पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२१९

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टकटक टकसार उ.-टकझक सौ मुकि वदन निहारत अलक संवारत पसक न टकटोहना -क्रि० स.हि. टकटोना दे. 'टकटोलना' । उ०-- मारत जान गई नंदरानी ।-नद०० पृ३३८ । या पानफ उपमा दीवे को सुकवि कहा टकटोहै। देखन प्रग टकटक-क्रि० वि० [हि. टकटकाना 1 टकटकी लगाकर देखना। थके मन मे शागि कोटि मदन छवि मोहै।--सूर (शब्द०)। एकटक देखना। उ.---टकटक ताफि रही ठग भूरी पापा टकतंत्री-सहा बी० [सहिं० टक+सं० तन्त्री ] सितार के ढग का माप विसारी हो।-पलटू० मा० ३, पृ० ८४ एक प्राचीन वाजा। क्रि०प्र०-ठाकना । देखना। टना -स . [ स० टडू (= टांग) ] घुटना । टकटकाल -सपा पुं० [हिं० टक या म० पाटफ ] [स्रो० टकटकी] टकना-क्रि० प्र० [हिं० ] दे० 'टकना'! स्पिर रष्टि। टकटकी। 30-सुनि सो वात राजा मन जागा। टकवीड़ा-सा पुं० [ देश ] एक प्रकार की भेंट जो किसानो को पोर पटक न मार टकटका लागा। जायसी (शब्द०)। से विवाहादि के अवसरो पर जमीदारों को दी जाती है। टकटका-वि• स्थिर या बंधी हुई (दृष्टि)। उ०-ल्पासक्त चकोर मधवच । शादिया । कवक करि पावक को खाद कन । रामचन्द्र को रूप निहारत टकराना--शि.म.हिं० टक्कर]१ एक वस्तु का दूसरी वस्तु साधि टकाटक तकन :- देवस्वामी (पन्द०)। से इस प्रकार वेग के साथ सहसा मिलना या छु जाना कि टकटकाना-क्रि० स० [हिं० टक ] १ एक रक ताकना । स्थिर दोनों पर गहरा माघात पहुंचे। जोर से भिड़ना। धक्का या दृष्टि से देखना । उ०-टकटके मुख मुकी नैनही नागरी, ठोकर लेना। जैसे,—(क) चट्टान से टकराकर नाव चूर चूर उरहनों देत रुचि अधिक बाड़ी।-सूर (शब्द॰) । २ टकटक होना । (ख) अंधेरे में उसका सिर दीवार से टकरा गया। शब्द उत्पन्न करना। ३ फल गिराने के लिये किसी पेड़ प्रादि सयो० क्रि०--जाना। को हिलाना। २ इधर से उधर मारा फिरना। डोवाडोल घूमना। कार्य- टकटकाना-क्रि० स० [हिं० टका ( = सिक्का)] १ रुपए लेना ! सिद्धि की मात्रा से कई स्थानों पर कई बार माना जाना । चालाकी से रुपए लेना।२ घन कमाना । प्राय करना। घूमना । जैसे,—उसका घर मालूम नहीं मैं फहाँ टकराठा टकटकी--सबा ली [हिं० टक या स. पाटफी ] ऐसी तकाई जिसमें फिरूगा? उ.-जह तह फिरत स्वान की नाई द्वार द्वार बसी देर तक पक्षक न गिरे। मनिमेप दृष्टि । स्थिर दृष्टि । एकरात । सूर (शब्द॰) । गसी हुई नजर। 10---टकटकी चंद चकोर ज्यो रहत है। मुहा०-टकराते फिरना = मारे मारे फिरना । हैरान घूमना । सुरत और निरत का तार वाजै ।-कवीर श०, मा. १, ३ लड़ाई या झगड़ा होना। पु. ५८। टकराना--क्रि० स०१ एक वस्तु को दूसरी 'वस्तु पर जोर से क्रि०प्र०-लगाना। मारना । जोर से भिडाना । पटकना। मुहा०-टकटकी बंधना % स्थिर दृष्टि होना। टकटकी बाँधना= स्थिर में देखना। ऐसा ताकना जिसमें कुछ काल तफ मुहा०--माथा टकराना=(१) दूसरे के पैर के पास सिर पटक- पसक न गिरे। उ०-ौर की खोट देखती वेला। टकटकी कर विनय करना। प्रत्यत मनुनय विनय करना। (२) घोर प्रयत्न करना । सिर मारना । हैरान होना। लोग चक देते हैं।-चोखे०, पु०१५ । । २ किसी को किसी से लडा देना। टकटोना-क्रि० स० [हिं०] दे. 'कटोलना'। उ०-पुनि पीवत टकराव-सा पुं० [हिं० टकर+माव (प्रत्य॰)] टक्कर । टकराहट ही कच टकटोवे झूठे जननि र? --सूर (पाब्द०)। टकराहट-सक्षा सौ. [हिं० टकराना ] १. टकराने का भाव या टकटोरना -कि० स० [सं० त्वक (- चमडा)+तोलन (= अंदाज क्रिया। उ०--वह स्वर जिसकी तीखी सशक्त टकराहट से, . करना)] हाथ से छूकर पता लगाना या जांचना । स्पर्श द्वारा नारी की प्रारमा मे मी कुछ जग जाता है। 311०, पृ०७१ मनुसधान या परीक्षा करना। टटोलना । 10---(क) सूर २. सघर्ष ! लगाई। एकहू यग न कोपो मैं देखी टकटोरि ।-सुर (चन्द०)। (ख) नहि सगुन पायत एक मिसु करि एक पनु देखन गए । टकटोरि टकरी-सया स्त्री. देश० ] एक पेड़ का नाम । कपि ज्यो नारियल सिर नाइ सव वैठत भए।-तुलसीप, टकसरा-सश . [ देश०] एक प्रकार का वास जो मासाम. चटगांव पु० ५३ । २ तलाश करना। हूँढना। खोजना । - पौर बर्मा में होता है। इससे अनेक प्रकार के. सजावट के मोहिन पस्याहु तो टकटोरी देखो पन दै। स्वामी हरिदास सामान बनते हैं। (शब्द०)। __ टकसारा-सा खी० [हिं०] १. दे० 'टकसाल'। उ०-पारस टकटोलना-कि. स० [सं० त्वक (=पमड़ा)+तोलन (अवाज रूपी वीव है लोह रूप ससार। पारस से पारस भया, परख फरना) हाथ से एकर पता लगाना या जांचना । टटोलना। भया ठकसार !-कबीर (शब्द.)। टकटोइन- पु. [हिं० टकटोना ] स्टोसकर देखने को क्रिया। मुहा० टकसार वाणी प्रामाणिक बात । सुच्ची वाणी। स्पर्श । उ०-श्याम श्यामा मन रिझवत पीन कुचन टकटोहन । उ०-दूसरे कबीर साहब की जो टकसार वाणी है। कबीर —सूर (शब्द)। म०, पृ०१८ स्वर जिसकराने का मार नारी को