पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४८

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चिट्ठीपत्री] १५२७ महा०--चिट्ठी करना=किसी के नाम हंडी करना । किसी को चिड़िया=(१) खूब धन देनेवाला असामी। (२) अत्यंत रुपए दे देने की लिखित प्राशा देना। चिटठी डालना= सुदर व्यक्ति । (३) रमणीक स्थान । लाटरी डालना। मुहा०--अप्राप्य वस्तु । अलभ्य वस्तु । ऐसी वस्तु जिसका होना ६. किसी प्रकार का निमंत्रणपत्र । असंभव हो । चिड़िया के छिनाले में पकड़ा जाना = व्यर्थ की क्रि० प्र०-बंटना। धापत्ति में फंसना । नाहक झंझट में पड़ना . चिड़िया का खेत चिट्ठीपत्री-संज्ञा सी० [हिं०चिट्ठी+पत्री] १. पत्र । खत । जैसे,- खाना=असावधानी के कारण अवसर निकल जाने से हानि वहाँ से कोई चिट्ठीपत्री प्राती है। २. पत्रव्यवहार । खत उठाना । 30- घर रखवाला वाहरा, चिड़िया खाया खेत। किताबत । जैसे,—आपसे उनसे चिट्ठीपत्री है। प्राधां परधा कवर, चेत सके तो चेत ।-कबीर सा० ., क्रि० प्र०-होना । पृ० ६५ । चिड़िया फंसाना=(१) किसी स्त्री को बहकाकर चिट्ठीरसा-संज्ञा पुं० [हिं०चिट्ठी +फा०रसां] चिट्ठी बांटनेवाला। सहवास के लिये राजी करना ( प्रशिष्ट)।(२) किसी डाकिया । हरकारा । पोस्टमैन । देनेवाले धनी प्रादमी को अनुकूल करना । किसी मालदार को चिड़ा-संवा धी- [म. चटक या देश] चिड़िया। दाँव पर चढ़ाना । चिड़चिड़ा-संज्ञा पुं० [सं० चिचिण्ड अथवा अनुकरणामक देश.] २. अंगिया की वह सीवन जिससे कटोरिया मिली रहती हैं । ३. दे० 'चिचड़ा। चिडिया के प्राकार का गढ़ा हुआ काठ का टुकड़ा जो टेक देने चिड़चिड़ार--संज्ञा पुं० [अनु॰] एक छोटा पक्षी जिसका रंग भूरा के लिये कहारों की लकड़ी, लंगड़ों की बैसाखी, मकानों के होता है। खंभों प्रादि पर लगा रहता है। प्राडा लगा हुमा काठ का चिड़चिड़ा--वि० [हि चिड़चिड़ाना] शीघ्र चिढ़नेवाला । थोड़ी टुकड़ा जिसका एक सिरा ऊपर की पोर चिड़िया की गरदन . सी बात पर अप्रसन्न होनेवाला । तुनकमिजाज |-जैसे- की तरह उठा हो। ४. पायजामे या लहंगे का नली की तरह चिड़निड़ा पादमी, चिड़चिड़ा स्वभाव । का वह पोला भाग चिसमें इजारबंद या नाला पड़ा रहता है। चिड़चिड़ाना-कि० अ० [मनु०] १. पठीली लकड़ी, पानी मिले ५. ताश का एक रंग जिसमें तीन गोल पंखड़ियों की बूटी बनी. हए तेल मावि के जलने में चिड़चिड़ शब्द होना। २. सूखफर होती है । चिड़ी।६ लोहे का टेढ़ा अंकुडा वो तराज की जगह जगह से फटना । खरा होकर दरकना । रुखाई के कारण डॉडी में लगा रहता है । ७. गाड़ी में लगा हुआ लोहे का टेढ़ा- ऊपरी सतह का पपड़ी की तरह हो जाना । जैसे,—जाड़े का कोढ़ा या अंकुड़ा जिसमें रस्सी लगाकर पैजनी बांटते हैं । ८. .. हवा ले ओंठ चिड़चिड़ाना, रुखाई मे बदन चिड़चिड़ाना। एक प्रकार की सिलाई जिसमें पहले कपड़े प्रादि के दोनों सिरों संयो० क्रि०--जाना। पल्लों को सीकर तब सिलाई की पोरवाले उनके दोनों सिरों ३. चिढ़ना । बिगड़ना। क्रोध लिए हुए बोलना । अझलाना। को अलग अलग उन्हीं पल्लों पर उलटकर इस प्रकार बखिया संयो॰ क्रि०- उठना । कर देते हैं कि उसमें एक प्रकार की वेल सी बन जाती है । चिड़चिड़ाहट-संशा स्त्री० [हिं० चिड़चिड़ाना+हट (प्रत्य॰)] चिडियाखाना-संहा पु० [हिं० चिड़िया+फा० खानह, वह स्थान १. चिड़चिड़ाने का भाव । २. चिढ़ने का भाव । या पर जिसमें अनेक प्रकार के पक्षी या पशु प्रादि देखने के चिड़वा-संशा पुं० [हिं० चिविट] हरे, भिगोए या कुछ उबाले हुए लिये रखे जाते हैं। पक्षिशाला। .. धान को भाड़ में भूनकरौर कटकर बनाया हया चिपटा चिडियाघर--संक्षा प[ हि. चिड़ियाघर ] ६० चड़िया दाना । चिउड़ा (बहु० में 'चिड़वे' अधिक बोलते हैं)। खाना। ..विशेष-इसे लोग सूखा तथा दूध दही में भिगोकर भी खाते हैं। चिड़ियावाला--संक्षा पुं० [हिं० चिड़िया+वाला] उल्ल। गावदी। चिड़ा-संज्ञा पुं० [सं० चटफ] गौरा पक्षी । गौरैया का नर । .: सुखं । जड़ (बाज़ारू) चिड़ाना-क्रि० स० [हिं० चिढ़ाना] ० "चिढ़ाना'। .. चिडिहार --संघा पुं० [हिं०चिड़िया+हार (प्रत्य॰)] चिड़ीमार। चिड़ारा-संधापुं० [देश॰] नीची जमीन का खेत जिसमें जड़हन . बहेलिया । चिड़िया पकड़नेवाला। व्याध। बोया जाता है । डवरी। चिड़ी-संशा स्त्री० [हिं० चिड़ा] १ दे० 'चिड़िया'। २. ताश का चिड़िया-संघा त्री० [सं० चटक, हि० चिड़ा] प्राकाश में उड़नेवाला एक रंग जिसमें तीन गोल पंखड़ियों की काली बूटी बना '.. जीव । वह प्राणी जिसके ऊपर उड़ने के लिये पर हों। रहती है। पक्षी। पसेरू । पंछी 1. चिड़ीखाना--संज्ञा पुं० [हिं० चिडी+फा खामह ] चिडियाखाना। यो०-चिडयाखाना । चिड़याघर । चिडिया चुनमुन=चिडिया पक्षिशाला । उ० --एते द्विज माने रंग रंगन बखाने, देश 'तथा उसी तरह के छोटे पक्षी। चिडियानोचन=चारों ओर देशन ते प्राने चिडीखाने हरिनाथ के।-प्रकवरी०, पृ०६१ । का तकाजा । चारों ओर की मांग । बहुत से लोगों का किसी चिड़ीमार--संवा पु० [हिं० चिड़ी+मारना ] बहेलिया । चिड़िया बात के लिये अनुरोध या दवाव । जैसे,-घर से रुपया मा पकड़नेवाला । व्याध। जाता तो हुम इस चिड़िया नोचन से छठी पाते । सोने की चिढ--संशशस्वी हि चिढ़ना 1 चिढ़ने का भाव । क्रोध लिए