पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२८५

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गौडमारंग १३६२ . .. गौदुना विशेप-यह प्रायः वर्षा ऋतु में रात के दूसरे पहर नाया जाता गुण द्योतक । २. सत्, रज, तम प्रादि गुणों से संबंध रखने- है। कुछ लोग इसे मल्लार राग की रागिनी भी मानते हैं। बाला। ३ गुणी ४. एक प्रकार के बोरे पा गौन से संबंध रखनेवाला फो। -चौड़सारंग--संज्ञा पुं० [सं० गौड सारङ्ग] गौड़ और सारंग के योग गौणी'---वि० औ [.] प्रधान । साधारण । जो मुख्य न से बना हुआ एक संकर राग । नाद नानी जाय। - विशेप--यह ग्रीन ऋतु में दोपहर से पहले गाया जाता है। इसमें . .. ऋपभ वादी और मध्यम संवादी होता है और यह वीर तथा गाणा-या मा यस्ता प्रकार की लक्षायों में से एक जिसने केवल किसी वस्तु का गुण लेकर दूसरे में प्रारोपित शांत रत के वन के लिये अधिक उपयुक्त समझा जाता है। किया जाता है। जैसे,-कल्पवृक्ष हैं अवधपति जगजाहर - गोडिक'-वि० [म०] १.गुड़ से संबंधित । २. गुड़ का किया . यशवंत । इस पद में कल्पवृक्ष के मुख्य गुण उदारता को । गोहिक - संया पु०१: इंख । २. एक प्रकार की गुड़ की शराब (फो०] । अवधपति में प्रारोपित कर उसी के द्वारा उनका जगत के गौड़िया-वि० [हिं० गौड़ +इया (प्रत्य॰)] १. गौड़ देश का । यशस्वी होना प्रकट किया गया है। यहां कल्पवृक्ष शब्द में - गौड़ देश संबंधो। २. गौड़ जातीय । गौड़। उ०-मधुसूदन- गोणी लक्षणा है। साहित्यदर्पण के अनुसार 'सादृग्यात्तु दात नौडिया ब्राह्मन वृदावन में रहते ।-दो सो बावन ०, : मता गौणी' अर्थात् सादृश्य संबंध ही प्रयोजक हो तो गौणी

भा० १, पृ० १८४ ।

लक्षणा होती है। - यो०--गोडिया संप्रदाय-चैतन्य महाप्रभु का चलाया हुमा वैष्णव गोरगी-संय औ• सिंगौरिणक] दे० 'गौन'। - ....संप्रदाय । . .. - गौतम-मंशा पुं० [सं०] १. गौतम ऋपि के वंशज । २. न्याय शास्त्र - गौड़ी-संकमी० [सं० गाँडो] १. एक प्रकार की नदिग जो गुड़ से ___ के प्रसिद्ध याचायं और प्रणेता एक पि । बनती है। वैद्यक में इसे वात और पित्तनाशक, बल और विशेष—यह ईसा से प्रायः ६०० वर्ष पहले हुए थे। कांतिवर्द्धक, दीपन, पथ्य और रुचिकर कहा है। २. काव्य में ३. रामायण, महाभारत और पुराणों आदि के अनुसार एक प्रकार की रीति वा वृत्ति जिसे पल्पा भी कहते हैं। यह एक ऋपि। -: .....पोजगुणप्रकाशक मानी जाती है और इसमें टवर्ग, संयुक्त विशेप-- इन्होंने अपनी स्त्री अहिल्या को इंद्र के साथ अनुचित अक्षर प्रथदा समास अधिक पाते हैं। जैसे,-(क) कट कटर्हि संबंध करने के कारण शाप देकर पत्थर बना दिया था, ... मऊंट विकट भट वह कोटि कोटिन्ह धावहीं ।-तुलसी जिसका उद्धार भगवान् रामचंद्र ने किया था। (शब्द०)। (ख) वक्र वक्र करि पुच्छ करि रुष्ट हच्छ कपि ४.बुद्धदेव का एक नाम । ५.सप्तपिमंडल के तारायों में से एक। गुच्छ। सुभट ठट्ट धन घट्ट सम मर्दहि रच्छन तुच्छ - ६. एक पर्वत का नान। (शब्द०)। २. संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो रात के विशेष- यह नासिक के पास है और इसमें से गोदावरी नदी पहले पहर में गाई जाती है । निकलती है। विशेष-कुछ लोग इसे कल्याण राग का एक भेद मानते हैं । ७.क्षत्रियों का एक भेद । ६.भूमिहारों का एक भेद। 2. एक ..यह वीर और गार रस के वर्णन के लिये बहुत उपयुक्त पि जिन्होंने स्मृति बनाई है। १०.गौतम ऋषि के पुत्र होती है। शतानंद [को०] । ११. कृपाचार्य (०) । १२. एक विष ०] । -गौडीय गौडीय वि० सी० गौडीया] १. गौड़ देश से गौतमतिय-संगा सी० [सं० गौतम+हि. तिय] गौतमपत्नी। संबंधित । २. ( साहित्यिक रचना ) जिसमें गौड़ी वृत्ति पहिल्या । उ०-गौतमतिय तारन चरन कमत प्रानि उर

प्रधान हो [को ।

देपु।-तुलसी ग्र०, पृ०७४। यो०-गौडीया वृत्ति। गौतमी-संवा सो [सं०] १. गौतम पि की स्त्री अहिल्या । २. गौड़ीय-संश पुं गौड़ देश का व्यक्ति हो। कृपाचार्य की स्त्री जो प्रसिद्ध तपस्विनी थी। ३. गोदावरी गौड़ीय भापा- पुं० [सं० गौडीय नापा] बैंगला भाषा [को०] । नदी जो गौतम नामक पर्वत से निकली है। ४.गौतम ऋषि गौड़ स्वर-संज्ञा सं० गोडेश्वर कुणाचगन्य स्वामी जिन्हें गौरांग की बनाई हुई स्मृति । ५. दुर्गा का एक नाम । ६. बुद्ध के महाप्रभु भी कहते हैं। उपदेश (को०1७. मोरोचन को। ८. दुर्गा (को०] । गोग-वि० [सं०] जो प्रधान या मुख्य न हो। २. सहायक। संचारी । गौता -या पुं० [हिन्योता दे० 'गीता' । 30-मुंदर ग्रंदर सि ३. गुण संबंधी को। - गौरगचांद्र-संग्रा पू[सं० गाँडचान्द्र] दो प्रकार के बांद्र मानों में से . करि दिल ना गौता मारि-दर ग्रं०, मा०२, पृ०६८०! गौंद-संशा पुहि० घौर] ३० पोद'। एकबो किसी मास की गुपण प्रतिपदा से उस मास की कृष्ण पूर्णिमा तक होता है। इस मान प्रायः उत्तर में ही गोदा-सपा [हिं० चौद] ३० पौद'। अधिक है। गोदान:-संभा पुं॰ [हिं० गोदान ३० 'गोदान'। गौरपदा- म. साधारण पक्ष । किसी विषय का यह पा गौदुमा-वि० [हि० गौ+दुनया (प्रत्य॰)] नाय की . .. .जो प्रधान या नहत्वहीन हो । भाकार मा । जो एक पोर प्रधिक मोटा हो पर दूगरी पोर - गोशिक-वि० [सं०] १.जिसने कान का गुना प्रसारित हो। कनाः कम हांदा जाय । तार चढ़ाव का मानदुन ।