पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३४६

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हकदीरवर सकसीम तकदीरवर-वि.म. तकदीर+फा० वर] जिसका भाग्य बहुत है। टेकुमा । २. बिटयो को टेकुरी की सलाई जिसपर कला- हो। माग्यवान् । पत्तू बटकर पढ़ाते जाते हैं । ३. सुनारो को सिकरी बनाने की तकन-सा बी० [हिं० तकना] ताकने की क्रिया या भाव। सखाई।४ रस्सा या रस्सी बनाने की टिकुरी। देखना । रष्टि। महा.--किसी के तकले से पल निकासना-सारी शेखी मा तकना -क्रि० स० [हिं० ताकना ( ग)] १. देखना। पाजीपन दूर करना । मच्छी तरह दुरुस्त या ठीक करना । निहारना। पवलोकम करना । त.--(क) देखि लागि मषु तकली-सशस्त्री० [हिं० तकला] छोटा तकला या टेकरी। फुटिल किराती। जिमि गंव तक ले केहि भाती ।---तुलसी तकलीद-सबा श्री [म. तकलीद ] मनुसरण । अनुकरण। देशा (शब्द०) (ख) कहि हरिदास बानि ठाकुरी बिहारी तकतन देखी कोई काम करना । नकल । उ.-क्यो पजियत की भोर पाट।-स्वामी हरिदास (पान्द०)। (ग) तेरे लिये तजि तकलीद की जाय !-प्रेमघन०, भा० २, पृ०६।। ताकि रहे कि हेठ किए बलबीर बिहारी । सुदरीसर्वस्व तकलीफ-सा स्त्री॰ [म. तकलीफ] १ कष्ट । क्लेश । दुख। (शब्द०)। २ शरण लेना । पनाह लेना। पाश्रय लेना। मापत्ति । मुसीबत । जैसे,---(क) प्राजकल वह बड़ी तकलीफ १०-देवन के मेरु पिरिडोहा।--तुलसी (शब्द०)। से अपने दिन बिताते हैं । (ख) इस तोते को पिंजड़े में बड़ी तकबर-वि० [पतकावुर ] मानी। पधिमानी। उ०-थाह तकलीफ है। विपत्ति । मुसोबत। । हुमाको नंदन बदन एक देय एस बोषा तकार- क्रि० प्र०----उठाना ।—करना ।—देना । -पाना।-भोगना। पकबरी०, पृ० १.६ । --मिलना।-सहना। सकवीर-सहा मी. [4.१ किसी को पता मानना या कहना। २ खेद। योक (को०)। ३ मामय । रोग। मर्ज (को०)।४ २. ईश्वर की प्रशता । उ०-ॐ लोहा पीर ताबा तकबीर । गोरख., पृ०४१। मनोव्यथा (को०)। ५ निर्धनता । मुफलिसी (को०)। तकन्दरी-सका बी.? ] एक तरह की तलवार। 10-रिपू- सकल्लुफ-सज्ञा पुं० [म. तकल्लुफ] १ शिष्टाचार । दिखावा । मलन झकोर मुख नहि मोरे सवर तोर तकम्बरी।-पद्माकर दिखाने के लिये कष्ट उठाकर कोई काम करना। २ पं०,१०२८ । टीमटाम बाहरी सजावट । नाचुर--सा पुं० [म.] १ घमर भिमाव । २. मकड। ३ मुहा०-तकल्लुफ का बहुत पच्छा । बढ़िया या सजा हुमा। ३शोखी को। ३ सकोध । पसोपेश (को०) 1४ शील कोच । लिहाज (को०)। मा-सा पुं० [हिं० ] दे० 'तमगा' १२ दे० 'तुकमा' । ५ लज्जा । शमं (को०)। ६ बेगानगी। पगयापन (को०)। मील-सममो. [म.] पूरा होने की क्रिया या भाव । पूर्णता । ७ कष्ट सहन करना । तकलीफ उठाना (को०)। रमन्दी-सबा स्त्री० [देश॰] भेडों के ऊपर से कन काटने का तकवा--सहा . [म. तक्वहू ] सयम । इंद्रियनिग्रह । परहेजगारी। इंसिया । (गढ़वाल)। शुद्ध रहना । उ०-तूं तो नफस संतकवा राखे शरम मुहम्मदी करार-सका सौ. [म.] किसी बात को बार बार कहना। २ पावे ।-दक्खिनी०, पृ०५५ । हुज्जत । विवाद । ३ झगडा । रटा । लहाई। ४ कविता में तकवाना-क्रि० स० [हिं० सकना का प्रे० रूप ] ताकने का काम किसी वर्णन को दोहराना । ४ पावल का वह खेत जो फसल दूसरे से कराना। दूसरे को ताकने मे प्रवृत्त करना। काटने के बाद फिर खाद दे के पोता गया हो। ५ तकवाहा--सका पुं० [हि ताकना ] खेतों या बागो का रखवाला । वह खेत जिसमें जौ, चना, गेहूँ इत्यादि एक साथ चोया देखभाल करनेवाला। निगरानी करनेवाला व्यक्ति। उ०- गया हो। बड़ी वारपाई जिसपर बैठा तकवाहा -मपरा, पू० १९८। करारी-वि० [म. तकरार+हिं. ६(प्रत्य॰)] तकरार करनेवाला। तकवाडी-सक्ष बी. [ हिं. तकबाह+ई (प्रत्य॰)] १ देखभाल । झगडालू । लडाका। रसवाली। किसी चीज की रक्षा के लिये उसपर बराबर करीब-सहा बी० [म. तक्रीय ] वह शुभ कार्य जिसमे कुछ लोग नजर रखना।२ दे० 'तकाई। समिलित हो। उत्सव । जलसा । तकसी-सका श्री. [?] नाश । दुर्दशा। रीर-सश स्त्री. [म. तकरीर] १ बातचीत । गुफ्तगू। उ. तकसीम-सक्षा नी. [म. तकसीम ] बांटने की क्रिया या भाव। दमे तकरीर गोया बाग में बुलबुल बहकते है।-भारतेंदु बंटवारा । विमानन । बटाई। २ गरिणत में वह क्रिया जिससे मं., माग १,पृ.५४७ । २. वक्त ता । माषण। कोई सख्या कई भागों में बांटी जाय। बडी संस्था का छोटी सेरी-पहा ली. [म. तकरुरी ] मुकरर होने की क्रिया या सस्या से विभाजन । भाग। माव । नियुक्ति । कि०प्र०-देना। -सक्षा पुं० [सं०तकुं] १ लोहे की वह सलाईजो सूत कातने यौ०--सकसीमेकार हर पक को मसग मलग काम का बौटना । के घर में लगी होती है और जिसपर सत लिपटता पाता तकसीमे मुल्क, तकसीमे वतनदेशका विभाजन यावारा।