पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३०६

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घन १३८३ घनदार ३. लोहा । (डि०)। ४. मुख । (हिं०)। ५. समूह । झुड। घनजित--मंचा पुं० [सं०] १. मेघगर्जन । बादलों का गरजना । २... ६. कपुर । उ०-न जक धरत हरि हिय धरे नाजुक कमला ' कड़कड़ाती प्रचंड ध्वनि या गरज को। बाल । भजत भार भयभीत ह धन चंदन वन माल 1- घनगोलक-संश्वा पुं० [सं०] सोने और चाँदी का मिश्रण (को०] बिहारी (शब्द०)। ७. घंटा । घड़ियाल । ८. वह गुणनफल घनघटा-संवा श्री० [सं०] बादलों का जमघट । गहरी काली घटा। .. जो किसी अंक को उसी अंक से दो वार गुणा करने से लब्ध घनघन--संञ्चा श्री० [अनु॰] घंटे की घन घन् की ध्वनि । 30- रथ ... हो। जैसे,---!x ३४३=२७ अर्थात् २७ तीन का घन का घघर । घंटों की बनधन |-अपरा, पृ० २११।... है।--(गणित)। ६. लंबाई, चौड़ाई और मोटाई (ॐचाई घनघनाना'-- क्रि० अ० [अनु० घन घन् शब्द होना । घंटे की सी या गहराई) तीनों का विस्तार । उ०-धन दृढ़ धन विस्तार ध्वनि निकलना । उ० - घघघनात घंटा चहुँ ओरा।-, . पुनि धन जेहिं गढ़त लोहार । घन अंबुद घन सधन धन घनरुचि जायसी (शब्द०)। नंदकुमार |--नंददास (शब्द०)। १०. एक सुगंधित घास । घनघनाना--कि० स० [अनु॰] घन घन शब्द करना। ११.अभ्रक । अबरक । १२. कफ । खार । १३. नृत्य का घनघनाइट-संबाश्री० [अन् धन धन शब्द निकलने का भाव। . . . एक भेद । १४. धातु का, ढालकर बनाया हुआ बाजा जो प्रायः पन् पन की ध्वनि । ताल देने के काम आता है। जैसे,--झांझ, मॅजीरा, करताल' इत्यादि । १५. वेदमंत्रों के पाठ की एक विधि ।१६. त्वचा) घनघोर-संघा पुं० [ सं० घन+घोर ] १. घनघनाहट । भीषण .. छाल । १७ शरीर । उ०---कंप छुट्यो घन स्वेद बढ्यो तनु ध्वनि । उ०-संन शब्द घोर, धनघोर घने घंटन को, झालर रोम उठ्यो अखियाँ भरि आई।--मतिराम (शब्द०)। की झुरमुट, झांझन की झनकार ।-गोपाल (नन्द०) । घन--वि०१ धना । गझिन । २. वादल की गरज । मुहा०--धन का=बहुत धना । जैसे,--धन के बाल, घन का' , घनघोर-वि०१. बहुत धना । गहरा । उ० अंधकार उद्गीरण जंगल । करता अंधकार घनघोर अपार ।- अपरा०, पृ० १५४ ।' २. जिसके अणु परस्पर खूब मिले हों । गठा हुआ । ठोस । ३, २. जिसे देख और सुनकर जी दहल जाय । जिसका दर्शन . . दृढ । मजबूत । भारी। ४. बहुत अधिक । प्रचुर । ज्यादा। और श्रवण भयानक हो । भीपण। भयावना । जैसे, घनशोर, , ५. शुभ । भाग्यशाली (को०)। ६. विस्तृत (को०)। शब्द, घनघोर युद्ध । धन -संज्ञा स्त्री० [सं० घन] १. गड़गड़ाहट । २. चोट । प्रहार। यौ०-घनघोर घटा-बड़ी गहरी काली घटा । बादलों का धना . घनकना'- अ० [हिं० घनक] गरजना । तेज आवाज करना। समूह । गड़गड़ाना । घहना। . धनचक्कर'-वि० [हिं० धन+चक] १. मूर्ख । वेवकूफ । मूढ़ ।। घनकना-क्रि० स० चोट करना । प्रहार करना । २. निठल्ला । आवारागर्द । घनकफ-संशा पुं० [सं०] वर्पोपल । करका । ओला (को०)। घनचक्कर-संक्षा पुं० [हिं० घन+चक्र] १. वह व्यक्ति जिसका .. धनकारा-वि० [हिं० धनक गर्जन करनेवाला । ऊँची आवाज । दुद्धि सदैव चंचल रहे। चंचल वुद्धि का पादमी। २. वह जो करनेवाला। व्यर्थ इधर उधर फिरा करे । ३. एक प्रकार की आतिशबाजी। घनकाल---संशा पुं० सं०] वर्षा ऋतु । बरसात का मौसम । चकरी । चरखी। ४. सूर्यमुखी का फूल । ५. गदिश। चक्कर ।.. घनकोदंड-संज्ञा पुं० [सं० घनकोदण्ड] इंद्रधनुष । मदाइन । उ० -'. ६. फेरफार 1 जंजाल। कुटिल कच भ्रव तिलक रेखा शीश शिखी शिखंड । मदन धनु मुहा०-घनचक्कर में प्राना या पड़ना फेर में फंसना । संकट, . मनो शर संधाने देखि घनकोदंड।-सूर (शब्द०)। में पड़ना । उ० मैं बड़े घनचक्कर में पड़ गया पर इसकी क्या' । चिता । --श्यामा०, पृ० १११ । विशेष मेष और धनुषवाची शब्दों के संयोग से जो घाब्द घनजंबाल-संवा पु०सं० घगजम्बाल घना दलदल [को०] | | वनेंगे, उनका यही अर्थ होगा। धनज्वाला-संज्ञा ली० सं०] विद्युत् । विजली किो।। घनक्षेत्र-संज्ञा पुं० सं० घन+क्षेत्र] लंबाई चौड़ाई और गहराई घनता-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. धना होने का भाव । धनापन । २ का विस्तार। . ठोसपन । ३. लंबाई, चौड़ाई और मोटाई का भाव । ४. - 'घनगरज-संज्ञा स्त्री० [हिं० घन-:-गर्जन] १. बादल के गरजने को दृढ़ता। मजबुती। ध्वनि। २. एक प्रकार की तोप । ३. एक प्रकार की भी घनताल---संज्ञा पुं० [सं०] १. चातक पक्षी । पपीहा । २. फरताल। जो असाढ़ या वर्षारंभ में उत्पन्न होती है। घनतोल-मंधा पुं० [सं० चातक । पपीहा। . .. । विशेष-लोग ऐसा मानते हैं कि जब बादल गरजते हैं, तब . घनत्व--संज्ञा पुं० [सं०] १. घना होने का भाव। धनापन । सधनता : ' इसके बीज जो भूमि के अदर रहते हैं, भूमि फोड़ कर गाँठ के २. लंबाई, चौड़ाई और मोटाई तीनों का भाव । ३. अण प्रो. .'रूप में निकल पड़ते हैं। इसकी तरकारी बनाई जाती है। का परस्पर मिलान । गठाय। ठोसपना . . अवध में इसे भुइँफोड़ और पंजाब में ढिंगरी कहते हैं। घनदार-वि० [सं० धन+फा० दार (प्रत्य॰)] घना | गुजान। ... - - -