पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/६९

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सससस ११४५ ... खस्तनी स्थानांतरित करना । हटाना । २. गुप्त रूप से कोई चीज खसम-संज्ञा पुं० [सं०] एक बुद्ध का नाम किो०] 1 . हटाना या देना । जैसे-उन्होंने सौ रुपए खसकाए, तब खसरा-संप्टा पुं० [अ० खसरह] १. पटवारी का एक कागज जिनमें पिंड छूटा। - प्रत्येक खेत का नवर, रकवा यदि लिखा रहता है। . संयो० क्रि०-देता। जैसे-चार दिन पहले ही उन्होंने सब यौ०-खसरा प्राचादी-गाँव की जनसंख्या और घर ग्रादि के .. चीजें खसका दी थीं। लेखाजोखा का विवरणपत्र जो पटवारी के पास रहता है। खसखस-संज्ञा स्त्री० [सं० खसखस ] पोस्ते का दाना। . खसरा तफसीम = जमीन जायदाद के बँटवारे का खसरा।। विशेष—यह माफार में सरसों के बरावर और सफेद रंग का किसी हिसाव किताव का कच्चा चिट्ठा । . . . होताधक में इसे कफनाशक और मादक माना है और खसरा-संघा पुं० [फा० सारिश ] एक प्रकार की खुजली जिगम इसके अधिक सेवन से पुरुषत्व की हानि घतलाई गई है। बहुत कष्ट होता है। . . खसखसा-वि० [अनु०] [बी० खसखसी] जिसके कण दबाने से खसर्प, खसर्पण---संज्ञा पुं० [सं०] बुद्ध । बाल की तरह अलग अलग हो जायें । भुरभुरा । उ०---बाल सलत संघानी खस्लत स्वभाव । पादत । प्र? जैसी खसखसी, उज्ज्वल जैसी धूप । ऐसी मीठी कुछ नहीं जैसी खासियत । मीठी चूप ।-(शब्द०)। क्रि०प्र०-ढालना 1-पड़ना। खसखसी-वि० [हिं०खसखस] [की खसखसी] खसखस की तरह खसाना-क्रि० स० [हिं० खसना ] नीचे की घोर हवेलना या । का । बहुत छोटा ; जैसे-खसखसी दाढ़ी। फेंकना । गिराना। खसखाना-संक्षा पुं० [फा० खसखानह..] खस की टट्टियों से घिरा खसारा--संघा पुं० [अ० असारह] हानि । बाटा । नुकसान [को०। हुमा स्थान । वह घर या कोठी जिसके चारों ओर खस की खसासत-संशा सी० [अ०] १. कृपणता। कंजूसी । २. नीचता ।। हटिटयां लगी हों। उ०-घाय धंसी खसखानन हाथ निफु जन अधमता को पुज फिरी भरमी मैं ।- दत्त (शब्द०)। खसिधु-संशपुं० [सं० खसिन्धु] चंद्रमा [को०)। खसखास-संचा सी० [हिं०] दे० 'खसखस'। खसिया'- वि० [अ० खस्सी] १. जिसके अंरकोप निकाल लिए गए खसखासी संज्ञा पुं० [हिं० खसखस] पोस्ते के फूल का रंग । हलका होवधिया। २. न पुस्तक । हिजड़ा। आसमानी रंग। खसखासी-वि० पोस्ते के फूल के रंग का । हलका पासमानी। क खसिया --संक्षा पुं० [हिं० खसी बकरा। उ०--कह कबीर । दूनी भूले रामहि किन न पाया। वे खमिया वे गाय टा खसतिल-संथा पु० [सं०] पोस्ता को०] । बाद जन्म गवाया। कबीर (शब्द०)। .. .... खसना@-क्रि० - [देश/खस ( खसइ) पिरता है अथवा खसिया--संशा मी दिश०] १. एक पहाड़ी का नाम जो प्रासाम हिं० खसकना अपने स्थान से हटना । खसकना । गिरना। में है । २. इस पहाड़ी के पासपास का प्रदेश । ज०-चला उ०—(क) खसी माल मूरति मुसुकानी ।-तुलसी (शब्द॰) । परबती लेइ कुमाऊँ खिसिया मगर जहाँ लगि नाऊँ।- (ख) सदा कहत कर जोरि वचन मृदु मनहुँ खसत मुख फूला। जायसी (शब्द०)। रघुराज (शब्द०) । २. कूदना । गिरना। फांदना। उ०- अवलोकव नहि तनिक रूप अखि प्रछाइस कइसे खसब कृप ।। खसियाना-क्रि० स० [हिं० खसी या खसिया] अंडकोश निकालकर या कूटकर पुस्त्वहीन करना । वधिया करना। नपुंसक --विद्यापति, पृ० १६६ । बनाना।। खसनीव-संज्ञा पुं० [?] एक प्रकार का गंधाबिरोजा जो शीराज से आता है। खसी-संज्ञा पुं० वि० [अ० खस्सी] दे॰ 'खस्सी'। . खसपोश-वि० [फा० खस + पोश ] घास फूस से ढंका हमा खसीस-वि० [अ० खतीस] १. कंजूस । सूम। कृपण । २. कमीना । घास से ढंका हुअा [को०] । पामर । नीच (को०)। . खसफलक्षीर--संज्ञा पुं० [सं०] पोस्ते के फल का दूध या रस ।। खसोंट-संवा स्त्री० [हिं० खसोटना] १. बुरी तरह उखाड़ने यो . अफीम [को॰] । नोचने की क्रिया । २. बलपूर्वक्ष लेने या छीनने की क्रिया। खसबो -संशा स्त्री० [फा० खुशबू सुगंध । सौरभ । खसोटना--क्रि० स० [सं० कृष्ट] १. बुरी तरह उखाड़ना या उचा- खसम-संज्ञा पुं० [अ०] १. पति । खाविंद । उ०-जियत खसम हना । नोंचना । जैसे-(क) बाल खसोटना । (ख) पत्ते .. किन भसम रमायो।- सूर (शब्द०)। खसोटना ! २. बलपूर्वक लेना । छीनना। ... मुहा०-- खसम करना = किसी स्त्री का किसी पुरुष से पति खसोटा--संक्षा पुं० [हिं० खसोटना] कुश्ती का एक पंच। संबंध स्थापित करना। खसोटी-संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'खसोट' । . यो --खसमपीटी- पति की मृत्यु देखनेवाली । विधवा (गाली)। खस्खस--संशा स्त्री० [सं०] पोस्ता । खसखस [को०] । २. स्वामी । मालिक । ६०-खसम विन तेली के बल भयो।- खस्तगी--संवा श्री० [फा० खस्तगी भुरभुरापन । खस्तापन [को०1 कबीर (शब्द०)। ३. वैरी । दुश्मन । शत्रु (को०)।...'. खस्तनी--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] पृथियो। ...::., :. सूखी