पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१०५

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जालोर जाहिल जालोर--सहा पुं० [सं०] कश्मीर में बिहार या पग्रहार का नाम जाषक-सा पुं० [सं०] पीला बदन। को। जापनी -हिं०] दे० 'यक्षिणी'। उ०-राघौ करी जापनी पूजा। जाल्म-वि० [सं०] १. पामर । नीच । २. मूर्ख । बेवकूफ । ३ चहे सुभाव दिखावै दूजा । ---जायसी (शब्द०)। क्रूर । कठोर । निष्ठुर (को०)। जापरी-सचा स्त्री० [हिं० जापनी ] नटिनी । उ०--गीति गरवि जाल्म-सक्षा (०१ दुष्ट, धूर्त या फपटी व्यक्ति । १ निर्धन या जापरी मत्त भए मतरुफ गाव 1 ---वीति०, पृ. ४२ । पदभ्रष्ट व्यक्ति । ३. बुरा पाठ या वाचन करनेवाला जासु -वि० [सं० यस्य, मा० जम्स ] जिगया। व्यक्ति [को०। जासू-सफा पुं० [देश ] दे पान जो उस अफीम में मिलाने के लिये जाल्भक-पक्षा पु० [सं०] [स्त्री० जाल्मिका ] १ वह पो अपने काटे जाते हैं जिससे मदक बनता है। मित्र, गुरु या ब्राह्मण के साथ द्वेष करे। २. नीच या अधम या तुच्छ व्यक्ति। जासू -वि० [हिं० जासु ] ३० 'जासु'। जाल्य-सक्षा पुं० [सं०] शिव । महादेव । जासूस-सपा पुं० [अ० ] गुप्त रूप से किसी बात विशेषत अपराध जाल्य'–वि० जाल में फंसाए जाने योग्य [को०] । पादि का पता लगानेवाला। भेदिया । मुखबिर । नुफिया । जायका-मुक्षा पु० [सं० यावफ ] लाह से बना हुमा पैरों में लगाने जासूसो-सबा स्त्री० [हिं०] गुप्त रूप से किसी बात का पता लगाने का लाल रंग । पलता। महावर की क्रिया । जासूस का काम। जावत-क्रि० सं० [हिं०] दे० 'जावत' । उ०---जात पति हस्ति जासो -सर्व० [हिं०] जिससे । उ०-नददास दृष्टि जासों मनु मौ चांटा । सब फह भुगुति रात दिन बांटा। -जायसी प्र० को तरुनि पर ता ऊपर चद वारों करति भारति नित ।- (गुप्त), पृ० १२३ । नद०प०, पृ० ३७७ । जावता-प्रव्य [ सं० यावत् ] दे० 'यावत्' । जास्ती-वि० [म० प्यादतो से देरा० रूप] अधिक ! ज्यादा | उ.-- जावन -सशा पुं० [हिं० जावना ] जाने की क्रिया या भाव । गिरी ऐसी दमदार पी फि पार मर तौलते तो छह से जास्ती जाना। १०-नगे हि पावन मगे हि जायन झूठी रचिया सुपारी नहीं पढ़ा पाते तराजू पर ।-नई०, पृ०७८ । बाजी। या दुनिया में जीवन पोष्ठा गवं करे सो पाजी - जास्ती-सहा स्त्री०ज्यावती। कबीर य०, मा० २, पू० ४८ । जास्पति- ० [सं०] जामाता । जंवाई। दामाद । जानg+--सझा पुं० [हि० ] दे० 'सामन' । उ०-(क) नई जाह-समापुं० [फा.] १ पद । १.मान । प्रतिष्ठा । ३ गोरख दोहनी पौछि पखारी परि निधूम खीर पर तार्यो। सामें (को०)। मिलि मिश्रित मिश्री करि कपूर पुट जावन नायो -सूर जाह-सधा बी० [सं० ज्या] धनुप की डोरो। प्रत्यचा। 30- (शाब्द०)। (ख) तोष महत तय छमा जुराया। धृति वाम हाथ लीघ वाह जीभरणे कसीस जाह 1-रघु०२०पू० ७६ । सम जावन देह जमाव -सुली ( शन्द०)। जाहक-सशा पुं० [सं०] १ गिरगिट । २ जोक ! ३ बिछौना । सा पना-कि० ५० [हिं०] दे० 'जाना । 80-ऊमर वीठा बिस्तर । ४ घोंघा। जावता, हलहल करइ करूर । एराकी पोखभिया, जइसह केसी दूर।-ढोला०, दू०६४१ । जाहपरस्त-वि० [फा० ] १ प्रतिष्ठा का लोभी २ पदलोलुप । जावना-क्रि० प्र०[हिं० जनना ] जन्म लेना। उत्पन्न होना । ३. धड़े लोगों या अमीरों की भक्ति करनेवाला [को०)। 30-फहूँ कि हमरे घालफ जावै, बड़ी पपूर्बल दी। जाहरा-वि० [५० जाहिर 'जाहिर। -चरण वानी, पू. ७३ । जाहिद-सशा [मा जाहिद ] धर्मनिष्ठ । उ०-नही है जाहिदो जावन्य-सचा पुं० [सं०] १ वेग 1 तेजी। २ शीघ्रता [को०] । को मै सेती फाम | लिखा है उनको पेशानी में सिरका । जावरी-सबा पुं० [देश॰] १ ऊनके रस में पकाई गई खीर । कृषिठा फौ०, भा० ४, पृ० १६ । घखीर । २ कद्द के साथ पकाया हुमा चावल ! जाहिर-वि० [प्र. जाहिर १ जो छिपा न हो। जो सबके सामने जावा --सधा पु० पूर्वी एशिया का एक द्वीप । ययदीप । हो। प्रगट । प्रकाशित खुला हुमा । २ विदित । जाना हमा। जापा-सधा पुं० [हिं० जामन या जमना] वह मसाला जिससे शराब यौ०--बाहिर जहूर = जाहिर । जाहिरपरस्त = ऊपरी यातो चुनाई जाती है । वेसवार । जाया। पर दृष्टि रखनेवाला। जावित्री-सज्ञा स्त्री [सं० जातिपत्री ] जायफल के ऊपर का छिलका जाहिए-सहा मी० [सं० जाति ] मालती लता तथा उसका फूल । जो बहुत सुगधित होता है और प्रौषध के काम मे पाता है। जाहिरा- कि० वि० [ 10 ] देखने मे । प्रगट रूप मे। प्रत्यक्ष में। दे० 'जायफल'। जैसे,—जाहिरा तो यह बात नहीं मालूम होती पागे ईश्वर विशेष-वैद्यक में इसे हलका, परपरा, स्वादिष्ट, गरम, रुचि- जाने। कारक और कफ, खाँसी, वमन श्वास, तृषा, कृमि तथा विष जाहिल-वि० [अ०] १ मूख । अनाडी। प्रज्ञान । नासमझ । २. का नायक माना जाता है। मनपढ़ । विद्याहीन । जो कुछ पढ़ा लिसा न हो।