पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२४७

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- गुड़जात १३२४ गुप्त जार से पैदा किया हो और वह जार उसके पति का यहाँ चरते हुए बैल के बहाने परकीया के नायक के प्रति

सवर्ण ही हो।

कही गई है। गड़जात-संशा पुं० [सं० गूढजात] दे० 'गुढ़ज' ।। गढ़ोत्तर-या पुं० [सं० गूढोत्तर] वह काव्यालंकार जिसमें प्र गढ़जीवी-संज्ञा पुं० [सं० मूडजीविन्] १. वह जिनकी जीविका का का उत्तर कोई गूढ़ अभिप्राय या मतलव लिए हुए दिया जा . .. पता न चलता हो। वह जिसके संबंध में यह पता न हो कि है । जैसे ग्वालिन देहं वताइ हौं मोहिं कछू तुम देव वह किस प्रकार अपना निर्वाह करता है । २. गुप्त रूप से चोरी बंसीवट की छाँह में लाल जाय तुम लेहु । मतिर ': डकैती ग्रादि के द्वारा जीवन निर्वाह करनेवाला व्यक्ति । (शब्द०)। यहाँ उत्तर में लाल शब्द के द्वायक: गढता-संक्षा बी० [सं० गूढता] १. गुप्तता । छिपाव । पोशीदगी। मिलने का संकेत है। २. अबोधगम्यता । गंभीरता । कठिनता । गुण-संज्ञा बी० [हिं० गौन] दे॰ गौन' । उ०- तो गढ़त्व--संज्ञा पुं॰ [सं० गूढत्व] १. गूढ़ता ! छिपाव । पोशीदगी । २. ___ निज नुण की गुण भराय । --रान धर्म०, पृ०॥ गूता@--वि० [सं० गुप्त] दे॰ 'गुप्त' । उ०-यह मैं वचन अबोधगम्यता । गंभीरता ! कठिनता । गढ़नीड़-संज्ञा पुं० [सं० गूडनीड] खंजन पक्षी। गूना।- कबीर सा०, पृ० २७ । गथ-संक्षा पुं० [सं०] मल । विष्ठा [को०] ..: गूढपत्र-संज्ञा पुं० [सं० गूढपत्र] १. करील वृक्ष । २. अंकोट का पेड़ गुथना--क्रि० स० [सं० ग्रन्यन] १. कई वस्तुओं को ताने गूढ़पथ-संथा पुं० सं० गूढपय] १. छिपा हुआ मार्ग । २. पगडंडी। द्वारा एक में बाँधना या फंसना । कई चीजों ३. नन । बुद्धि [को०' । बांधना या फेसाना। कई चीजों को एक गुच्छे यो - गूढ़पद-संज्ञा पुं० [सं० गूटपद सर्प । साँप । नाथना । पिरना । जैसे--माला गूथना । २. किसी - गढ़पा-संज्ञा पुं० [सं० गूढपाद्] पुं० 'गूढपाद । दूसरी वस्तु में तागे से अटकाना । टाँकना । जैसे, झूल। - गूढपाद्-संबा पुं० [सं० नूड़पाद] साँप (को०) । स्थान स्थान पर मोती गूथे गए थे। ३. टोके आदि के गूढ़पाद-संज्ञा पुं० [सं० गूढपाद] दे० 'मूडपद' । दो वस्तुओं को एक में जोड़ना । टॉक से जोड़ मिलाना।। - गूढ़पुरुप- संज्ञा पुं० [सं० गूढपुरुप] भेदिया । जास्स फिो०] । भद्दी सिलाई करना । टांका मारना । सीना 1 गांयना। गुडपुष्प--संश पुं० [सं० गूढपुष्प ] १. पीपल, बड़, गूलर, पाकर मुहा:-गूपागाँयी=(१) भद्दी और मोटी सिलाई। (२) कि इत्यादि वृक्ष । २. मौलसिरी । बकुल वृक्ष । काम को फूहड़ ढंग से करना । - गूढ फल-संशा पुं० [सं० गूटफल] वर का पेड़। गूदा'-संज्ञा पुं॰ [ में गुप्त, प्रा० गुत्त ] गूदा । मज । ३०-खाई ... गूढ़भापित संसा पुं० [सं० मूडमापित ] गूढ़ वात । ऐसी बात जो " विरह गा ताकर गूद मांस की बान। जायसी पं० (गुप्त),. ... सबकी समझ में न पाए [को०। पृ. २६६ । - गूढ मंडप-संश्था पुं० [सं० गठमण्डप] किसी देवमंदिर के भीतर का गूद-संज्ञा दी० [सं० ] १. गड्ढा । गर्त । २. गहरा चिह्न । - वरामदा या दालान । निशान । दाग । जैते.---उसके चेहरे पर शीतला की -: गढ़मार्ग-संश पुं० [सं० गूढमार्ग] सुरंग [को०] । गू दें थीं।

मूडमैथुन-संज्ञा पुं० [सं० गूढमयुन] काक । कौवा ।

गूदड़-संचा पुं० [हिं० गूयना] [ी गूदड़ी] चिपटा । फटा पुराना - गूढव्यंग्य-संज्ञा स्त्री० [सं० गूढव्यङ्ग । काव्य में एक प्रकार की कपड़ा। लक्षणा जिसमें व्यंग्य का अभिप्राय सर्वसाधारण को जल्दी यो०-गूदड़शाह या गूदड़ ताई-गुदड़ी पहननेवाला साधु या . समझ में नहीं पा सकता। फकीर । गूढांग संशा गुं० [सं गूढाङ्ग] कछुवा । गूदरल-संशा पुं० [हिं गूदड़] दे० 'गूदड़' । 30-हम गयंद उतरि गूढ़ांघ्रि--संज्ञा पुं० [सं० गूढानि कहा गर्दभ चढ़ि धाऊँ । कंचनमरिण खोलि डारि काँव गर सर्प । सांप । हा-संज्ञा पुं० [संगढ़ ] मोटी और लंबी लकड़ी जो नाव में वंधाऊँ। फुकुम को तिलक मैटि काजर मुख लाऊँ । पार्टवर . कोटभन्यिा के ऊपर लगाई जाती है। अंबर तजि गूदर पहिरा।--सूर (शब्द॰) । गूदरीg-या स्त्री० [हिं० दर] दे॰ 'नुदड़ो' । उ०-प्रेम नभूति विशेप-यह किश्ती को लंबाई के हिसाब से डेढ़ डेढ़ या दो दो विवेक की फावड़ी, गूदरी खुसी अश पाड़ माला। पलटू०, .. हाय की दूरी पर मजबूती के लिये लगाई जाती है। भा० २. पृ० १०। गूढ़ा -संज्ञा स्त्री० [म० गूठ ] पहेली। प्रहालका । उ०—नाहा गदलाए वि० [हिं० गंदला] दे० नंदला' | 30---गूदले व्योम टैक गूढा गीत गुण कहि का नवली वाति ।-ढोला०, दू० ५६७ ।। - गरद, रवि लुवकै धूमौ रवण । - स० ४०, पृ० १५५ । मूढोक्ति-संशश की सं० गढोक्ति एक अलंकार जिसमें कोई गुप्त गूदा-संशा पुं० [२० गुप्त प्रा० गुत्त] [ी गुदी] १.किमी फल का ... बात किसी दूसरे के ऊपर छोड़ किसी तीसरे के प्रति कही. सार भाग जो छिलके के नीचे होता Ext 'जाती है। जैसे-वप भागह पर खेत ते मायो रक्षक खेत । वह अंश जिस में रस प्रादि रहता है। २. भेजा। मग्न ।