पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३३

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जन्याती जटामासो जन्वाती-वि०म० जज्बाती] भावना में बहनेवाला । भावुक (को०]। जटाउ- सता पुं० [सं० जटायु] दे० 'जटायु'। १०-मागे मारग जमकना-क्रि० स० [अनु॰] विचकना । उझफना । चौंकना। रोक जटाम। मार गयो तिहिं रावण राक-कबीर उ०-जझकत झमकत लाल तरगहि।-माधवानल०, सा०, पृ०४०। पृ० १६४। जटाचीर-सपा पुं० [सं०] महादेव । शिव। जमर्रा-संह पुं० [हिं० झरना] लोहे की चद्दर का तिकोना ट्रकहा जटाजिनी-साप्त पुं० [सं० जटाजिनिन] जटा भौर मृगचर्म धारण चो उसमें से तवे काटने के बाद बच रहता है। . फरनेवाला । जल-सष्ठा पु० [सं० यज्ञ] दे० 'यज्ञ'। उ०-केन पारि समझाने जटाजूट-सपा पुं० [सं०] १. जटा का समूह। वहत से सदे बढ़े हुए भंवर न काटे घेष । कहें मरी है पितउर जज्ञ करौ पसुमेध । घालो का समूह । उ०-जटाजूट दृढ़ बांधे माथे।-मानस, --जायसी (शब्द०)। ६५५२ शिय की जटा। जज्ञास-वि० [सं० जिज्ञास] दे० 'जिज्ञासू'। उ०—जो कोई जज्ञास जटाज्वार--सपा ० [सं०] दीप । चिराग [को। है, सदगुरु सरण जाह । सुदर ताहि कृपा करे ज्ञान कह जटाटंक-ठा पुं० [t० जटाटक] शिव । महादेव । समुझाइ ।-सुदर , भा॰ २, पृ. ५१५। जटाटीर-सा पुं० [सं०] महादेव । जट-सधा पुं० [ देश० , हिं० झाड ] एक प्रकार का गोदना जो जटाधर-सहा. [सं०] १ शिव । २ एक बुद्ध का नाम । ३. झाडी के भाकार का होता है। दक्षिण के एक देश का नाम जिसका वर्णम वृहत्सहिता में जट-सा पुं० [हिं०] दे० 'जाट'। माया है। ४. जटाधारी। ५ सस्कृत के एक कोशकार का जट :--सधा बी० [सं० जटा] ३० 'जटा'। 30-मैं पढ़ मैं बह मैं नाम (को०)। घड़ मांटी। मण सना जट का दस गांठी ।-कबीर पं०, जटाधारी'-वि० [सं० जटापारिन् ] जो जटा रखे हो। जिसके पृ० १७६। जटा हो । जटावाला। यो०-जाटजूट-जटाजूट । उ०-फोदष्ट फठिन चढाइ सिर जटाधारी-सशा पुं०१. शिव । महादेव । २ मरसे की जाति का अटजूट बांधत सोह क्यों।-मानस, ३।१२। एक पौधा जिसके ऊपर फलगी पाकार के लहरदार साल जटना'-क्रि० स० [हिं० जाट धोखा देकर कुछ लेना । ठगना । फूल लगते हैं । मुर्गकेश । ३, साधु । पैरागी। संयो०नि०-जाना ।-लेना। जटाना-कि० स० [हिं. जटना] जटने का प्रेरणार्यक रूप । जटाना---फि०म० [हिं० जटना] पोखे में भाकर अपनी हानि कर जटना -क्रि० स० [सं० जटन] जहना। ठोंककर लगाना। ७०-पाट जटी मवि श्वेत सो हीरन की प्रवली।-केशव बैठना । ठगा जाना। (शब्द०)। जटापटल-सक्षा पुं० [सं०] वेदपाठ करने का एक बहत जटिल जटल-सषा बी० [सं० जटिल] व्ययं मोर झूठ मूठ की बात । गप। प्रकार या कम । कहते हैं, यह क्रम हपग्रीव ने निकाला था। बकवाद । उ०--अपना बहुत समय • इधर उधर फी जटल। जटामडल-सहा पुं० [सं० जटामण्डल] जटाजूट । जूडा। जटापिट होकने में खो देते हैं। शिक्षागुरु (शब्द०)। [को०)। जटामाली-सपा पुं० [सं० जटामालिन] महादेव । शिव । क्रि० प्र०-मारना। हांकना। यौ०-जटल काफिया = गपशप । बेतुकी बात । अटपटांग वात । जटामांसी-सहा स्त्री॰ [सं०] दे० 'जटामासी' । जटसमाज - बकवादी। गप होकनेवाला। जटामासी-समा श्री० [सं० जटामासी] एफ सुगधित पदा, जो एक जटल्ली-वि० [हिं० जटल] गप्पी। जटलबाज । वनस्पति की जड है । बालघर । बालचर। जटपान-सहा त्री० [सं० जटा] दे० 'जटा'। 30---कनवा फड़ाय विशेष—यह वनस्पति हिमालय मे १७००० फुट तक की ऊंचाई जोगी जटवा चढ़ोले ।-कवीर श०, भा॰ २, पृ० १५ । पर होती है। इसकी हालियो एक हाथ से डेढ़ दो हाप तक लवी पौर सौके की तरह होती है जिनमें पामने सामने डेढ़ गटा-सक्षा बी० [सं०] एक में उलझे हुए सिर के बहुत बड़े बड़े बाल, दो प्रगुल सपी पौर माघे से एक अंगुन तफ चौडी पत्तियाँ जैसे प्राय साधुमों के होते हैं। होती हैं। इसके लिये पथरीली भूमि, जहाँ पानी पहा करता पर्या०-जटा। जटि । जटी। जूट । शट । कोटीर । हस्त । हो या सदी बनी रहती हो, भाषिक उत्तम है। इसमें छोटी २ जड़ के पतले पतले सूत ! झकरा। ३ एक में उलझे हुए उंगली के बराबर मोटी काली भरी पत्तियाँ होती हैं जिन- बहुत से रेशे प्रादि । जैसे, नारियल की जटा, परगद की पर तामडे रग के बाल या रेशे होते हैं। इसकी गध तेज जटा। ४ शाखा। ५. जटामांसी। ६ जूट । पाट । ७ मोर मोठी तथा स्वाद कड़या होता है। वैधक में जटामासी कौछ। केवीच 1८, शतावर। रुद्रजटा । वालछह। १०. बलकारक, उत्तेजक, विपन तथा उन्माद मौर कास, श्वास वेदपाठ का एक भेद जिसमें मत्र के दो या तीन पदों को मादि को दूर करनेवाली मानी गई है। लोगों का कथन है क्रमानुसार पूर्व मोर उत्तरपद को पृथक् पृथक् फिर मिला कि इसे लगाने से बाल बढ़ते मौर काले होते हैं। खीचने से कर दो बार पढ़ते हैं। इसमें से एक प्रकार का तेल भी निकलता है जो मौषध मोर