पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४१

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जनप्रिय जनरव जनप्रिय-वि० [सं०] सबसे प्रेम रखनेवाला । सर्वप्रिय । सवका प्यारा। जनप्रियर--सहा पु० १ धान्यक । धनिया । २ शोभाजन वृक्ष । सहजन का पेड । ३ महादेष । शिव । जनप्रियता-साक्षी• [0सबके प्रिय होने का भाव । सर्वप्रियता। लोकप्रियता। जमप्रिया-सला श्री० [सं०] हुलहुल का साग । जनबगुल-सझा पु० [हिं० जन+बगुला] एक प्रकार का बगुला । जनम-सक्षा पुं० [सं० जन्म] १. उत्पत्ति । जन्म । दे० 'जन्म'। उ०- बहु विधि राम शिवहि समुझावा । पारबती कर जनम सुनाया। -तुलसी (शब्द०)। क्रि०प्र०-धारना ।-पाना !-लेना ।-होना। यौ० जनमधूटी । जनमपत्ती । जनमपत्री। ३ जीवन । जिंदगी । प्राय । उ०—(क) होय न विषय निराग, भवन यसत मा चौपपन । हृदय बहुत दुख लाग, जनम गपउ हरि भगति मिनु ।-तुलसी ( शन्द०)। (ख) तुलसीदास मोको बड़ो सोचु है तू जनम कवन विधि मरिहै। तुलसी (शब्द०)। मुहा०--जनम गंवाना - व्यर्थ बनम या समय न करना। जनम बिगाना - धर्म नष्ट होना । जनम करम के प्रोछे- जन्मना भौर कर्मणा उभय प्रकार से हीन । उ०-ऐसे जनम करम के प्रोछे, पोछन हूँ ब्यौहारत-सूर०, १०२२ । जनम भरना= जीवन बिताना। 30-- नहर जनमु भरव वरु जाई। जियत न करव सवति सेवकाई।-मानस, २।२१। बनम भर जलना = माजीवन दुख भोगना। उ०-वह मनपढ़, गवार, मूफट्ट, लोह लट्ठ के पाले पडकर जनम भर जला करे।-ठेठ०, पृ० १० । जनम हारना = माजीवन किसी को सेवा के लिये सकरूप धारण करना । १०-भव मैं जनम समु से हारा ।---मानस, ११ । जनम टी--सहा स्त्री० [हिं० जनम+घंटी] यह घटी जो बच्चों को जन्मते समय से दो तीन वर्ष तक दी जाती है। मुहा०-(किसी बात का ) जममधूटी में पड़ना = जन्म से ही (किसी बात की) प्रादत पड़ना । ( किसी बात का ) इतना पभ्यस्त हो जाना कि उससे पीछा न छूट सके। जैसे, झूठ बोलना तो इनकी जनमवूटी में पड़ा है। जनमजला-वि० [हिं० जनम+जलना] वि० सौ० जनमजली ] दुर्भाग्यग्रस्त । भाग्यहीन । पभागा । जनमत-मा० [सं० जन+मत सर्वसाधारण जनता की राय। लोकमत । उ०-जनमत राजा को निकाल सकता था ।- मा०भा०प०, पृ० १८६ । - यौठ-जनमत संग्रह - जनता की राय का सफलन । लोकमत का संकलन- जिससे लोक की राय जानी जाय । उ०-जनमत संग्रह के पूर्व सर दलो को प्रपने मत के प्रचार का अधिकार होगा।-भारती० २२६ । जनमदिन-सहा पुं० [हिं० जनम दिन दे० 'जन्मदिन'। जनमधरतो-िसहा श्री. दि० जनम+धरती] दे० 'जन्मभूमि'। जनमना-कि०म० [सं० जन्म] १ पैदा होना । उत्पन्न होना। जन्म लेना । उ०-(क)जे जनमे कलिकाल कराला।- मानस, १।१२। (ख) के जनमत मरि गई एक दासी घरवारी 1- हम्मीर०, पृ०४५। २ चौसर यादि सेलो में किसी नई या मरी हुई गोटी का, उन खेलों के नियमानुसार खेले जाने के योग्य होना। जनमना- किस० [सं० जन्म या हि० जनमाना जन्म देना। उत्पा करना । उ०-कैकय सुता सुमित्रा दोक। सुदर सूत्र जनमर भै पोर्क ।-मानस, १११६५ 1 जनमपत्ती-संक्षा बी० [हिं० जनम+पत्तो] चाय कुलियो की बोलचाल की भाषा मे चाय की वह छोटी पत्तो या फुनगी जो पहले पहल निकलती है। जनमपत्री-सबा खी० [म० जन्मपत्री] दे० 'जन्मपत्री'। जनमरक-समापु० [सं०] वह बीमारी जिससे थोड़े समय में बहुत से लोग मर जायें । महामारी। जनमर्यादा-सचा श्री[सं०] लौकिक प्राचार या रीति । जनमसंगी-वि० [हिं० ] [वि०सी० जनमसगिनी ] जिसका साय जनम भर रहे. (पति या पली)। जनमसंघाती -सचा पुं० [हिं० जनम सघाती ] वह जिसका साथ जन्म से ही हो । बहुत दिनों से साथ रहनेवाला मित्र । २ वह जिसका साथ जन्म मर रहे। जनमाना-क्रि० स० [हि० जनम] १ जनमने का काम कराना। प्रसव कराना।२ 'जनमना। जनमु -सज्ञा पुं० [सं० जन्म, हि० जनम] दे० 'जन्म'। उ- राम काज लगि जनमु जग, सुनि हरपे हनुमान |---तुलसी पं., १०८६। जनमुरीद-वि० [फा० जन+मुरीद] पत्लीपरायण पत्लीभक्त । जोरू का गुलाम । उ०-पत्नी की सी कहता हूँ ठो जनमुरीद की उपाधि मिलती है।-मान०, भा० १, पृ० १५४ । जनमेजय-सधा पुं० [सं०] दे० 'जन्मेजय। जनयिता'-वि० [सं० जनयितु] वि०सी० जनपित्रो] जन्मदाता। पैदा । करनेवाला । जनयिता–समा पुं० पिता । वाप । जनयित्रो'-वि० [सं०] जन्म देनेवाली। उ०-शीतलता, सरलता ___ महत्री । दिजपद प्रीति घरम जनयित्री।-मानस, ७ । ३८ । जनयित्री-सबा श्री माता । मा। जनयिष्णु -वि० [स०] जननकर्ता । उत्पादक [को०] । जनरजन-वि० [सं० जन+रक्षन] मनुष्यों को या सेवको को सुख पहुंचानेवाला [को०] । - जनरल'-सज्ञा पुं० [१०] फौजों का एक बड़ी मफसर जिसके अधिकार मे कई रेजिमेंट होती है। अग्रेजी सेना का सेनापति या सेनानायक । जनरल-वि० साधारण । माम । जैसे, इस्पेक्टर जनरल । जनरव--समा पुं० [सं०] १. किंवदती। जनश्रुति । अफवाह । २० । अधिकारी ANI