियोग।