पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५३५

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छतुरी छत्रधार छतरी-पंचा स्त्री० [हिं० छतरी] 1. छतारी'। उ०-कोउ कर छत्र-संज्ञा पुं० [सं०] १. छाता। छतरी। २ राजापों का छाता . पीकदान कोऊ के छतुरी छवि छाजत ।-प्रेमघन०, पृ० १२ जो राजचिह्नों में से एक है । उ०--तिय बदले तेरो कियो. छत्तीना-संज्ञा पुं० [हिं० छाता] १: छाता । २. छत्रक । खुमी। मीर भंग सिर छत्र ।---हम्मीर, पृ० ३८ । -छत्त -संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'छत'। विशेष---यह छाता बहुमूल्य स्वर्णडंड आदि से युक्त रसाटित छत्तल -संज्ञा पुं० [सं० छत्रप्र. छत्त] दे० 'छत्र' । उ० --चलइ ने तथा मोती की झालरों आदि से अलंकृत होता है। चाभर परइ धरिन छत्त तिरहुति उगाहिन-कीतिः, भोजराज कृत युक्तिकल्पतरु' नामक ग्रंथ में छत्रों के परिमाण, वर्ण प्रादि का विस्तृत विवरण है। जिस छत्र का कपड़ा छत्तर -संज्ञा पुं० [हिं०] १. . 'छत्र' । २ दे० 'सत्र'। . सफेद हो और जिसके सिरे पर सोने का कलश हो, उसका छत्तरी-संज्ञा पुं० [सं० क्षत्रिय] दे० 'क्षत्रिय' । उ० --मालूम होता नाम कनकदंड है। जिसका डंडा, कमानी, कील आदि विशुद्ध .. हैं, छत्तरी बस है 1-मान०, भा०५, पृ० ६ । सोने की हों, कपड़ा और डोरी कृष्ण वर्ण हो, जिसमें बत्तीस ..छत्ता -संज्ञा पुं० [सं० छत्र, प्रा. छत्त] १. छाता । छतरी। २. बत्तीस मोतियों की बत्तीस लड़ों की झालरें लटकनी हों और । पटाव या छत जिसके नीचे से रास्ता हो । ३, मधुमक्खी, जिसमें अनेक रत्न जड़े हों, उस छत्र का नास 'नवदंड' है। भिड़ प्रादि के रहने का घर जो मोम का होता है और जिसमें इसी नवदंड छत्र के ऊपर यदि पाठ अंगुल की एक पताको .. बहुत से खाने रहते हैं । ४. छाते की तरह दूर तक फैली हुई लगा दी जाय तो यह 'दिग्विजयी' छत्र हो जाता है। ... वस्तु । छत्तनार चीज । चकत्ता । जैसे, दूब का छत्ता । दाद यौ०-छत्रछाँह छत्रछाया=रक्षा । शरण । .. का छत्ता । ५. कमल का बीजकोश I @ ६. छत्रसाल राजा । मुहा०-किसी की छत्रछाँह में होना किसी की संरक्षा में रहना। .छति संथा सी० [म.] कौटिल्य अर्थशास्त्र में कथित चमड़े का ३.खुमी । भूफोड़। कुकुरमुत्ता । ४. वय की तरह का एक पेड़ । - कुप्पा ग्रादि जिसके सहारे नदी पार उतरते थे। " ५.छतरिया विष । खर विष । प्रतिच्छत्र । ६. गुरु के दोष का 'छत्ती@t--संक्षा पुं०म० क्षत्रिय क्षत्रिय । क्षत्री। उ०---रुघि , . . 'गोपन । बडों के दोष छिपाना । .. . घार पारं भूमि रसी। मैं जानि 'बाँसतं निस्संक छत्ती। छत्रक-संज्ञा पुं० [सं०] १.खुमी । भूफोड़। कुकुरमुत्ता । २. छाता । - --पृ० रा०, १२ । १०६ । ३. तालमखाने की जाति का एक पौधा जिसके पत्ते और फल .. छत्तीस'--वि० (षटत्रिंशत, प्रा० छत्तीसा] जो गिनती में तीस ललाई लिए होते हैं । ४. कौडिल्ला नाम की चिड़िया । .और छह हो । उ0--विगसंत बदन छत्तीस बंस । जदुनाथ । मछरंग । ५.शिव के पूजार्थ निर्मित मंदिर। मंडप । देवमंदिर । - जन्म जनु जदुन वंस ।---पृ० रा०, १ । १७१५। . ६. शहद का छत्ता । ७. मिस्त्री का कूजा । छत्रकदेही-संडा पुं० [सं० छत्रकदेहिन्] रावण चाकी नामक जलजंतु - छत्तीसरे- संज्ञा पुं० १: तीस और छह के योग की संख्या । २. इस जिसके शरीर के ऊपर एक गोल छाता सा रहता है । यह ... • संख्या को सूचित करनेवाला अक जो इस प्रकार लिखा जाता - समुद्र में होता है। छत्रचक्र-संज्ञा पुं० [सं०] शुभाशुभ फल निकालने के लिये फलित छत्तीसवां--वि० [हिं० छत्तीस+बाँ, (प्रत्य०)] जो क्रम में पंतीस ... "ज्योतिष का एक चक्र । .....और वस्तुओं के उपरांत हो । क्रम में जिसका स्थान छत्तीस विशेष---इसमें नौ नो घरों की तीन पंक्तियाँ बनाते हैं जिनमें क्रमशः अश्विनी से लेकर अश्लेपा तक, मघा से लेकर ज्येष्ठा छत्तीसा'- संसा. पुं० [हिं० छत्तीस] (छत्तीस. जातियों की सेवा तक और मूल से रेवती तक नौ नक्षत्रों के नाम रखते हैं। करनेवाला या जिसे छत्तीस बुद्धि हो) नाई । हज्जाम । 3 . फिरनक्षत्र के नाम के अनुसार शुभाशुभ की गणना करते हैं। . छत्तीसा-वि०वि० सी छत्तीस] धूतं । चालाक । चतुर । छत्रछाह-संचा स्त्री० [सं० छत्र+हिं० छह ] रक्षा । शरण। उ०- . छत्तीसी-वि० [हिं० छत्तीस+ई (प्रत्य॰)] १. गहरे छल छंदवाली ५ या की छत्रछाह सुख बसियत सकल समाधा है ।-धनानंद०, (स्त्री)। उ०—अरे यह छिनाल बड़ी छत्तीसी है ।--भारतेंदु पृ०५४६।। ०, भा०१, पृ० ३१ । २. छिनाल । . ... - छत्रछाया-यमा पी० [सं० छत्रच्छाया] दे० 'छत्रछाह' । उ०- छत्तु --संशा पुं० [सं० छत्र, प्रा० छत्त+उन, उर (प्रत्य॰)] १. - व्यापारी निगमों की यायिक शक्ति उनकी छत्रछाया में उलटा छाता । २. वह गोवर जो कंडों के ढेर (कंडोर) की चोटी बढ़ी ही दीखती है।-भा० इ० रू०, पृ०६२८ । ... पर छोपा जाता है । ३. वह गोबर जो.खलियान में अनाज की छत्रधर संक्षा पुं० [सं०] १. छत्र धारण करनेवाला व्यक्ति । २. ....राशि के सिर पर चोरी या नजर से बचाने के लिये रख या . राजा । ३. वह सेवक जो राजा के ऊपर छाता लगाता है। छोप दिया जाता है । ४. वह छप्पर जो.. भूसे की राशि के छत्रधार-संज्ञा पुं॰ [सं०] 'छत्रधारी' । उ०-छत्रधार देखत ढहि ऊपर छांया या रक्खा जाता है । ५: छोटा, छाता। दे० . जाइ। अधिक गरव थे खाक मिलाइ ।-कबीर ग्रं०, ३- :: ... पृ० २०६ ।