पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०

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__जगपदिनी जगाना सगपतिनी-संशा श्री. सं० यमपली ] याज्ञिकों की वे लियो जगरा--संहा स्त्री० [म० शर्करा ] खजूर की खाट। जो कृष्ण को भोजन देने गई थीं। २०-जगपतिनीन अनुग्रह जगल-ससा पुं० [सं०] १. पिष्टी नामक सुरा । पीठी से बना दैन। बोले तब हरि करुना ऐन।-नद० प्र०, पृ० ३००। हुमा मद्य । २. शराब की सीठी। कल्क । ३ मदन वृक्ष । बगप्रान -सज्ञा पुं० [जगत् +प्राण] वायु । समीरण। 10- मैनी । ४.कवच । ५ गोमय । गोबर । पावत ही हेमंत तो कंपन लगो जहान । कोक कोकनद भे जगल-वि० धूतं । चालाक। । दुखी महित भए जगप्रान !-दीन०म०, १९५! जगयाना-क्रि० स० [हिं० जगना] १ सोते से उठवाना । निद्रा जगबंद -वि० [सं० जगत् + वन्द्य] जिसकी वदना ससार करे । मग करवाना। २. किसी वस्तु को मभिमषित करके उसमें संसार द्वारा पूजित। जगवंद्य । १०-प्रापनपी जुतज्यो कुछ प्रभाव लाना। जगवद है ।-केशव (शब्द०)। जगसूर -समा पु० [सं० जगत् + तूर ] राजा (स्व०)। उ०- जगयीती-संधा कीहि. जग+वीती ] जगत की चर्चा लौकिक 'बिनती कीन्ह पालि गिउ पागा। ए जगसूर । सीठ मोहिं 'लागा! जायसी (शब्द०)। जगभिपक -सपु० [हिं. जग+भिपक ] मोठ-मनेकार्थ, जगहॅसाई -सचा त्री० [हिं० जग+हंसाई] लोकनिदा । बदनामी। पृ० १०४। जगमग-वि० [मनु० ]१ प्रकाशित । जिसपर प्रकाश पडता हो। कुख्याति । उ०-बेवफाई न कर खुदा सूडर। जगहेसाई २ चमकीला । घमकदार । स०-हसा जगमग जगमग होई। म फर खुदा सू पर कविता को०, भा० ४, -कीर १०, भा० ३, पृ०६। पृ०५। जगमग-सहा बी० दे० 'जगमगाहट' ! जगह-मल्हा स्त्री० [फा० जायगाह ] १. वह अवकाश जिसमें कोई चीज रह सके। स्थान । स्थल । जैसे,—(क) उन्होंने मकान क्रि० प्र०-करना । —होना । बनाने के लिये जगह ली है। (ख) यही तिल धरने को जगह जगमगना -वि० [हिं० जगमग जगमगानेवाला । जगमग करने- नही है। वाला। चमकनेवाला । उ०-फूलन के खमा दोऊ फूलन के क्रि० प्र०—करना । छोडना-देना।-निकालना।-पाना । हाही पाए, फूलन की चौकी बनी हीरा जगमगना ।-नद -बनाना।-मिलना, मादि। पं., पृ. ३७४। मुहा०-जगह जगह-सव स्थानों पर । सब जगह। जगमगा-वि[हिं० जगमग दे० 'जगमग' 17०--जगमगा चिकुर २. स्थिति । पद। मतिहि सोहै राने जैसे पुरसही।-कवीर सा०, पृ० १.४। विशेष-कुछ लोग इस अर्थ में 'जगह' को क्रियाविशेषण रूप जगमगाना-क्रि०प० [अनु.] किसी वस्तु का स्वय पथवा किसी में बिना विभक्ति के ही बोलते हैं। जैसे, हम उन्हें भाई का प्रकाश पहने के कारण खूर चमकना । झलकना । की जगह समझते हैं। दमकना । 10-तरनितनया तीर जगमगत ज्योतिमय पुमि ३. मौका । स्पल । अवसर । ४. पद । भोहदा । जैसे,--(क) दो पै प्रगट सब लोक सिरताज 1-घनानद, पृ० ४६२ 1 महीने हुए उन्हें कलक्टरी में जगह मिल गई। (ख) इस जगमगाहट-सा स्त्री० [हिं० जगमग] घमक । चमचमाहट । दफ्तर मे तुम्हारे लिये कोई जगह नहीं है। जगमगाने का भाव। जगहर--सझा बी० [हिं० जगना ] जगना। जगने की अवस्था । जगमोहना-सहा ० [हिं० जग + मोहन ] मदिर का बाहरी प्रांगणा । उ०-सो वह ब्रह्मन तो बाहिर जगमोहन में प्रभुन जगने का भाव । फी माझा पाय के बैठ्यो ।—दो सौ बावन०, मा० १, जगाजोता-मक्षा श्री० [हि.] 'जगर मगर । जगमगाहट । पू० २६१। जगात-सचा पुं० [प्र. जगात ] १. वह धन प्रादि जो पुण्य के जगमोहनर-वि० [सं० जगत् +मोहन ] [ वि० श्री जगमोहिनी ] लिये दिया जाय । दान । खैरात । २ महसुल । कर । विश्व को मुग्ध करनेवाला। जगाती--सहा पु०[हि० जगात या फा० जकाती] १. महसूल या कर जगर-सधा पुं० [सं०] कवच । जिरहबकतर । लगानेवाला कर्मचारी। वह जो कर वसूल करे। उ०-घर जगरन -सम्रा पुं० [40 जागरण ] ३० 'जागरण' उ.-- के लोग जगाती लागे छीन लेंय करधनिया। -कवीर ०, जगन्नाय जगरन के प्राई। पुनि दुवारिका जाइ नहाई1- भा० १, पृ० २२ । २ कर उगाहने का काम या भाव । जायसी (शब्द॰) । जगाना-क्रि० स० [हिं० जागना या जगना का प्रे० रूप] नींद त्यागने जगरना -मता पुं० [सं० जगन्नाथ ] दे० 'जगन्नाथ'। के लिये प्रेरणा करना। जैसे,-वे बहुत देर से सोए हैं, उन्हें जगरमगर-सया पुं० [हिं०] १. पफपफाहट । चकाचौंध । २ जगायो । २ चेत में लाना। होश दिलाना । उद्बोधन कराना। माया । दे० 'जगमग'। 30-जगरमगर को खेल कोऊ नर चैतन्य करना । ३. फिर से ठीक स्थिति में लाना। ४ बुझती पावई । सोफ वेद की फेर जो सवै नचावई 1 - गुलाल०, या बहुत धीमी आग को तेज करना । सुलगाना । ५ गाँजा । पू०६६। प्रादि की मग्नि को तेज करना, जैसे, चिलम जगाना ।.