पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५६८

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छुच्छ छुटाना १६४६ छुच्छा-वि० [सं० तुच्छ, प्रा० छुच्छ] १. थोड़ा। स्वरूप । कम । लघिमा नाम की सिद्धि । उ० --छछमुक्ता सिधि ताको लछिन। उ०-राम किसन कित्ती सरस कहत लगै बहु बार। छुच्छ मन माने वहाँ शरीर छाडे ।-गोरख०, पृ० २४८ । प्राव कवि चंद की सिर बहुमाना भार ।-पृ० रा०,२ छुट -प्रव्य० [हिं० छूटना] छोड़ कर । सिवाय । अतिरिक्त । ५८५ । २. दे० 'छूछा' । उ०- गरज छुच्छ होर सुख मारा। उ०---जब ते जन्म पाय जीव है कहायो । तब ते छुट अवगुण -~-कदीर सा०, पृ० १५५७ । इक नाम न कहि अायो।-सूर (शब्द॰) । छुच्छाई-वि० [हिं०] [वि० सी० छुच्छी] दे० 'छूछा'। छुट --वि० [हिं० छोटा] हिंदी छोटा का समासगत रूप । जैसे, छुच्छी--संटा नौ [ हिछा ] १ पतली पोली छोटी नली । छुटपन, छुटभैया। २. नरयट को चार पाच अंगुल लंबी नली जिसमें जोलाहे तागा छुटका, छटका' -संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'छुटकारा'। उ०-काम । लपेटकर उसे ढरकी में लगाकर बुनते हैं। नरी । ३. नाक में क्रोध अरु लोभ यह त्रिगुन बसे मन माहि । सत्य नाम पाए पहनने का एक गहना । नाक की कील । लौंग। बिना जम छुटको नाहिं ।- कबीर सा०, पृ. ४५६ 1 विशेप-यह लौंग की तरह का होता है, पर इसमें फूल की छुटकार-वि० [हिं०] [वि० को छुटको] दे॰ 'छोटा'। जगह चारों भोर उभड़े हुए रवे अथवा चंदक रहती है जिस- छुटकाना -क्रि० स०[ हिं० छटना ] [ संशछटकारा] १.. पर नग जड़े जाते हैं। इसके बीच में एक छेद भी होता है। छोड़ना । अलग करना। पकड़े न रहना । उ-किलकि जिसमें नथ डालकर पहनी जाती है। किलकि नाचत चुटकी सुनि हरपति जननि पानि छुटकाए।- ४. एक पतली नली जो एक तिकोनिए पर लगी होती है और तुलसी (भाब्द०)। २. छोड़ना । साथ न लेगा । उ०--माधव जिसमें वत्ती लगाकर गिलास में जलाई जाती है। ५. वह जू गज ग्राह ते छुड़ायो । चितवत चित ही में चितामरिण चक पतली नली जिसका एक छोर गिलास की तरह चौड़ा होता लए कर घायो । आते करुणा कारि करुणामम हरि गरूडहि है और जिसे लगाकर एक बरतन से दूसरे बरतन में तेल हूँ छुटकायो ।—सूर (शब्द०)। २. छुड़ाना । मुक्त करना। आदि ढालते हैं । कीप। छुटकारा देना । उ०--(क) लागि पुकार तुरत छुटकायो छुछंद -वि० [सं० स्वच्छन्द, हिं० सुछंद ] स्वच्छद । स्वतंत्र । काटयो बंधन को 1-सूर (शब्द॰) । (ख) हौँ बसि के बन मुक्त । उ०-जे बांध्या ते छुछंद मुकता बांधनहार बांध्या।- भूपति को सुनु, केकयि के ऋया ते छुटकाऊँ ।- हनुमान कथीर पं०, पृ० १४६ । (शब्द०)। ४. खोलना । फैलाना । दालना। उ०--द्वार छुछका-वि० [सं० तुच्छ, प्रा० छुछ] १. वह जो रिक्स हो । दे. झरोखनि जवनिका रुचि ले छुटकाऊ।-धनानंद, पृ० ३१३ । २. स्वल्प । तुच्छ । फूछा। छुटकारा--संज्ञा पुं० [हिं० छुटकाना या छूट ] २. किसी वधन छुछकारना-क्रि० स० [ अनु० ] १. कुत्ते को शिकार आदि के प्रादि से छटने का भाव या क्रिया । मुक्ति । रिहाई । २. पीछे लगाना । ललकारना। २. झिड़कना । डांट फटकार किसी बाधा, आपत्ति या चिता प्रादि से रक्षा। निस्तार । बताना । जैसे, ऋण से छुटकारा, विपत्ति से छटकारा । छुछमछरीt-वि०, संहा स्त्री० [हिं० छुछमछली] दे० 'छुमछली' । क्रि० प्र०—करना ।-पाना 1-मिलना ।- होना। छुछमछली- संज्ञा स्त्री॰ [मं० सूक्ष्म, पु० हिं० छूछम+मछली अथवा ३. किसी काम से छुट्टी। किसी कार्यभार से मुक्ति । सं० तुच्छ, पा० छुछ+हि० मछली ] मेढक के बच्चे का एक क्रि० प्र०-देना । —होना । . प्रारंभिक रूप जो लंबी पूछवाले कीड़े या मछली के बच्चे का छुटना'-क्रि० अ० [हिं० छूटना] दे० 'छटना। सा होता है । इसके उपरांत कई रूपांतर होने पर तब यह छुटना -वि० [हिं०] छोटा । लघु उ०-देखत को तो छूटनी अपने असली चतुष्पद रूप में प्राता है। बाल । ऐ परि माहि काल को काल-नंद ग्रं०, पृ० छुछमछली - वि० अस्थिर । चंचल । २३८ । छुछहड़--संशा स्त्री० [हिं० छूछी+हंडो छूछी होड़ी। छुटपना-संशा पुं० [हिं० छोटा+पन (प्रत्य॰)] १. छोटाई । मुहा०-छुछह दिखाना=(१) मांगने पर किसी वस्तु को देने से लघता । २. बचपन । लड़कपन । छुटभैया----संज्ञा पुं० [हिं० छोटा+मया ] साधारण हैसियत का इनकार करना या उसका प्रभाव बतलाना। छछहड़ । मिलना यात्रा के समय खाली घड़ा सामने दिखाई पड़ना । प्रादमी 1 छोटे दरजे का या निम्नवर्गीय व्यक्ति । छुटवाना -क्रि० स० [हिं० छोड़ना] दे० 'छोड़वाना' । अपशकुन होना। छुटाई --संज्ञा स्त्री० [हिं० छोटा] दे० 'छोटाई'। छुछुदर--संज्ञा पुं० [सं० छुछुन्दर] [स्त्री॰ छुछंदरी] छळू देर । यो०-छुटाई बड़ाई। छुछुप्राना-क्रि० प्र० [अनु० छुछु] छछू दर की तरह छू छू करते छुटाना 1-क्रि० स० [सं० छूट (= काटकर अलग करना)] छुड़ाना । फिरना । व्यर्थ इधर उधर घूमते फिरना । उ०--(क) तब गज हरि की शरण आयो। सूरदास प्रभु • छुछुमक्ता- संज्ञा स्त्री० [हिं०] हठयोगियों के अनुसार वह सिद्धि ताहि छुटायो ।- सूर (शब्द॰) । (ख) छुटे छुटावे जगत जिसे प्राप्त कर लेने पर मनुष्य हलका या सूक्ष्म हो जाता है।