पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

छेड़ना १६५२ ४. दौड़ की बाजी में किसी को पकड़ना । ५. उन्नति का समान श्रेणी में पहुँचना । जैसे,—यह लड़का अभी छठे दरजे में है पर दो बरस में तुम्हें छू लेगा। ६. धीरे से मारना । जैसे, तुम जरा साउने से रोने लगते हो। ७.थोड़ा व्यवहार करना। बहुत कम काम में लाना । जैसे, छुट्टी में तुमने कभीकिताब छुई है। ८. पोतना । लगाना । जैसे,—चूना छूना, रंग छूना । छही'--संशा स्त्री० [हिं० छोई] सीठी। खोई। छोई। उ०-छामत द्वार फिर निस वासर कोड़ी को सब भू ही। अमृत छाडि निलज्ज मूढ़ भति पकरत नीरस छुही।-सुंदर अं०, भा०२, पृ०८४० । छही-संज्ञा स्त्री० [सं० स्तूप?] १. मिट्टी या ईंट की छोटी दीवाल। २. कुएँ की जगत पर कच्ची मिट्टी के बने स्तूप । छूरा-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'शुरा'। छूरो -संशा श्री० [हिं० छुरा दे० 'छुरी' । छैक-संज्ञा स्त्री० [हिं०] छेकने का भाव । यो०-छेक छोक । रोक छैक । छेकना-क्रि० स० [सं०/छद् (=ढाँकना)+करण अथवा सं० छेवफ (=काट मेवाला, ला० रोकना, घेरना, बाधक होना), प्रा०* छेप्रक> छफ>हिOVफ+ना (प्रत्य॰)] १. आच्छादित करना । स्थान घेरना । जगह लेना । जैसे,—(क) कितनी जगह तो यह पेड़ छेके है । (ख) इस रोग की दवा करो नहीं तो यह सारा चेहरा छैक लेगा। २. घेरना । रोकना । गति का अवरोध करना । रास्ता बंद करना । जाने न देना। उ०---(क) प्रभु करुणामय परम विवेकी । तनु तजि रहत छोह किमि छैकी । -तुलसी (शब्द०)। (ख) मेघनाद सुनि स्रवन प्रस गढ़ पुनि छेका पाइ। उतरि दुर्ग ते बीर वर सम्मुख चलेउ बजाइ।-तुलसी (शब्द०)। ३. लकीरों से घेरना । रेखा के भीतर डालना। ४. लिखे हुए अक्षर को लकीर से काटना । मिटाना । जैसे,—इस पोथी में जहाँ जहाँ अशद्ध हो छेक दो। उ०-सोइ गोसाई विधि गति जेइ छकी । सकइ को टारि टेक जो टेकी।—तुलसी (शब्द०)। छेवर-संघा पुं० [देश॰] एक घास जो चारे के काम आती है। घंटील । छेक-वि० [सं०] १. पालतू । घरेल । २. नागर । घिदग्ध । ३. शहरी । नागरिक [को०] । छक ---संज्ञा पुं० १. घर के पालतू पशु पक्षी । २. नागर व्यक्ति । ३ छेकानुप्रास । छेक-संज्ञा पुं० [हिं० छेद ] १. छेद । सूराख । १०- सत गुरु साँचा सूरमा शब्द जो मारा एक । लागत ही भय मिट गया परा कलेजे छेक 1- कबीर (शब्द०)। २. कटाव । विभाग । उ.- कबिरा सपने रैन में परा जीव में छेक । जैसे हुत्तो दुइ जना जो जागू" तो एक:-कवीर (शब्द०)। छेकनी-वि० [हिं० ,फना] छेकनेवाली। रोकनेवाली। उ०- यह इस्क की रीति च नीच कह देखनी । कई स्याम सों प्रीति लोक लाज सब छेकनी। -व्रज० ग्रं॰, पृ० ३५।। छेकानुप्रास-संशा पुं० [सं० ] एक शब्दालंकार । अनुप्रास अलकार के पांच भेदों में एक जिसमें एक ही चरण में दो या अधिक वणों की भावत्ति कुछ अंतर पर होती है। जैसे--प्रभोज अंबक अंबु उमगि सुग्नग पुलकावलि छई-मानस, १.३१५1 छेकापनति-संज्ञा श्री० [सं०] एक अलंकार जिसमें दूसरे के ठीक अनुमान या अटकल का अयथार्थ उक्ति से संटन किया जाता है। जैसे-सीसी कर न सिखात है करत अघर छत पीर । कहा मिल्यो नागर पिया ? नहिं सखि सिसिर समीर । यहाँ नायिका के घर पर क्षत देखकर सखी अपना अनुमान प्रकट करती है कि क्या नायक मिला था? इसपर नायिका ने यह कहकर कि नहीं शिशिर की हवा लगती है, उसके अनुमान का खंडन किया। छेकाल, छेकिल--वि० [सं०] दे० 'छक'। छकोक्ति-संश सी० [सं०] वह लोकोक्ति जो प्रतिरगभित हो अर्थात् जिससे पन्य मर्थ की भी ध्वनि निकले । जैसे,-जानत ससे भुजंग ही जग में चरण भुजंग ।-(शब्द०)। छेटा-संवा स्त्री० [सं० क्षिप्त, प्रा. छित्त] बाधा 1 रुकावट । उ०- कह्यो तुलिद भूप फर बेटा । ढाड देत में डारत छटा ।- रघुराज (शब्द०)। छेड़-मा श्री [हिं० छेद] १. छु या खोद खादकर तंग करने की झिया । २. व्यंग्य, उपहास आदि के द्वारा किसी को चिढ़ाने या तंग करने की गिया । हँसी ठठोली करके गुड़ाने का काम । चुटकी। यौ०--छेड़खानी । छेरछाद-हंसी ठठोली । चुटकी। ३. ऐसी बात या क्रिया जिससे दूसरा कोई चिढ़ । चिढ़ानेवाली बात । मुहा०--छेड निकालना=चिड़ानेवाली बात स्थिर करना। जैसे- उसे चिढ़ाने के लिये तुमने अच्छी छेड़ निकाली है। ४. रगड़ा। झगड़ा । परस्पर की चोटें । एक दूसरे के विपद्ध दाँवपेच । विरोध । जैसे,—उन दोनों में खूब छेड़ चली है । ५. बाजे में गति या शब्द उत्पन्न करने के लिये उसे छुने की मिया । बजाने के लिये किसी ( विशेषतः तारवाले, जैसे; सितार) वाद्य यंत्र का स्पर्श । छेड़ -संधा पुं० छेद । सूराख । छेडता-क्रि० स० [हि छेदना] १. छूना या चोदना खादना । दबाना । कोंचना। जैसे,—इस फोड़े को छेड़ना मत, दवा लगाकर छोड देना। २. छु या खोद खादकर भड़काना या तंग करना । जैसे,-फुत्ते को मत छेड़ो, कार खायगा । ३. किसी को उत्तेजित करने या चिढ़ाने के लिये उसके विपक्ष कोई ऐसा कार्य करना जिससे वह बदला लेने के लिये तैयार हो । जैसें.- तुम पहले उसे न छेड़ते से वह तुम्हारे पीछे क्यों पड़ता। ४. व्यंग्य, उपहास आदि द्वारा किसी को चिढ़ाना या तंग करना । हंसी ठठोली करके कुढ़ना । चुटकी लेना। दिल्लगी करना। ५. कोई वात या कार्य प्रारंभ करना । उठाना । शुरू करना । जैसे, काम छेड़ना, बात छेड़ना, वर्धा छेड़ना, राग छेड़ना, भादि । ६. बाजे (विशेषतः तारवाले)