पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७३

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- छटिक १६५१ छूना वियुक्त होना। बिछड़ना । जैसे, घर छूटना, भाई बंधु ह्व विपिया सेंगि लाग्यौ रोम रोम लपटायो ।-दादू०, छूटना । जैसे,--वह दूकान तो पीछे छूट गई । पृ०५८८ । संयो॰ क्रि० - जाना। छूत-मंशा स्त्री० [हिं० छूना] १. छूने का भाव । स्पर्श । संसर्ग । मुहा०-बंदुक छटना=बंदूक से गोली निकलना और शब्द छुवाब। होना । वंदूक चलाना। यौ० छुपा छूत । छूत छात। विशेष-बंदूक, पडाके आदि के संबंध में केवल शब्द होने के २. गंदी अशुचि या रोगसंचारक वस्तु का स्पर्श । अस्पृश्य का अर्थ में भी इस क्रिया का प्रयोग होता है। संसर्ग । जैसे,—(क) बहुत से रोग छत से फैलते हैं। (ख) ८. किसी बात का, जो रह रहकर बराबर होती रहे, बंद होना। शीतला में लोग छत बचाते हैं। किसी क्रिया का, जो समय समय पर बराबर होती रहे, यौ.. छूत का रोग, छूत की बीमारी = वह रोग जो किसी से दूर होना । न रह जाना। जैसे, माना जाना छुटना, यादत छू जाने से हो । स्पर्शजन्य रोग । छूटना, अभ्यास छूटना, शराब (अर्थात् शराबी का पीना) ___३. अशुचि वस्तु के छूने का दोष या दूषण । जैसे,--इस बरतन छूटना, दम छुटना, बुखार छूटना, रोग छूटना,चौथिया छूटना। ___ में कौन सी छूत लगी है ? विशेष--फोड़ा, बवासीर, फीलपाव प्रादि बाहरी शरीर पर मुहा०-छूत उतारना=अशुचि स्पर्श का दोष दूर होना। स्थायी लक्षण रखनेवाले रोगों के लिये इस क्रिया का व्यवहार ४. किसी मनहूस पादमी या भूत प्रेत की छाया। भूत आदि प्रायः नहीं होता। इसी प्रकार समय समय पर होनेवाली लगने का बुरा प्रभाव । बात का किसी एक विशेष समय में न होना छूटना नहीं मुहा०-छूत उतारना=भूत प्रेत की छाया का प्रभाव मंत्र से दूर कहलाता । जैसे, यदि किसी को बुखार चढ़ा है या सिर में करना। छूत झाड ना=दे० 'छूत उतारना'। दर्द है और वह दवा देने से उस समय दूर हो गया तो उसे छुति -संज्ञा औ• [हिं० छूत] भूत प्रेत या मनहूस अथवा कापालिक 'छूटना' नहीं कहेंगे 'उतरना' या 'दूर होना' ही कहेंगे । आदि की छाया । छूत । उ० - देखि भभूति छूति मोहिं लागे । मुहा०-नाड़ी छुटना-(१) नाड़ी का चलना बंद हो जाना। काँप चाँद, सूर सौं भागं । —जायसी ग्रं॰, पृ० १३४ । (२) नाड़ी की गति का अपने स्थान पर न मिलना । क्रि० प्र०-लगना। ६. किसी वस्तु में से वेग के साथ निकलना । जैसे,-रक्त की छूना'--कि० अ० [सं० छुर, प्रा० धुव+-हिं० ना (प्रत्य०), पूर्वी हिं० धार छूटना । १०. रस रस कर (पानी) निकलना । जैसे,--- छुचना] एक वस्तु का दूसरी वस्तु के इतने पास पहुचना कि इस तरकारी में से पकाते वक्त पानी बहुत छूटता है। ११. दोनों के कुछ अश एक दूसरे से लग जायें। एक वस्तु के किस। ऐसी वस्तु का अपनी क्रिया में तत्पर होना जिसमें से किसी अंश का दूसरी वस्तु के किसी अंश से इस प्रकार कोई वस्तु कणों या छींटों के रूप में वेग से बाहर निकले। मिलना कि दोनों के बीच कुछ अंतर या अवकाश न रह जाय । जैसे, पिचकारी छूटवा, फौवारा छुट ना,आतिशबाजी छूटना। स्पर्श होना । प्रांशिक संयोग होना । जैसे,-चारपाई ऐसे ढंग - मुहा--पेट छूटना-दस्त जारी होना। से बिछायो कि कहीं दीवार से न छू जाय । १२. काम आने से बचना । शेष रहना । बाकी रहना । जैसे, सयो० क्रि०-जाना। उसके पागे जो छटा है तुम खा लो। १३. किसी काम का या छूना-क्रि० स० १. किसी वस्तु तक पहचकर उसके किसी अंग को 'उसके किसी अंग का, भूल से न किया जाना । कोई काम करते अपने किसी अंग से सटाना या लगाना । किसी वस्तु की और समय उससे संबंध रखनेवाली किसी बात या वस्तु पर ध्यान न पाप बढ़कर उसे इतना निकट करना कि बीच में कुछ जाना । भूल या प्रमाद से किसी वस्तु का कहीं पर प्रयुक्त न अवकाश या अंतर न रह जाय । स्पर्श करना । संसर्ग में होना, रखा न जाना या लिया न जाना । रह जाना । जैसे, लाना । जैसे-धीरे धीरे यह ढाल छत को छू लेगी। लिखने में अक्षर छुटना, इकट्ठा करने में कोई वस्तु छूटना, संयो० क्रि०--देना । लेना। रेल पर छाता छूट जाना, आदि । मुहा० --- नाकाश धना=बहुत ऊचे तक जाना । बहुत ऊंचा संयो० कि०---जाना। - होना। १४. किसी कार्य से हटाया जाना। नौकरी से अलग किया २. हाथ बढ़ाकर उँगलियों के संसर्ग में लाना। हाथ लगाना। . जाना । बरखास्त होना । जैसे, नौकरी से छुटना । १५. किसी त्वगिद्रिय द्वारा अनुभव करना । जैसे,—(क) इसे छूकर देखो - वृत्ति या जीविका का बंद होना। रोजी या जीविका का न कितना कड़ा है। (ग) इस पुस्तक को मत छूयो। रह जाना । जैसे, नौकरी छूटना, बंधा हुमा सीधा छूटना। महा०--छूने से होना या छूने को होना= रजस्वला होना। १६. पशुओं का अपनी मादा से संयोग करना । ३. दान के लिये किसी वस्तु को स्पर्श करना । दान देना । जैसे, मुहा०-किसी पर छूटना=किसी मादा से संयोग करना । खिचड़ी छूना, बछिया छूना या छूकर देना । सोना छुना। छुटिक @+--संज्ञा पुं० ] हि० छूट] बंधन से मुक्ति । छुटकारा । उ० विशेष-दान देने के समय वस्तु को मंत्र पढ़कर स्पर्श करने का . जिन बातिन तेरो छूटिक नाही सोइ,मन तेरे भायौ । कामी . . विधान है। ..