पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०६

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डिड ___होता है। डिभगना नीला 1-रघुराज (शब्द०)। (ख) सखि कजन को परम जिसे कठरोहिणी कहते हैं। उ०—कोति का छोटा भाई सलोना भाल' डिठौना देही। भनु पकज कोना पर बैठो मलि- मफस्मात् एफ विचित्र रोग का शिकार बन गया है । डाक्टरों छोना मघु लेही ।-रघुराज (पन्द०)। ने कहा डिप्थीरिया हो गया है। पौरतों ने कहा हन्ना रब्बा। -सन्यासी, पु०१६. डिडां-वि० [सं० दृढ़ ] दे० 'दृढ़। उ.-नहि बाल वृद्ध किस्सोर ___ तुम धुम समान पैडिड खरी।-पृ० रा०,२१५१०। डिप्लोमा--सप्मा पुं० [५. विद्यासनपिनी योग्यता का प्रमाणपत्र । सनद । डिडिका- समा स्त्री॰ [सं० ] मुहासा । टिप्लोमेसी-सपा श्री० [मं०] १. वह चातुरी या कौशल को डिडकारा, डिडकारी- सक्षा श्री [ मनु.] पशुमों का गुर्राना। कार्यसाधन के लिये, विशेषकर राजनीतिक कार्यसाधन के डिडई-सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का घान जो भगहन में तैयार लिये किया जाय । कूटनीति। २. स्वतत्र राष्ट्रों में मापस का व्यपहार सबध । राजनीतिका सवध। डिड़वा-सचा पु. [ देश० ] हिडई नाम का धान जो प्रगहन मे तैयार डिप्लोमैट-सा पुं० [अ०] वह जो रिप्लोमेसी या कूटनीति में होता है। चिपुरण हो। कूटनीतिश । डिडिका-सचा स्त्री० [सं०] एक रोग जिसमें युवावस्था में ही बाल डिफेंस-सपा पुं० [ मं०] पारक्षा। बचाव । सुरक्षा। २. सफाई पकने लगते हैं। (पक्ष सबधी)। डिडियाना-क्रि० म० [ अनु० ] शोक के मावेग में गाय का रंभाना । उ०-परी धरनि धुकि यो बिललाइ । ज्यों मृतवच्छ डिफेमेशन-सया पुं० [म.किसी की मप्रतिष्ठा या अपमान करने के लिये गहित शब्दों का प्रयोग। ऐसे गदे शन्दों का प्रयोग गाइ डिडियाह।--नंद. न.पू. २४२ । जिससे किसी की मानहानि या वेइज्जती होती हो। हतक डिढा-वि० [सं० दृढ़, प्रा. डिढ ] दृढ़ । पक्का । मजबूत । उ०- इज्जत । जैसे,-इघर महीनो से उनपर डिफेमेशन केस पल सुनि दुदुभि धु फार घराघर घरघर बुल्लिय। दिल न रहे रहा है। इड्ढार, बाघ बनचर वन इल्लिय ।-सुजान०, पृ० २६ ।। रिबिया-सा पी• [ हिं. ठिबा+इया (लध्वर्थक प्रत्य०) ] वह डिढय -वि० [सं० ] दे॰ 'डिल' । उ०-सेस सीस लचि झार छोटा ढक्कनदार परतन जिसके ऊपर ढक्कन अच्छी तरह डिढय डाढार करविकय ।-रसरतन, पु. १०४ । जमकर बेट जाय और जिस में रखी हुई चीज हिलाने लाने डिदाना --क्रि० स० [हिं० दिढ़ ] १, पक्का करता। मजबूत से न गिरे। छोटा डिब्बा। छोटा सपुट। जैसे, सुरती करना। २ ठानना । निश्चित करना। मन में घट विचार को दिविया। करना । डिवियारि-सप्ना स्त्री० [सं० जिहा] दे० 'जिह्वा' । उ0--राम, राम डिढ्या-सहा स्त्री॰ [ देश० ] मत्यत लालच । लालसा । कामना । राम, रतन लागी डिबिया ।-पोद्दार मभि.प्र., पृ०६६७ । तृष्णा। 30-सग्रह करने की लालसा प्रवल हुई तोजोरी से,

डिविया टॅगड़ोस श्री० [हिं०] कुश्ती का एक पेच ।

चोरी से, छल स, खुशामद सै, कमाने की डिढचा पडेगी और खाने खचने के नाम से जान निकल जायगी।--श्रीनिवास विशेष-यह पेंच उस समय किया जाता है जब जोड (विपक्षी) दास (शब्द०)। कमर पर होता है और उसका दाहिना हाथ कमर में लिपटा होता है। इसमें विपक्षी को दाहिने हाथ से जोड का गायाँ डित्थ-सचा पु० [सं०] १ काठ का बना हाथी। २ विशेष लक्षण __ हाथ कमर के पास से दाहिने जोय तक खीचते हुए मोर बाए वाला पुरुष । हाथ से लगोट पकरते हुए बाए पैर से भीतरी टांग मारकर विशेष-सौवले, सुदर, युवा भौर सर्वशास्त्रवेत्ता विद्वान् पुरुष गिराते हैं। को हित्य कहते हैं। डिवचरम पुं० [म.]. वह कागज या दस्तावेज जिसमे कोई डिनर-सच्चा मुं० [म.] रात का भोजन । उ०—कहो, सुना तुमने अफगर किसी कंपनी या म्युनिसिपलिटी आदि के लिए हुए भी है कुछ, सेठ हमारे रामचद्र ने, प्राज दिया हम सब लोगो ऋण को स्वीकार करता है । ऋण स्वीकारपत्र । २. मास को को, है फरपो में एक डिनर-मानव, पृ०६८। रफ्तनी के महसूल का रवन्ना । परमट का वसीका । बहती। डिपटी-सना पुं० [म. डेपुटी ] नायब । सहायक । सहकारी । जैसे, डिवा-समा पु० [ वैलग या सं० ढिम्ब (-गोला) वह छोटा डिपटी कलक्टर, डिपटी पोस्टमास्टर, डिपटी ईसपेक्टर । ढक्कनदार वरतन जिसके कपर उस्कन पच्छी तरह जमकर डिपाजिट-सहा पुं० [म.] घरोहर । समानत । उहवील । बैठ जाय और जिसमे रखी हुई चीज हिलाने लाने से व डिपार्टमेंट-सपा पुं० [अ०] महकमा। सरिता विभाग । गुदाम । गिरे। सपुट । २ रेलगाडी की एक गाडी। ३ पसली के दर्द समानतखाना ! जखीरा । भांडार । जैसे, बुकहिपो। की बीमारी जो प्राय बच्चों को हमा करती है। पलाई चलने डिप्टी-सक्षा पुं० [१० डिपटी] दे० 'डिपटी'। जैसे, डिपटी की बीमारी। कट्रोलर। डिब्बी-संशा पी० [हिं० डिन्मा ] ३० डिरिया । डिप्थीरिया-सहा पुं० [१०] छोटे पच्चों का एक सक्रामक रोग डिभगना-क्रि० स० [देश॰] मोहित करना। मोहना । बलना ।