पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२१

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खाए गुटवेगन १२९६ गुड़गुड़ाना - यापम में मिलकर छोटा सा दल बनाना । २.पिसी फिसी संस्था गुड--संक्षा पुं० [सं०] १. गुड़। २. गॅद। फुदुक । ३. ग्रास । फौर। - . में विरोध या स्वार्थ के आधार पर कुछ लोगों का गुट बनना। ४. हाथी का कवच । ५. कपास का पेड़ । गोली को०] । गुटवैगन--संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का कंटीला पांधा। .. गुड़--संशा पुं० [सं०] कड़ाह में गाढ़ा पकाकर जमाया हुप्रॉ ऊंख का गुटरगू-संवा सी० [अनु॰] कबूतरों की बोली। रस जो कतरे, वट्टी या भेली के रूप में होता है। टिका-सा औ० [सं०] १. वटिका। वनी। गोली। २.एक विशेप-खजूर के फलों के रस का भी गुड़ बनता है। मिटि । उ०-ग्रंजन, नटिका, पादुका धातुभेद, बैताल, वन रसा- चौ०- गुड नरा हँसिया-असमंजस का काम जिने = तो: - यन जोगिनी, मोहि सिद्ध यहि काल । हरिश्चंद्र (शब्द०)। बने और न तो छोड़ते हो। ऐसा काम जिसे करने से भी जी विशेप-इसके अनुसार एक गोली या गुटका मुह में रख लेने से. हिचकता है. और छोड़ने को भी जी नहीं चाहता । गूगे का कहते हैं कि जहाँ चाहे वहाँ चले जायें और कोई देख नहीं. गुड़ दे० 'मूगा' का नुहा० । - सकता। : .. मुहा०-फुल्हिया में गुड़ फूटना=(१) गुप्त रीति से कोई कार्य गुटी-संशा को [हि० गोटी] दे॰ 'गोट'। होना । छिप टिप कोई सलाह होना । (२) गुप्त रीति से कोई गुटु- संवा पुं० [सं० गोष्ठसमूह, प्रा० गोट्ठ] झुट । दल। यूथ ।। ... पाप होना । गुड़ गोवर करना=विगाड़ना। खराब करना। ... जैने, उन लोगों का गुट्ट ही अलग है। गुड़ गोवर होना=बिगड़ जाना । खराब हो जाना । जो गुड़ - मुहा०-गुट्टकरना- मिल जुलकर सलाह करना । गुट्ट बनाना खाएगा तो कान छैदावेगा जो कुछ घन लेगा उसे कष्ट भो गुट्ट बाँधना=झुड इकट्ठा करना । जैसे,—डाकू गुट्ट बांधकर उठाना होगा। चलते हैं। विशेप-लड़कों का कान छेदते समय प्रायः रीति है कि लड़कों गट्टा -संज्ञा पुं० [हिं० गोटी] लाख की बनी हुई चौकोर गोटी के हाथ में कुछ मिठाई दे देते हैं जिससे वे उसी में भूले रहें जिनसे लड़कियाँ खेला करती हैं। और झट से कान छेद दिए जाये। युट्टा--वि० देश०] नाटा । ठिंगना। गुड़ खाएगी अधेरे में पाएगी जो कुछ लाभ उठावेगा उसे । गटठल-वि० [हिं० गुठली] १.(फल) जिसने बड़ा गुठला हा। ..समय पर काम देना ही पड़ेगा। गुड़ खिलाफर ढेला मारना= २. बड़। मूर्ख । कूढ़ मगन । ३.गुठली के आकार का। . कुछ लालच देकर फिर ऐसा बरताव करना जिससे कुछ प्राप्त न गुठल-संवा पुं० १.किसी वस्तु के इकट्ठा होकर जमने से बनी है हो, उलटा कष्ट उठाना पड़े। गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दे हुई गांठ । गुलथी । जैसे,-न जाने यह रजाई कैसे भरी गई जब कोमल व्यवहार से काम निकले तो कड़ाई करने की है कि जगह जगह गुट्ठल पड़ गए हैं। क्या आवश्यकता । जब सीधे से काम चले तव जोई उग्र उपाय कि० प्र०-पड़ना ।' क्यों करे । गुड खाना गुलगुलों से घिनाना या परहेज करना=. २.गिलटी। कोई बड़ी धुराई करना और छोटी बुराई से बचना । किसी गुट्छी-पंचा सी० [सं० ग्रन्थि, हिं० गाँठ] १.कोई मोटी गोल या कार्य का बड़ा अंग करना पीर छोटे से दूर रहना । गुड़ होगा. ___संबोतरी नांठ । २. दे० 'वल्व।। तो मक्खियाँ बहुत प्रा जाएंगी पास में धन होगा तो खान- गुटला'-संधा पुं० [हिं० गुटली] १.मोटी और बड़ी गुठली । २. वाले बहुत प्रा जायंगे'। जब गुड़ गजन सहे तब मिसरी नग्म गुठली के आकार प्रकार की कोई कड़ी चीज। घराए -- कष्ट पाने के बाद ही भाग्योदय होता है। उ०- गुठला-संक्षा पुं० [सं० स्थल अङ्क प्रा० अगुठल] अंगूठे में पहनने 'अरे भाई! यह सब महतमा जी का परताप है। कौन सह का एक प्रकार का प्राभूपए। सफता है ? जब गुड़गंजन सहे तो मित्तरी नाम धराए।- गुठला वि० [सं० कुएन] कुठित । भोथरा। मैला०, पृ. ३१ । गुटलाना--क्रि० अ० [हिं० गुठली] १. गुठली की तरह कड़ा गुडईवनिंग-संशा सो [अं॰] संध्या के समय का अंगरेजी अभि- '. और गोल होना। बादन पा वचन जो किसी से मिलने के समय कहा जाता गुठलाना-कि० अ० [सं० कुण्ठ] चाकू या अस्त्र शस्त्र की धार है और जिसका अभिप्राय है-यह संध्या आपके लिये का कुंठित अथवा भोवरा होना । शुभ हो। गठली सौ०० ग्रन्थिल, गुटिफा] १.किती फल का बड़ा गडक--संज्ञा पुं० [सं०] १. गोल पदार्य । २ प्रात। कौर । ३ राह पौर कड़ा वीज । ऐते फल का बीज जिसमें केवल एक ही बड़ा में पकाकर बनाई गई दया (को०)। बीज होता हो । जैसे,--ग्राम की गुठलो। बेर को गुटली । २. गुडकरी--संशजी [सं०] एक रागिनी । गुर्जरी को गिलटों। गुड़गुड़--संशा पुं० [अनु॰] वह गब्द जो जस में नली यादि के गुठानाबु-वि० [म० कुएड कुटित । मंद।। द्वारा वेगपूर्वक वासु के चुनने और बुलबुला छुटने से होता गुड़ांव-संदा पुं० [हिं० जुड़+ब, ग्राम] १. कच्चा आम जो है, जैसा हुक्कै में। '. 'ज्वालकर जीरे में डाला गया हो। २.गुड़ या चीनी में कच्चे गुड़गुड़ाना'-०प्र० [अनु०] गुडनर शब्द होना। 'माम को वनका कायापाए पदार्थ । तो पेट गुईगुड़ा रहा है।