पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२०२

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गाहकताई १२७६ गिदौड़ा. सवै रहे मौन । गंधी अंध! गुलाब को गवई गाहक कोन? विशेष- इसके चारों पदों में क्रमशः १२, १८, १२, और १५ -बिहारी (शब्द०)। मात्राएँ होती हैं। वि०३० मार्या' । जैसे, रामचंद्रपद पत्र, महा--जी या प्राण का गाहक-प्राण लेनेवाला। मार डालने बदारक दाभिवंदनीयं । केशव मति भूतनया, लोचन की ताक में रहनेवाला। __चंचरीकायते। २. कदर करनेवाला। चाहनेवाला। दूदनेवाला। इच्छुक । गाहित-वि० [सं०] १. गाहन किया हुअा। उ०-यवन मंद मृदु गंध अभिलापी। प्रेमी। उ०--(क) हम तो प्रेम प्रीति के गाहक प्रवाहित । मधु मकरंद सुमन सर गाहित । २. प्रविष्ट । पैठा भाजी साग चखाइए।-सूर (शब्द०)। (ख) हो मन राम हुया (को०)। गाहिता-वि० [सं० गाहित] [वि० गाहित्री] १. गाहन नाम को गाहक । चौरासी लख जिया जोनि में भटकत फिरत करनेवाला। १. पैठनेवाला। ३. मथनेवाला ।' विलोड़न अनाहक !-तुलसी (शब्द०)। (ग) गुन ना हेरानो गुन । करनेवाला । ४.विनाशक (को०)। गाहक हेरानो है।-(शब्द०)। ही माहकताई -संश्था श्री० [सं० ग्राहक+ता ताति (प्रत्य॰)] कदर । गाही-संघा स्त्री० [हिं० गााहना] १.फल प्रादि गिनने का एक मान जो पांच पांच का होता है । पाँच वस्तुओं का समूह। दानी । चाह । उ० - कह कपि तव गुन गाहकताई। सत्य पवनसुत मोहिं सुनाई।—तुलसी (शब्द०)। मुहा०-गाही के गाही-बहुत अधिक । २. पाँच की संख्या की राशि। गहाको'--संज्ञा स्त्री० [हिं० गाहक] १. खरीददारी। २. विक्री।। मुहा०-गाहकी पटना% सौदा पटना। ३.गाहक होने का गाहू-संवा स्त्री० [हिं० गना] उपगीति छंद का एक नाम । वि० दे० 'उपगीति' । भाव या स्थिति। गाह की--संशा पुं० ग्राहक । खरीददार। गिदर-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक कीड़ा जो फसल को बहुत हानि पहुचाता है। गाहटना-क्रि० सा [सं० गाह] १. मथना। बिलोना । २.नष्ट । गिदुक-संग पुं० [सं० गिन्दुक, गेन्दुक] १. गेंदें। कंदुक । २. गॅटुक' नामक वृक्ष को०] 1 भ्रप्ट करना । उ०-गोढ़वाड़ घर गाहटे, पहला पाली मार।- गिजना-वि० अ० [हिं० गाँजना का अफ० रूप किसी चीज रा० रू०, पृ० २८७। गाहन-संशा पुं० [सं०] [वि० गाहित] १. गोता लगाने की क्रिया। (विशेषतः कपड़े) का हाथ लगने या अधिक उलटे पुलटे जाने के कारण सिकुड़ जाना अथवा मैला या घराब हो समान । २.अवगाहन । थाह लेना । उ०-प्रादि अंत गाहन जाना । गीजा जाना। किया, माया ब्रहा विचार | दादू०, पृ० ३३७ । ३. विला- गिजाई..-संया सी०सै० गजन-विषाक्त मांस] एक प्रकारका डना । मथना । ४. छानने का काम करना। छानना (को०)। कीडर जो बरसात में पैदा होता है। ग्वालिन । घिनौरी। गाहना--क्रि० स० [सं० गाहन= अवगाहन] १.डूबकर थाह लेना। उ.- चित्रकेतु सुत गज वै जनमा । रानी सकल गिजाई वन प्रवगाहन करना। २. मथना । विलोड़ना। हलचल मचाना। .. मापग तर पोसि गई मरि जोई। विप दैवदला तान्हान क्षुब्ध करना। उ०-व्रजराज तिनके और ती ब्रजराज के सोई-विधाम (शब्द०)। परताप । जिन साह के तल गाहि के निज साहिवी करि विशेष-यह लगभग दो अंगुल से चार अंगुल तक लवा हाता थाप।-सूदन (शब्द०)। ३.धान प्रादि के डंठल को दौते है। कनखजूरे की भांति इसके भी बहुत से पैर होते हैं । एक समय एक डंडे से उठा उठाकर गिराना, जिसमें दाना नीचे ही स्थान पर इसके ढेर के ढेर पड़े मिलते हैं। कभी कभी झड़ जाय । अोहना। उ०-कहो तुम्हारो लागत काहे । कोई कीड़ा एक दूसरे की पीठ पर सवार भी देखा जाता है। फोटिन जतन कही जो अधो नाहि क्ककिही वाहे । वाहे को . इससे इसे घोड़सवार भी कहते हैं। यदि कोई पशु धोखे से अपने जी मेरी तू सत ले मन चाहे।। यह भ्रम तो अबहीं मिटि इसे खा जाय, तो वह तुरंत मर जाता है। ये कीड़े वर्षा के जह ज्या पयार क गाह। काशा के लोगन ल सिखया जा प्रारंभ में पैदा होते हैं, और ऐसा कहा जाता है कि हायपा: समुझे या माहे । सूर श्याम विहरत · बृज अंदर जीजतु है मुख नक्षत्र के बरसने पर मर जाते हैं। चाहे। -सूर (शब्द०)। ४. जहाज' आदि की दरारों में सन मिजाई-संबा खी० [हिं०गौंजना] गींजने की माव या क्रिया।। आदि ठूसकर भरना । कालपट्टी करना ।-(जहाज)। ५. खेत गिड़नी-शा क्षी० [देश०] एक प्रकार का साग जिसकी पत्तियां दी में दूर दूर पर जोताई करना । ६.घूमना । फिरना । चलना। दो अंगुल लंबी और जो भर चौड़ी होती हैं। उ.--ब्रज बन गैल गन्यारनि गाहत । लरत फिरत ज्यों ज्यों विशेष-इसका डंठल हरा होता है और उसकी गांठों पर सफर सुख चाहत-धनानंद, पृ० १६० । . सफेद फूलों के गुच्छे लगते हैं । फूल झड़ जाने पर छोटे छोट गाहाल संचा सी० [सं० गाथा, प्रा० गाहा] १..कथा । वर्णन । बीज पड़ते हैं। चरित्र । वृत्तांत । उ०—(क) करन चहीं रघुपति गुन गाहा। गिडुमा--संथा पुं० [हिं० गिडुरी] तकिया। . .. लघु मति मोर चरित अवगाहा । -तुलसी (शब्द०) (ख)। गिंडुरी-संथा सी [हिं०] दे० 'इंडरी'। . मज हि प्रात समेत उछाहा । कहैं परस्पर हरि गुन गाहा। गिदौड़ा-संवा पुं० [हिं० गेंद (सी० गिदौड़ी] बहुत मोटी राटा। -तुलसी (शब्द) 1२. आर्या छंद का एक नाम । के आकार में गलाकर डाली हुई चीनी। :