पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५५१

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छाती १६२६ छाती ' छाती पर चढ़ जाना। उ०--अगर एक लफ्ज एक कलमा भी तेरी जबान से निकला तो छाती पर हूँगा ।फिसाना०, भा०३ पृ० ४७४ । छाती पिलाकर पालना=मनोयोग से पालना । कष्ट सहकर पालन पोषण करना । उ०--जान को ... वारकर जिलाती है, पालती है पिला पिला छाती !...-चोखे०, पृ०५। छाती पीटना=(१)छाती पर जोर जोर से हाथ पटकना । . (२) दुःख या शोक से व्याकुल होकर छाती पर हाथ पटकना । " शोक के प्रावेग में हृदय पर आघात करना। (छाती पर हाथ · पटकना शोक प्रकट करने का चिह्न है)। जैसे छाती पीट पीट- कर रोना । छाती फटना=(१) दुख से हृदय व्यथित होना। दुःख शोक प्रादि से चित्त व्याकुल होना। प्रत्यंत मानसिक क्लेश होना । प्रत्यत संताप होना । (२) ईर्ष्या से हृदय व्यथित होना । चित्त में डाह होना । जी जलना । कुढ़न होना। जैसे;-दूसरे को बढ़ती देखकर तुम्हारी छाती क्यों फटती है। छाती फाटनाg=भय आदि से दहलता। कांपना। 30- गरनि तरजनि अनु अनु भौती । फूट कान अरु फाट छाती। -नंद न०, पृ० १६१ । छाती फाड़ना=जी तोड़ मेहनत करना । उ०--अब भी छाती फाड़ती हूँ, तव भी छाती फाड़गी। मान०, भा० ५, पृ० १६७ । छाती फुलाना- (१) अकड़ कर चलना । तनकर चलना । इतराकर चलना । (२) घमंड करना । अभिमान दिखलाना । (किसी की) छाती लोन से मोजाना कट पर और काट देना । किसी की पीड़ा को और बढ़ाना। उ०-नांचे मोर कोलाहल की। इंद्र की छाती लौंन सौ मी -नंद ग्रं॰, पृ० १९२।छाती से पत्थर टलना=(१) किसी ऐसे भारी काम का हो जाना जिसका भार अपने ऊपर रहा हो। किसी कठिन वा बड़े काम के पूरे होने पर चित्त निश्चित होना । किसी ऐसे कार्य का . .. पूरा हो जाना जिसका खटका सदा बना रहता हो। (२) '. 'बेटी का व्याह हो जाना । छाती से लगना प्रालिंगन होना। गले लगना । हृदय से लिपटना । छाती से लगागा प्रालिंगन • करना"। गले लगाना । प्यार करना। प्रेम से दोनों भुजापों के बीच दवाना। छाती से लगा रखना=(१) अपने पाप से • जाने न देना । प्रेमपूर्वक सदा अपने समीप रखना । २. अत्यंत प्रिय करके रखना। अपनी देखरेख और रक्षा में रखना । वन . फी छाती: ऐसा कठोर हृदय जो दुःख सह सके । अत्यंत सहिष्ण हृदय । २. कलेजा । हृदय । मन । जी।। मुहा० छाती उड़ी जाना= दुःख या पाशं फा से चित्त व्याकुल .. होना । फलेजा दहलना । जी घबराना । छाती उमटणाना- . प्रेम या करुणा के यावेग से हृदय परिपूर्ण होना । प्रेम था करणा से गद्गद होना। छाती छलनी होना कष्ट या अपमान सहते सहते हृदय जर्जर हो जाना । बार बार दुःख या कुढ़न से चित्त का अत्यंत व्यथित होना। दुःख झेलते झेलते या कुढ़ते कुढ़ते जी कब जाना । जैसे-तुम्हारी बातें सुनते सुनते तो छाती छलनी हो गई।छाती जलना=(१) कलेजे पर .. गरमी मालम होना। अजीर्ण श्रादि के कारण हृदय में जलन ...: मालूम होना । (२) शोक से हृदय व्यथित होना । हृदय दग्ध होना । मानसिक व्यथा होना । संताप होना । (३) ईर्ष्या या क्रोध से चित्त संतप्त होना। डाह होना । जलन होना । उ०- जो वह भली नेक ह होती तो मिलि सबनि बताती। वह पापिनी दाहि कुल आई देखि जरत मोरि छाती। -सर (शब्द०)। छाती जलाना=(१) हृदय संतप्त करना। संताप देना। मानसिक व्यथा पहचाना। जी जलाना। कष्ट पहचाना। (२) कुढ़ाना। चिढ़ाना। छाती जुड़ाना=(१)[क्रि० प्र०] दे० 'छाती ठंढी होना । (२) (कि० स०] छाती ठंढी करना। हृदय शीतल करना । चित्तं शांत और प्रसन्न करना । हृदय संतुष्ट और प्रफुल्लित करना । इच्छा या हौसला पूरा करना। कामना पूर्ण करना । मन का आवेग संग्रह करना। उ०- (क) लेहिं परस्पर प्रति प्रिय पाती। हृदय लगाय जुड़ावहिं छाती।-तुलसी (शन)। (ख) खोजत रहे तोहि सुत घाती । आजु निपाति जुड़ाव छाती। तुलसी (शब्द०)। छाती ठदी करना हृदय शीतल करना। बित्त शांत और प्रफुल्लित करना । मन का आवेग शांत करना । मन की अभि- लाषा पूर्ण करना । होसला पूरा करना । छाती ठढी होना- हृदय शीतल होना । चित्त शांत और प्रफुल्लि होना । मन का प्रावेग शांत होना। कामना पूर्ण होना । हौसला पूरा होना । छाती ठकना=हिम्मत बंधना । साहस बैधना चित्त में दृढ़ता होना । जैसे,—मुंशी चुन्नीलाल और बोवू बैजनाथ ने इनको हिम्मत बंधाने में कसर नहीं रखी; परंतु इनका मन कमजोर है, इससे इनकी छाती नहीं ठकती।-परीक्षागुरु .(शब्द०)। छाती ठोकना=किसी कठिन कार्य के करने की साहसपूर्वक प्रतिज्ञा करना । किसी भारी या कठिन कार्य को करने का दृढ़तापूर्वक निश्चय दिलाना । कोई दुष्कर कार्य करने का साहस प्रकट करना । हिम्मत बाँधना । जैसे,-मैं छाती ठोककर कहता हूँ कि उसे आज पकड़ लाऊंगा। छाती घड़कना=भय या पार्शका से हृदय कंपित होना । कलेजा धक धक करना । खटके या डर से कलेजा जल्दी जल्दी उछलना । जी दहलना । छाती यामकर रह जाना=ऐसा भारी शोक या दुःख अनुभव करना जो प्रकट न किया जा सके। कोई भारी मानसिक आघात सहफर स्तब्ध हो जाना । शोक से ठक रह जाना। छाती पफड़कर रह जाना या वैक जाना-दे० 'छाती थामकर रह जाना' । छाती पक जाना-दे० 'छाती छलनी होना' । छाती पत्थर फी करना अत्यंत शोक या दुःख सहने के लिये जी कड़ा करना। भारी कष्ट या संताप सह लेना या सहने के लिये प्रस्तुत होना । छाती पत्थर को होना अत्यंत शोक या दुःख सहने के लिये जी कड़ा होता । हृदय इतना कठोर होना कि वह शोक या दुःख का प्राघात सह ले । छाती पर फिरना-घड़ी घड़ी ध्यान में पाना । बार बार स्मरण होना। छाती भर शाना = प्रेम या करुणा के आवेग से हृदय परिपूर्ण होना । प्रेम या करुणा से गद्गद् होना । उ०—धारि 'विलोचन बाँचत पाती। पुलकि गात भरि आई छाती ।- तुलसी (शब्द०)। छाती मसोसना-चपचाप हृदय में