पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४६२

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चिमटना १५४१ चिपचिप जाता है। संयो॰ क्रि०—देना । चिपिटक-संघा पुं० [सं०] ३० "विपीटक' को०)। . २. प्रगाढ़ आलिंगन करना । लिपटाना । चिपिटग्रीव-वि० [सं०] छोटी गरदनवाला को। .. संयो॰ क्रि०-लेना। चिपिटनासिक-संशा पुं० [सं०] १. वृहत्संहिता के अनुसार एक देश ३. नौकरी लगाना । किसी काम धंधे में लगाना । जो फैलास पर्वत के उत्तर पड़ता है । तातार या मंगोल देश चिपचिप--संक्षा पुं० [अनु॰] वह शब्द या अनुभव जो किसी लसदार . जहां के निवासियों की नाक चपटी होती है । २. उस देश के वस्तु को छूने से होता है। निवासी, तातार या मंगोल । क्रि० प्र०-करना। चिपिटनासिकर-वि० चिपटी नाकवाला। चिपचिपा-वि० [अनुचिपचिपा या हिं. चिपकन'] जिसे छूने चिपीटक-संज्ञा पुं० [सं०] चिउड़ा । चिड़वा । से हाथ चिपकता हुमा जान पड़े। लसदार । लसीला। चिपूपा-संक्षा पुं० [देश॰] चेल्हवा मछली। . जैसे,--चोटा, शहद, चाशनी प्रादि वस्तु । चिपुट-संज्ञा पुं० [सं०] चिउड़ा [को०] । चिपचिपाना-कि० अ० [हिं० चिपचिप] छूने से चिपचिपा जान चिप्प-संघा[सं०] नख का एक रोग जिसमें नालून के नीचे मांस पड़ना । लसदार मालूम होना । जैसे,--स्याही : गोंद अधिक में जलन और पीड़ा होती है और कभी कभी नाखून पक भी है, इसी से चिपचिपाती है। चिपचिपाहट-संक्षा श्री. [हिं० चिपचिपा] चिपचिपाने का भाव । चिप्पख--[हि चिपकना । १. चिपका या दवका हुमा। लसीलापन । लस । लसी। चिप्पड़-संज्ञा पुं० [सं० चिपिट) १. छोटा चिपटा टुकड़ा । जैसे,-- चिपट'. वि० [सं०] चिपटी नाकवाला [को०। इसके ऊपर कागज का एक विप्पड़ लगा दो। २. सखी लकड़ी विपट-संज्ञा पुं० चिड़वा [को०] । पादि के ऊपर की छूटी हुई छाल का टुकड़ा। पपड़ो। ३ चिपटना- क्रि० अ० [सं० चिपिट (=चिपटा) ] १. इस प्रकार किसी वस्तु के ऊपर से छीलकर निकाला हुमा टुकड़ा।... जुड़ना कि जल्दी अलग न हो सके । चिपकना । सटना। चिप्पि.. संता खी० [सं०] १. बहत्संहिता के अनुसार एक रात्र- चिमटना। २. दे० 'चिपकना' । चर जतु । २. एक चिड़िया का नाम । उ०-वासा, बटेर, चिपटा--वि० [सं० चिपिट] [मी० मिपटी] जो कहीं से उठा या लव नौ सिचान । धूती रु चिप्पिका चटक भान !-सूर उभड़ा हुमा न हो। जिसकी सतह दबी और बराबर फैली हुई (शब्द०)। हो । जैसे,—(क) चिपटी नाक, चिपटा दाना, चिपटे बीज। उ०-पेड़ पर से गिरकर फल चिपटा हो गया। चिप्पी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चिप्पड़ ] १. छोटा। चिप्पड़ । २ चिपटाना-क्रि० स० [हिं० चिपटना] १. चिपकाना। सटाना । उपली । गोहँठी । ३. वह बटखरा जिससे सीधा तोला जाता २. लिपटाना । प्रालिंगन करना। है। ४ सीधा । जिस (साधु)1५. फटे बर्तन पर लगाया चिपटी-वि० सी० [हिं० चिएटा] ६० 'चिपटा'। जानेवाला धातु का टुकड़ा। ६. पतली, छोटी और चिपटी चिपटी--संहा स्त्री० १. कान में पहनने की एक प्रकार की बाली लकड़ी का टुकड़ा जिसे जोड़ को कसने के लिये लगाते हैं। जिसे नेपाली स्त्रियां पहनती हैं । २. भग । योनि । पच्चर । ७. कागज का छोटा टुकड़ा जो कहीं चिपकाया जाय। . महा०-चिपटी खेलना-दो स्त्रियों का कामवश परस्पर योनि चिबि-संशा सी० [सं०] दे० 'चिवि' (को०] 1 . से योनि घिसना । उ० आयो पड़ोसिन चिपटी खैलें, बैठे से। चिविल्ला-वि० [हिं०] दे० 'चिलविला'। ... बेगार भली।--(शब्द०)। चिपटी लड़ाना-दे० 'चिपटी चिवु-संशा पुं० [सं०] ३० "चिवुक' को। खेलना'। चिबुक--संजा दु० [सं०] ठुड्ढी । ठोड़ी। . . चिपड़ा -वि० [हिं० चीपड] जिसकी अाँख में अधिक चीपड़ यो०--चिवकप-ठोड़ी का गड्ढा । उ०-चिबुककूप छवि । रहता हो । जिसको आँख से अधिक चीपड़ निकलता हो! चिपड़ी-संज्ञा स्त्री० [हिं. चिप्पड़ गोवर के पाये हुए चिपटे टुकड़े। ... उझ जोई। जगत कूप पुनि पर न सोई । --नंद ग्रं, उपली । गोह ठी। कि०प्र०-पाथना। चिमगादड़ा-संक्षा पुं० [हिं० चमगादड़] दे० 'चमगादड़' । चिपरी --संक्षा सौ० [हिं० चिपड़ी] दे० 'चिपड़ी। चिमटना--कि० अ० [हिं० चिपटना] १. चिपकना । सटना.। लस चिपिट'-वि० [सं०] चिपटा । । . जाना । २. प्रगाढ़ प्रालिंगन करना। लिपटना । जैसे,--वह चिपिट-संशा पुं०१. चिउड़ा । चिड़वा । २. चिपटी नाकवाला। अपने भाई को देखते ही उससे चिमटकर रोने लगा। ३. हाथ ..' मनुष्य जिसका दर्शन अशुभ माना जाता है। ३. दृष्टि की पैर आदि सब अंगों को लगाकर दृढ़ता से पकड़ना । कई चकपकाहट जो आँखों को उगली आदि से दबाने से हो। स्थानों पर कसकर पकड़ना । गुयना । जैसे, चींटों का विशेष-इस प्रकार की चकपकाहट से कभी एक के दो या तीन चिमटना । जैसे,-शेर को देखते ही वह एक पेड़ की डाल से पदार्य दिखाई देते हैं, कभी पदार्य, नीचे या ऊपर हटे हुए चिमट गया । ४. पीछे पड़ जाना। पीछा न छोड़ना । पिड. न छोड़ना। पृ० १२३ । दिखाई पड़ते हैं ।