पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/८२

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-११:५८ खासी' नाता'। इसका व्यवहार ताल की गिनती ठीक रखने के उस स्थान में हो, जहाँ स्वयं राजा या प्रांत का शासक रहता . लिये किया जाता है। . . . . हो । हुजूर तहसील । जिला तहसील। . . बालू - संहा पु० [फा० साल] [ी खाला ] माता की वहन का खासदान-संशा ० [अ० खास+फा० दान ] मिनौरी का सामान - पति । मौसा । .... .. .. रखने का डिब्बा-पानदान। .. . बाले-क्रि०वि० हिं०] दे० खाला' या 'खान' (नीचा)11- खासनवीस संज्ञा पुं० [अ० खास+फा० नबीस] दे० खासकनम'। गुरु पिशु मातु स्वामि मिख पाले 1 चलन कुमग पग पर हि खासपसंद-वि० [अ० बास+फा पसन्द ] विशिष्ट लोगों को नखाले। -तुलसी (शब्द०)। .. . रुचने वाला 15-इबारत वही अच्छी कही जायगी कि जो जाव'-संज्ञा स्त्री० [सं० खम् ] खाली जगह । अबकाश । .. ग्रामफहम और खासपसंद हो। प्रेमवन०, १०४०६। : खावा संज्ञा स्त्री० [देश॰] जहाज की वह कोठरी जिसमें माल रखा खासबरदार-संज्ञा पुं० [प्र.खास+फा० बरवार ] वह सिपाही जो . जाता है ।-(श०) राजा की सवारी के साथ साथ सवारी के ठीक मागे मागे चावा-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'खावा' । ..... . ...चलता है। बाविद-संवा [फा० खाविंद पति । खसम 13०-खोलि खासबाजार-संशा पुं० [अ० खास+फा बाजार] वह बाजार.ची पलक चित चेत धजहूँ खाविंद सों ली लावं। कबीर शे०, राजा के महल के सामने या निकट हो और जहाँ से राजा वस्तुएं मोल लेता हो। मुहा०-वाविद कर-1=नया पति करना। खासमहल-संहा पुं० [अ० खास+महल] १. जनानखाना । अंतःपुर। .... २.मालिक । स्वामी।. २.प्रमुख वेगम । पटरानी [को०] . खाविदी-संका की० [फा० खावंबी] १. स्वामित्वं । पतित्व । २. खासमहल--संथा पुं० [अ० खास+महाल ] वह भूमि या संपत्ति ':' कृग । दया (को०)। जिसका प्रबंध सरकार स्वयं करे। खावी-संक्षा मी० [हि० खाना ] वह अन्न या धन जो मालिक खासह-संघा पुं० [अ० खासह.] एक प्रकार का महीन और सफेद '. अपने नौकरों को वर्ष के प्रारंभ में पेशगी देता है। सूती कपड़ा । १०--जिन तन पहने खासह. मलमल ।- खास-वि० [अ० खास ] १. विशेष । मुख्य । प्रधान । प्राम'. .... कबीर मं०, पृ० ४६० 1 . . . का उलट' । उ० - सुधि किये बलि जाइ दास प्रास पूजिहै खासा-संका [प्र. खामह.] १. राजा का भोजन । राजभोग। .. खास खीन की 1-तुलसी (शब्द०)। . . . . .. २. राजा की सवारी का घोड़ा या हाथी । ३. एक प्रकार का महा०- खासकर - विशेषतः । प्रधानत: खास खास = चुने चुने। .... पतला सफेद सूती कपड़ा। 30-(क) विस्वा पोड़े खासा चनिदेशक और प्रतिष्ठित । जैसे,-खास खास लोगों को ..मलमल |--कवीर श०, भा०३, पृ० ५११ (ख) तव श्री न्योता दिया गया है । .. ... .गुसाई जी खासा को थान रुपैया नव को नारायनदास की २ निजका । प्रात्मीय । चाहता 1 प्रिय । जैसे, यह खास घर' ... नजरि करायो।दो सौ वावन०, पृ० १२४ । ४. . . के यादमी हैं। उ०-खास दास रादरी निवास तेरो तास घर मोयनदार पूरी । ' . . तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये । -तुलसी (शब्द०)। खासा--वि० पुं० [प० या उदू]वि. श्री० खासी] १.अच्छा ।. ३.स्वयं । खुद । जैसे,-खास राजा के हाथ में इनाम लूगा । ... भला । उत्तम । २. स्वस्थ । तंदुरुस्त । नीरोग J३. मध्यम ४ ठीक । ठेठ । विशुद्ध । जैसे,--यह खास, दिल्ली को ..श्रेणी का । ४. सुदौल । सुदर । ५. भरपूर । पूरा। .. बोलचाल में लिखा गया है। .. .. : ::: खासादार-संशा पुं० [अ० खासह +फा० दार (प्रत्य०)] मुख्य खास-संवा पी० [अ० कोमा] १. गाढ़ें कपड़े की वह चली प्रबंधक । प्रधान । उ०—ौरन अस्तवन के खासादार को . जिसमें शक्कर भरकर बोरे में भरी जाती है । २. कपड़े की . इससे विशेष लाभ हुया होगा।-किन्नर०, पु० २६ । . वह चली जिसमें दनिए नमक चीनी आदि रखते हैं। खासियत-संचा स्री० [अ० खासियत] १. स्वभाव 1 प्रकृति । खासकलम-संज्ञा पुं० [अ० खास + कलम] वह लेखक या सहायक प्रादत । २. गुणा । सिफत । हुनर । जिसे बड़े लोग अपने निजी कार्यों के लिये रखते हैं । निज का खासिया-संवा स्त्री० [सं० ] १. अासाम की एक पहाड़ी फा . . मुंशी । प्राइवेट सेक्रेटरी। . :.:.... " नाम । २. इस पहाड़ी में रहनेवाली एक जंगली जाति । खस । . खासगी-वि०प्र० सास+गी(प्रत्य०)राजा या "मालिक खासियाना-संशा पुं० [हिं० खासिया] एक प्रकार की मंजी जिसका आदि का। निज का।

... . ... 'पहुत अच्छा हाता हा यह खासिया से आती है। खासवराश-संज्ञा पुं० [फा० खास+तराश ] वह नाई जो राजा खासी-वि० स्त्री० [अ० खासह] 'खासा' का स्त्रीलिंग रूप । के बाल बनाया करता हो। - उ-खासी परकासी पुनर्वासी चंडिका सी जाके वासी खासतहसीद-संशा जी [प्र० सास तहसील ] वह तहसील जो अविनासी अधनामी ऐसी काशी है ।-भारतेंदु ग्रं०, मा० १, पू०२८२ . . . . . प्रबंधक