पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३०४

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घट्टन स.प . १३८१

घड़ी

पार्जन करनेवाला व्यक्ति । २. वैश्या स्त्री में रजक से उत्पन्न घड़नाईg--संजी० [हिं० घड़ा+नया] ६० 'पड़नेल' 130-- एक वर्णसंकर जाति [को०] । सुरहुर पुर को पहुरों फिरं। चढ़ि पढ़नाई सरिता तिरै!- . घटन- संज्ञा पुं० [सं०] १. हिलाना डुलाना । चलाना । २. संघटन। अध, पृ० ४३ । संयोजन [को०। घड़नल---मंगा पुं० [हिं० घढ़ा-नया (= नाव) ] बाँस में घड़े बांध- घटना-संवा पुं० [सं०] १. हिलाना । डुलाना । चलाना। २.रगड़ना। कर बनाया हुग्रा ढांचा जिससे छोटी छोटी नदियां पार घोटना । मलना । ४. जीविका । वृत्ति (को०)। करते हैं। घट्टा'-संशश पुं० [हिं० घटना] १. घाटा। घटी । कमी । टोटा । २. घड़ा-संग्रा पुं० [सं० घट अथवा सं० घट- (प्रत्य॰)] मिट्टी का। . दरार । छेद । जैसे--सिर पर ऐसी लाठी पड़ी कि घट्टा वना हुया गगरा । जलपात्र । वडी गगरी। कलसा । पला । खुल गया। कुंभ । ठिल्ला। मुहा०. घट्टा खुलना=दरार हो जाना । फाट जाना। महा.- घड़ों पानी पड़ जाना=अत्यंत लज्जित होना । लज्जा के घट्टा'@-संश्वा पुं० [सं० घृष्ट, प्रा० पट्ट] दे० 'घट्ठा' । उ०--धनु मारे गड़ जाना । जैसे,—जय मैंने मुह पर यह बात कही तो . खींचत घट्टा पड़े दूजे काके हाथ ।-भारतेंदु ग्रं, भा० १, उसपर घड़ों पानी पड़ गया। पृ० १०५। घड़ा ---वि० [हिं० घना] अधिक । उ०-ठावर जनम थारे घड़ा । घड़ा -मंग्रा खी० [सं० घटा] दे० 'घटा' । उ०-प्रलय काल के हो नरेस ।-बी० रासो, पृ०६५। ' जनु घन घट्टा । --मानस, ६,८६। . घड़ा --संज्ञा पुं- [सं० घट्ट] सेना । १०--तुरक घड़ा नव तेरही घट्टित'-संघा पुं० [सं०] नृत्य में पैर चलाने का एक प्रकार जिसमें तेरह साख कबंध ।-रा० रू०, पृ०७०1 ऍडी को जमीन पर दवाकर पंजा नीचे ऊपर हिलाते हैं। घड़ाई -संवा जी० [हिं०] दे० 'गढ़ाई। घट्टित'-वि० [सं०] १. हिलाया डुलाया हुमा । २. निर्मित । ३. घड़ाना--क्रि० स० [हिं०] दे० 'गदाना' । उ०-लड़की के लिये दो। रगड़कर चिकनाय। हुमा । ४. दवाया हुआ (को०] । एक चीज चांदी की घड़ाना जरूरी है।-पिंजरे०पू०१०५ । घट्टी-संज्ञा श्री० [हिं० वटना घटी। कमी। घडामोड़@-वि० [हिं० धड़ा (=सेना)+मोड़ना ] शुरवीर । घट्ट-स्त्री० पुं० [सं० घट्टन संघटन । जमावड़ा। --पराक्रमी (डि.)। घट्ठा-संज्ञा पुं० [सं० घृष्टक, प्रा० घटु] शरीर पर वह उभड़ा घड़िया--संशा श्री० [सं० घटिका ] १ मिट्टी का बरतन जिसमें हुमा चिह्न जो किसी वस्तु की रगड़ लगते लगते पड़ जाता रखकर सोनार लोग सोना चांदी गलाते हैं । २. मिट्टी का है। जैसे,--तलवार की मूठ पकड़ते उसकी उंगलियों छोटा प्याला। ३. शहद का छत्ता । ४. बच्चादानी । गर्भाशय। में घ8 पड़ गए हैं। ५. मिट्टी की नांद जिसमें लोहार लोहा गलाते हैं। ६. रहट क्रि० प्र०—पड़ना। में लगी हुई छोटी छोटी ठिलियां जिनमें पानी भरकर मुहा०-- घट्ठा पड़ना=अभ्यास होना । मश्क होना। आता है। घड़ी-संधा श्री• [ सं घट्ट या पट ] १. दल । समह । सेना। २. घडियाल -संधा . [ सं० घटिकालि, प्रा० घडिय़ालि-घटा. का दे० 'घटा'। उ०-माज धरा दस ऊनम्यउ फाली घड़ समूह ] वह घंटा जो पूजा में या समय की सूचना के लिये . सखरांह । उवा धड़ देसी अोलवा कर कर लांबी बांह। - वजाया जाता है। ढोला०, दू. २७१। घड़घड़--संघा पुं० [अनु०] बादल गरजने, गाड़ी चलने पादि का विशेप दिल्ली में इस शब्द को स्त्रीलिंग बोलते हैं। . शब्द। घड़ियाल-संग पुं० [देश॰] एक बड़ा और हिंसक जलजंतु । . घड़घड़ाना- क्रि० स० [अनु॰] गड़गड़ या घडधड़ शब्द करना। ग्राह। . बादल गरजने:या गाड़ी आदि चलने का शब्द होना । गड़ ग- विशेष-घड़ियाल आठ दस हाथ लंवा-और गोह या छिपफली . डाना जैसे,--बादल घड़घड़ा रहे हैं।. के झाकार का होता है। इसकी पीठ पर का चमड़ा काला घड़घड़ाना-क्रि० स० [अनु॰] किसी वस्तु को चलाना या खींचना और कड़ा होता है। इसकी ठोर का ऊपरी भाग लौटे के . जिससे घड़बड़ शब्द हो । जैसे,—वह गाड़ी घडपड़ाता प्रा आकार का होता है जिसे तू वो या मटका कहते हैं। . पहुचता। . ड़ियाली'-संशा पुं० [हिं० घड़ियाल] १. समय की सूचना के घड़घड़ाहट संधा स्त्री० [अमु घड़धड़] १. घड़घड़ शब्द होने का लिये घंटा दजानेवाला । २. घंटा बजानेवाला। ... भाव । २. बादल या गाड़ी चलने का शब्द । घड़ियालो-संघा सी० [हिं० घड़ियाल] एक प्रकार का 'घंटा जो घड़त-संच श्री• [हिं०] दे० 'गढ़त'। __ पूजन के समय देयालय आदि में बजाया जाता है। विजयघंटा। घड़न-संधा सी० [हिं०] दे० 'गढ़न' । घड़िला-संचा पुं० [हिं० घड़ा ] छोटा घड़ा। .. घड़नई-संशा स्त्री॰ [हिं० घड़ा+ नया] दे० 'घड्नैल' । घड़ी'-संध [सं० घटी] १. काल का एक मान । दिन रात का ३२ वो घड़ना-कि० स० [हिं०] दे॰ 'गढ़ना' । उ०--पाथरी घड़ीयों के - भाग । २४ मिनट का समय । वि० दे० मुहा० 'धड़ी कूकना । ...... "भीषद लोह ।-वीसल रास, पृ० ६४ । ' मुहा०-घड़ी घड़ी-बार वार । थोड़ी-थोड़ी देर पर। घड़ी