पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२३

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क्षारक्षा ... खाने में कहा , चरेप और गरम होता है और भटकटैया का पिजड़ा (को०)। ६. रस । अर्क (को०):1७. धोबी। रजक ... के समान प्रौषधियों में काम आता है। (को०) 15. मंजरी कलिका (को०)। पा०-सर्पतनु । पीततं जुला। पुत्रप्रदा। वहफला। गोधिनी। क्षारकर्दम, क्षारक ईम-संज्ञा पुं० [सं०] एफ नरक का नाम ।.... क्षांत-वि० [सं. क्षान्त[क्षांता] १. क्षमाशील । क्षमा क्षारगुड-संज्ञा पुं० [सं० क्षार+गुड] चक्रदस्त के अनुसार एक पोपधि करनेवाला । २. सहनशील। सहिष्णु । ' .. का नाम। . . शांत-संक्षा पुं०१. एक ऋषि का नाम । २. उन सात व्याधों में से विशेष-यह प्रोपधि पंचमूलादि के २२ बार फ के हुए भस्म को • एका जिन्हें अपने गुरु गर्ग मुनि की गौए मार डालने के कारण गुड़ के पानी में मिलाकर पकाने से बनती है । इसकी गोलियाँ - शाप मिला था। ३. महादेव । शिव (को०)। रुद्राक्ष के बराबर बनती और अजीण, पांड, प्लीहा, पर्श क्षांता संज्ञा स्त्री० [सं० क्षान्ता] पृथ्वी। भूमि [को०] । शोय, कफादि रोगों में उपकारी मानी जाती है। क्षांति-संज्ञा स्त्री० [सं०क्षान्ति] १. सहिष्णुता । सहनशीलता । 30- क्षारगुरण-संज्ञा पुं० [सं०] खारापन (को०] . छाई तत्र नितांत शांति महिता सर्वत्रही क्षांति थी।-शकु', क्षारण--संज्ञा पुं० [सं०] १. रसेश्वरं दर्शन के शानुसार पारे का पंद्रहवाँ पृ० १६ १२. क्षमा । संस्कार । २. (विशेषतः व्यभिचार फा) दोषारोपण (को०)! . क्षांतु'-संचा पुं० [स० क्षान्तु] पिता । जनक (को०) । ३. क्षार का निर्माण । खार बनाना। ४. टपकाना । चुमाना क्षांतु-वि० सहिष्ण । क्षमावान् । सहनशील [को०] 1 , (को०) क्षा-संज्ञा स्त्री० [सं०] पृथिवी। क्षारत्रय-संक्षा पुं० [सं०] सज्जी, शोरा और सुहागा इन तीन क्षारों क्षात्र-वि० [सं०] क्षत्रिय संबंधी क्षत्रियों का जैसे-क्षात्रतेज, का समूह । क्षात्रधर्म, क्षात्रगुण, प्रादि । क्षारंदशक-संशा पुं० [सं०] दश क्षरों का समूह । सहिजन, मूली, क्षात्र-संथा पुं० क्षत्रियत्व । क्षत्रीपन । क्षत्रिधर्म । पलास. चूका शाक या तिनपतिया, चित्रक, भद्रक, नीम, ईख, क्षत्रिय परुष और अक्षत्रिय स्त्री से जन्मी हुई अपामार्ग और केले के क्षारों का समह ।' संतान [को०] । क्षार संचा पुं० [सं०] मोरवा नाम का वृक्ष। . . . शाम-वि० [सं०] [खी. क्षामा] १. क्षीण । कृश । दुवलापतला क्षारनदी-संशा स्त्री० [सं०] पुराण के अनुसार) नरक की एक

यो०- क्षामोदरी= पतली कमरवाली (स्त्री)।

नदी का नाम [को०] ... . .. २.दुर्बल । बलहीन । कमजोर । ३. अल्प । थोड़ा। क्षारपत्र-संज्ञा पुं० [सं०] दथुधा नामक साग। . .. क्षाम-संज्ञा पु० १. विष्णु का एक नाम । २. क्षय। नाश । क्षारपत्रक-संक्षा पुं० [सं०] वथुश्रा नामक साग। : ', ' . क्षामा संडा सी० [सं०] पृथ्वी। धरती। भूमि (को०] ! .... क्षारपत्रा-संवा पुं० [सं०] चिल्ली नामक साग। .. .. क्षाम्य-वि०[सं०] क्षमा किए जाने योग्य । क्षमणाय । क्षारपाक--संशा पुं० [सं०] मोथा के पौधे से निकले हुए धार को क्षार-संक्षा पुं० [सं०] १, दाहक, जारक, विस्फोटक या इसी प्रकार कोरया, पलाश, बहेड़ा, लोध, केला, चीता, कनेर प्रादि औप- और वानस्पत्य औषधियों को जलाकर या खनिज पदार्थो'.. धियों के साथ जल में पानी से बना हमा पाक। यह छेदन, को पानी में घोल और रासायनिक क्रिया द्वारा साफ करके भेदन अर्थात् फोड़ा फुसो के काम में आता है। तैयार की हुई राख का नमक। क्षारपाल-संदा पुं० [सं०] एक ऋषि का नाम। सखा साफ . चमकीला, मल काटनेवाला भोर कलम क्षारभमि-संधा श्री० [सं०] ऊसर जमीन [को०] .. रूप में होता है। डॉक्टरी मत से क्षार उस पदार्थ क्षारमति-संबाबी• [सं०] खारी: मिट्टी। रेह (को०] ... कोपहते हैं जो पानी में अच्छी तरह घुल सकता हो, भम्ल या क्षारमेह--संथा पुं० [सं०] एक प्रकार का प्रमेह, रोग .... तेजाब की शक्ति नष्ट करके उसका नमक बना सकता हो और क्षारलवण-संथा पु० [सं०] खारा नमक।... " . भिग्नं वानस्पत्य रंगों को बदल सकता हो। विशेष-वैद्यक में यह पेशाब और दस्त लानेवाला माना पक्रदत्त के अनुसार एक प्रकार की भोषधि जो मीषा नाम

गया है।..."

व की पत्तियों के क्षार से बनती है। ३. चमक । ४.सज्जी। क्षारवर्ग-संघा पुं० [सं०] सज्जीखार, सोहागा.. और: शोरा इन तीनों सार 1५. शोरा। ६. सुहागा । ७. भस्म । राख। 5.का .का.समूह। क्षारत्रय, : ..::.. मा . गुड़ । १०. काला नमक: (को०)। ११.जल (को०) क्षारश्रेष्ठ संबा पुं० [सं०] १. वज़क्षार । २. पलास । ३. मोरवा । .:: १०. किसी वस्तु का सत या स्वरस (को०) । १३. दुष्ट । ठग।::.: मुष्कक क्षुप।.:.., ..:..:. . .: 'धत (को०)। .. ...: क्षारषटक--संचा पुं० [सं०] छह प्रकार के क्षारों का समूह । धव, क्षार-वि०१. क्षरणशील । २. खारा। ३. धूर्त

..अपामार्ग, कोरैया, लांगली, तिल.और मोखा, जिसके भस्म से

'शारक-संघा पुं० [सं०] १. क्षार । २. सज्जी । ३. चिड़िया फंसाने क्षार निकलता है।. . . काजात । ४. मछली पकड़ने की खांची या बौरी । ५. चिड़ियों द्वारा संचा पुं० [सं०] काच की बनी हुई नकली माख [को०] ।