पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/९७

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खुरंम खुलापल्या खुर्रम-वि० [फा० खुर्रम] प्रसन्न । प्रानंदित । हर्पित । 30 यहाँ से रेल की एक नई लाइन गुलनेवाली है । ८. ऐसे नए दिल सूखुर्रम, मुफ सो खंयाँ शादमा ।-दपियनी०, पृ० . कार्य का प्रारंभ होना जिसका लगाव रासाधारण या बहुत . १५१। लोगों के साय रहे। जैसे,कारखाना शुलना। स्कूल खुर्रमी-संज्ञा स्त्री॰ [फा०] प्रसन्नता । मानय । हर्ष । गुलना, दूकान यनना । ६, किसी कारणाने, दूकान, दफ्तर खुर्राट-वि० [देश॰] १. बूढ़ा । युद्ध । २. अनुभवी । तजस्वकार । या और किसी पार्यालय का निस्य का चार्य प्रारंभ होगा। ३.चालाक पाइयो। उ०-अनेक युशामदी टट्टू और जैसे-अब तो दूफान एन गई होगी; जायो कपड़ा से प्रायो। . चापलूस खुर्राटों का वहीं जमघट रहता है। प्रेमपन०, १०. किसी ऐसी सवारी का रवाना हो जाना, जिसपर बहुत से भा. २, पृ० ८४1 भादमी एमा साथ पेटें। जैसे,--नाय पलना। रेलगाड़ी खुर्राटा-संशा गुं० [सनु० दे० 'खर्राटा'। गुलना। ११. किसी गूड या गुप्त बात का प्रगट हो जाना। खुर्रा-वि० [हिं० खुली, खुरी] जिसपर बिछावन न हो । बिना जैसे-(क) प्रब तो यह बात पल गई, छिपाने से क्या विस्तरवाली (खाट)। खरहरी । उ-दिन के दिन बच्चा लान, (5) इसका अर्थ गुछ चलता नहीं। खुर्रा खाट पर ण्डा माता को नैराश्य दृष्टि से देखा करता। मुहा---गने घाम, प ने यजाने, पले बाजार सब के सामने । । -मान०, भा० ५, पृ० १०१। सब की जान में छिपाकर नहीं । प्रकट में 1 खुशंद-वि० [फा० पुर्शद) प्रसन्न । हपित । प्रानंदी । १०--पर १२. अपने मन की बात साफ साफ कहना। भेद बताना। बार रुपए पैसे में मत दिल को तुम खुशंद करो। -रामधर्म, ___ जैसे,—(क) तुम तो कुछ गुनते ही नहीं, हम तुम्हारा. हाल से जाने । (प) मैं जब उससे यब मिलकर बात करने लगा, खुलती-संशा सी० हिं०] १. 'कुलथी। ब वह एस पढ़ा। खुलना-कि० अ० [सं० खुड, खुल = भेदन] १. किसी वस्तु के मिले संयो क्रि०-पढ़ना। या जुड़े हुए गागों का एक दूसरे से इस प्रकार अलग होना महा-पलपर= बेघदक । साफ साफ। जैसे-जो कहना हो कि उसके अंदर या उस पार तळ प्राना, जाना, घटोलना, यनफर यहो ।एल खेलना= सज्जा या फलंफ का भय । देखना श्रादि हो सयो । हिपाने या रोझनेवाली वस्तु का छोड़ कर कोई काम सबके सामने फारना । 10--जब मेरे हटना । अवरोध या पावरा फा दूर होना जैसे.--किवाद सामने तुम्हारा यह हाल है तो यहाँ .. तो और भी मूल खुलना, संदूक का ढक्कन खलना। सेलोगे ।-संर०, पृ०२०। विशेष----यावरण और मावत नघा अवरोधक और प्रवरुद्ध १३. सोहावना पान पढ़ना । पटकोला लगना। देखने में अच्छा दोनों के लिये इस क्रिया का प्रयोग होता है । जैसे-मकान लगना । सुशोभित होना । विसना। सजना। जैसे-यह खुलना, संदक खुलना, ढक्कन खुलना, मोरी खुलवा। टोली सफेद कपड़े पर चूब चुनती है। 30-तेरे श्याम संयो०कि०- जाना ।-पड़ना। विदुलिया बहुत सुनी । गोरे गोरे मुख पर श्याम विदुलिया ... नैनन में ग्यारे को धुलो।-भारतेंदु ग्रं०, भा०१, पृ० ३८६ ।। मुहा०-खुलकर बिना रुकावट के । खुद अच्छी तरह । जैसे,- खुलकर भूख लगना,खुनकार दस्त होना। खुलकर बैठना। मुहा०-जुलता रंग हलका सोहावना रंग। वह रंग जो बहुत .. खुला स्थान : धनावृत्त स्थान । ऐसा. स्थान जो घिरा न हो गहरा न हो। २.ऐसी वस्तु का हट जाना या तितरबितर हो जाना जो छाए खुलवा-संघा पुं० [देश॰] गती हुई धातु को सांचे में भरने या या घेरे हो । जैसे-वादल खुलना । ३. दरार होना शिगाफ ढालनेवाला । होना । छेद होना। फटना । जैसे-एक ही लाठी में ___ खुलवाना-क्रि० स० [हिं० खोलना] 'सोलना' फिया का प्रेरणा- .. सिर खुल गया। ४. बांधनेवाली या जोड़नेवाली वस्तु का पंक रूप । हटना। बंधन खा छूटना । जैसे-बेटी घुलना, गाँठ, खुलना, खुला--वि० पुं० [हिं० खलना] [चोपलो] १. बंधनरहित । जो बंधा . सीवन खुलना, टाँका खुलना। ५.किसी बाँधो हुई वस्तु का न हो। २. माच्छाद न रहित। ३. जिसे कोई एकावट न हो। . .छूट जाना, जैसे-धोती खुलना । घोड़ा खुल गया। अवरोधहीन । ४. जो छिपा न हो। स्पष्ट । प्रकट । जाहिर। . मुहा०-खल जाना=(१) गोठ से जाता रहना ।सो जाना मुहा०-ए ले बजाने - सबके सामने । किसी से छिपाकर नहीं। जैसे-माज बैटते ही १००) उसके भी खुल गए। (२) . ख ले दिल = उदारतापूर्वक । लेबंद =Qघटक । निःशंक । + स्पष्ट हो जाना । छिपा न रहना. प्रकट हो जाना। उ०-- खुले मैदान = सबके सामने । ख से खजाने । ला मैदान या वाह, सीधापन दो चार दिन में खुल जाएगा।—फिसाना०, स्थान-वह स्थान जहाँ चारों घोर से हवा पा सकती हो . भा०३ पृ० १४१।। और दृष्टि के लिए कोई अवरोध न हो । ली हवा वह हवा ।। ६.किसी क्रम का चलना या जारी होना । जैसे,-तनखाह जिसकी गति का प्रवरोध में होता हो। • खुलना । ७.ऐसी वानों का तैयार होना जो बहुत दूर तक खुलापल्ला--संघा पुं० [हिं० ला+पल्ला दोनों हाथों से एक साथ लकीर के रूप में चली गई हों और जिसपर किसी वस्तु का • या केवल थाएँ हाथ से तबले पर ख ली थाप देकर बजाना माना जाना हो । जैसे,--सड़क खुलना नहर खुलना । उ०- मारंभ करना-(संगीत)।