पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४८३

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. - चुनौटिया . या । मुहा०-चुना हुया-बढ़िया। उत्तम । श्रेष्ठ । चुनाई-संचालोपहिलचन+पाई (प्रत्य॰)] १. चुनने की

"५. सजाकर रखना । तरतीब से लगाना । क्रमसे स्थापित करना। किया था भाव । बिनने की क्रिया या भाव । २. दीवार की

... सजाना । जैसे,-पालमारी में किताबें चुन दो। ५. तह पर जुड़ाई या उसका ढंग । ३. चनने की मजदूरी। .: तह रखना । जोड़ाई करना । दीवार उठाना । उ०---कंकड़ चुनाखा--संह पुं० [हिं० च डी+मद] वृत्त बनाने का यौजार। ..... चुन चुन महल उठाया लोग कह घर मेरा ना घर मेरा ना परकार । कपास। ... घरतेरा चिड़िया रैन बसेरा ।—(शब्द०)। चनाना-क्रि० स० [हिं० चुनना का प्रे०] १. विनवाना । इकट्ठा मुहा०-दीवार में च नना=किसी मनुष्य को खड़ा करके उसके करवाना । २.अलग करवाना । छैटवाना। ३. सजवाना। ... ऊपर ईटों की जोड़ाई करना । जीते जी किसी को दीवार में क्रम या ढंग से लगवाना। ४. दीवार की जोड़ाई कराना। ५. -:... गड़वा देना। ... . दीवार में गड़वाना । ६. चनन शिकन डलवाना।

६. चुटकी या. खर से दवा दबाकर कपड़े में चनन या सिकुड़न

चुनाव-संज्ञा पुं० [हिं० /च न+प्राव (प्रत्य०)] १. च नने का ... डालना । शिकन डालना । जैसे, घोती चुनना, कुरता चुनना। काम । विनने का काम । २. बहुतों में से कुछ को या किसी इत्यादि । ७. नाखून या उगलियों से खोंटना 1 चुटको से एक को किसी कार्य के लिये पसंद या नियुक्त करने का ... कपटना। चुटकी से नोचकर अलग करना । जैसे, फूल काम । जैसे,—इस वर्ष कौंसिल का चुनाव अच्छो हुआ है। .. चनना । उ०-माली यावत देखि के, कलियाँ करी पुकार । ३. बहुमत के आधार पर किसी को चुनना। - फूली फूली चुन लई कालि हमारी बार ।-कवीर (शब्द०)। यौ०-चुनावचिह्न उम्मीदवार की मतपेटिका का चिह्नविशेष । - चुनरी-संवा स्त्री० [हिं०/चन+री (प्रत्य॰)] १. एक प्रकार च नाव प्रचार किसी को चुनने के लिये उसका प्रचार करना। का लाल रंगा हमा कपडा जिसके बीच में थोड़ी थोड़ी दूर ... पर सफेद धुंदकिया। च नावयाचिका=च ने हुए व्यक्ति के चुनाव को प्रर्वध मामने - विशेष-चनरी रंगते समय कपड़े को स्थान स्थान पर चुनकर की न्यायालय में प्रार्थना करना। 'बाँध देते हैं जिससे रंग में डुबाने परवंधे हुए स्थानों पर सफेद मुहा०चनाब लहनाच महा०-चुनाव लड़ना=च ने जाने के लिये उम्मीदवार होना। सफेद बुदकियां छूट जाती हैं। अब रनरी कई रंगों और कई चुनावट-संज्ञा मो० [हिं० /चुन+प्रावट (प्रत्य॰)] च नन। - ... प्रकार की बूटियों से बनती हैं। च नट । दे० 'च नवट'। २. लाल रंग के एक नग का छोटा टुकड़ा। याकूत । चुन्नी। चुनावना-क्रि० स० [हिं०] १. चुनवाना । २. चुगाना । खिलाना चुनवट-संशा [हिं०/चन+वट (प्रत्य॰)] चुनने की क्रिया (विशेषतया चिड़ियों को) । या भाव। चुनट। चनिदा-वि० [फा० चु नीदह, प्रयवा हिं०+च ना+इंदा(प्रत्य॰)] चुनवा:-संक्षा पुं० [हिं० च नना] लड़का । शागिर्द (सुनार)। १.चुना हुआ । छंटा हुग्रा । २.बहुतों में से पसंद किया हुप्रा। 'चुनार-वि० चुका हा.।' चुनिदा । वढ़िया। अच्छा । बढ़िया । ३. गण्य । प्रधान । खास खास ।

चुनवाना-कि० स० [हिं० च नना का प्र० रूप ] चुनने का काम चनियाँ@-संशा स्त्री० [हिं० चुन्नी] ६० 'चुन्नी' ।

कराना। वि० दे० 'चनाना'। चनिया--संज्ञा स्त्री० [देश॰] (मुनारों की बोली में) लड़की । कन्या। चुनवारी संघ की [हिं०/चन+वारी (प्रत्य॰)] दे० 'चुनरा। चतिया गोंद-संघा पुं० [चनी+गोद] ढाक का गोंद । पलास .. उ०-चिकन चिलकदार बनवारी कारी सोधे भीनी । का गोंद । कमरकस । (यह औषध - काम में आता है)। - भारतेंदु ग्रं०, भा० २, ५०४१४ । - चुनी-संज्ञा सी० [सं० च पिका या चीकृत ] १.मानिक या और किसी चुनवारी-वि० [हिं० च नट (=च मना)] चन्नटवाली । उ०-मुख रत्न का बहुत छोटा टुकड़ा । चूनी 'चुन्नी। उ०-चहचही ..' पर तेरे लट्री लटलटकी । काली घुघरवाली प्यारी चुनवारी चहल नहघा चार चंदन की चदकच नीन चौक चौजम चढ़ी हैं .... - मेरे जिअं सटकी।-भारतेंदु ग्रं०, भाग २,५०1८० । पाव ।--पद्माकर (शब्द०)।२. मोटे अन्न या दाल प्रादिका ". चुनाचि-व्य० [फा० च ना+चह] दे० 'चनांचे'। उ० : चुनाचि पीसा हुमा चरर्ण जिसे प्रायः गरीब लोग खाते हैं। ...' रोला को किसी के हाथ का भोजन पाने में कोई एतराज यो०-चनी भूसी मोटे अन्न का पीसा हुमा च र ग चोकर ...: नहीं। किन्नर०, पृ० १०२। मादि। चुनाचुनी-संज्ञा ली० [फा०] १.ऐसा वैसा । इस तरह उस तरह । चुन्या --- ० [हिं० च नयाँ] दे० 'च नवा' ।

इधर उधर की बात । वह जो मतलब की दात न हो। जैसे-

- अब चनांच नी मत करो, रुपया लायो। २. बनावटी बात ।। चुनटी-संशा ० (हिं. चुनौटी] दे० 'च नौटी'। .:. क्रि० प्र०-करना ।—निकालना। चुनौटिया (रंग)-संशा पुं० [हिं० चुनौती] एक रंग जो कालापन चुनांचे-प्रव्यमानाचट इसलिये । इस वास्ते । अतः । लिए लाल होता है। एक प्रकार का पैरा या काकरेजी .: . २०-चनाचे मैं खुद गौर करता हूँ तो मुझे रणधीर सिंह को रंग 1 उ-पारंग रंग दी दनी, परी उठी मुखजोति । .. तरियत शराब और रंडी से निहायत मुतनफ्किर मालूम देती पहिरे चौर च नोटिया चदा चौगुनी होति !-विहारी है। श्रीनिवास ग्रंक, पृ० ३२। . (शब्द०)।