पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६७

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सिलवा - चमकना। दिलका-संक्षा पुं० [हिं०] तिलक नामक पौधा। चिलबिल्ली चचल । चपल । माया नटखट । जैसे, यह चिलकना-क्रि० अ० [हिं० चिल्ली (=विजली) या अनु०] २. बड़ा चिलबिला लड़का है। रह रहकर चमकाना। चमचमाना 1 झलकना । २. दर्द का चिलम-संज्ञा स्त्री० [फा०] फटोनी के प्रकार का मिट्टी का एक रह रहकर ठना । ३. एकबारगी पीड़ा होकर बंद हो जाना । बरतन जिसका निचला भाग चौड़ी नली के रूप में होता है। विशेष--इसपर तमाकू और पान रखकर तमाय पीते हैं। हि०प्र०-उठना ।—होना । साधारणत: चिलम को हुक्के की नली के उपर बैठाकर तमाफू बिलका -संज्ञा पुं० [हिं० चिलक] चमकता हुमा चाँदी का सिक्का पीते हैं। पर कभी कभी चिलम की नली को हाथ में लेकर 2. . रुपया। भी पीते हैं। तमाकू के अतिरिक्त गांजा, चरस आदि भी इस दिलका-वि० [हिं० चिलक (= चमक)] चमका । चौधा । उ०- पर रखकर पिए जाते हैं। यह सब माया मृगजल, झूठा झिलिमिलि होइ । दादू चिलका यो०--चिमचट । चिलमवरदार। देखि करि सत करि जाना सोइ।-दादू०, पृ० २१६ । मुहा०-चिलम चढ़ाना=(१) चिलम पर तमाफू, गाँजा प्रादि, बिलकार-संशा स्त्री दिश०] उड़ीसा की एक बड़ी झील । पौर प्राग रखकर उसे पीने के लिये तैयार करना । (२) चिलका-संज्ञा पुं॰ [देश॰] नवजात शिशु । गुलामी करना । चिलम पना चिलम पर रखे हुए तमाकू चिलकाना-कित.[हिं० चिलक] १. चमकाना । झलकाना । का प्रॉ पीना। चिलम चाटना या चिलम चाटने फिरना .२. किसी वस्त को इतना मौजना कि वह चमकने लगे। चिलम (गाजे या तमा) को पीने के लिये अड्डे से प्रठे पर उज्वल करना। जाना । चिलम मरना=दे० 'चिलम चढ़ाना। चिली' - संवा सी० [ हिं. चिलफना ] १. चांदी का रुपया । २. चिलमगर्दा-.. सी० [फा० चिलमगह ] हुक्के में हाथ भर की ..एक प्रकार का रेशमी वस्त्र। या इससे अधिक लंबी बांस की नली जो चूल और जामिनसे चिलकी विकली० चमकीली। मिली होती है। इसपर चिलम रखी जाती हैं। नवावंद। - चिलगोजा--संशा पुं० [फा० चिलगोज्ह ] एक प्रकार का मेवा । मिलमचट--वि० [फा० चिलम---हिं० चाटना] १. बहुत अधिक . . चोड़ या सनोवर का फल । चिलम पीनेवाला । वह जो चिलम पीने का बहुत प्रादी हो। विशेष-दे० 'चीड़। २. इस प्रकार खींचकर चिलम पीनेवाला कि वह पिलम दूसरे चिलचिल-संशा पुं० [हिं० चिलकना] अभ्रक । अवरक । भोंडल । के पीने योग्य न रहे। चिलीचलाना'-क्रि० अ० [हिं० "चिलकना ] बहुत तेज चमकना। चिलमची संज्ञा स्त्री० [फा०] देश के प्राकार का एक बरतन जिसके _ कड़ी धूप होना । जैसे, चिलचिलाती धूप । . किनारे चारों ओर थाली की तरह दूर तक फैले होते हैं। चिलचिलाना- क्रि० स० चमकाना । इसमें लोग हाथ धोते और कुल्ली प्रादि करते हैं। . चिलड़ा-संद्धा पुं० देश०] उलटा नाम का पकवान । यौ०-चिलमची घरदार-हाथ मुह धुलामनगला नौकर । पलता संज्ञा पुं० [फा०चिलतह ] एक प्रकार का जिरहवकतर । चिलमनी [फा०] बांस की फट्टियों का परदा । चित । एक प्रकार का कवच ।। क्रि० प्र०--डालना।--बांधना 1--लटयाना। लपा-संमा श्री [ हिं० चिल्ल-पों ] दे० 'चिल्लपी'। उ०- मलमपोश---संचाफा०] धातु का एक झीदार ढक्कन जिससे ... कहीं किसी पर मार पड़ती थी, कहीं कोई प्रपनी चीजें लिए चिलम ढंक देने के चिनगारी नहीं उड़ती। भाग जाता था। चिलपों मची हुई थी।--रंगभूमि, भा० चिलमबरदार-संशा पुं० [फा०] हुपका पिलानेवाला विदमतगार । चिलीमलिका--संहा की[सं०] १. जुगनू । खद्योत । २. विजली। पिलवल-संश पुं० [सं० चिरबिल्व 1१. एक बड़ा जंगली पेड़ ३. एक प्रकार की कठी। जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है और खेती के प्रोजार धनान के काम में ग्राती है। इसकी पत्तियां जाम की पत्तियों चिलमोलिका--संशा रखी० [सं०] १. गले में पहनने की एक प्रकार की माला। २. जुगन् । ३. बिजली। की सी होती हैं। २. एक वडा पौधा जिसकी पत्तियां इमली . -संहा पुं० [फा० चिलमन] दे० 'चिलमन' या से मिलती जुलती होती हैं और पेड़ी डाल पादि चिलवन बहुत हलकी और हरे रंग की होती हैं। लखत ऋतु प्रोमा सुमृगि सदा चिलयन पिन !-प्रेमपन०, विशंप-- यह बरसात में उगता है और चार पांच हाथ तक भा०१, पृ०६। चा होता है। यह पौधा तानों में भी होता है जहां उसके विलास-पुं० [१] एमा प्रकार का फंदा जितने चिड़ियां फैशाई पानी के भीतर का भार फलकर खब मोटा हो जाता है। इस जाती हैं। [ हि गोनर चिरद' 136--मकी - भाग को बडी कहते है जिससे माली याद मौर, झालर, चिलवा--- पदान रहीतिमाया मिलती है या नहीं, भोजननीमा मिलता है, मप कितने मले हैं, उनमें भिडने चिनो पद हए पला, चिचिल्ला - वि० सं० चल+वल ] [ वि० सी०, २, पृ०८०२। तोरण यादि बनाते हैं । चिलबिला, पचवित