पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९२

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गाड़ीखाना १२६९ गातलीन रथ, बहल, बहली, एक्का, टाँगा, बग्घी, जोड़ी, फिटन, मुहा०-- गाढ़ी छनना = (१) गहरी मित्रता होना । अत्यंत टमटम आदि। मेल होना। गूढ़ प्रेम होना । जैसे,---आजकल उन दोनों : मुहा०--पाडी भरबहुत सा। ढेर का ढेर । गाड़ी जोतना- की खूब गाढ़ी छनती है। (२) घुल घुलकर बातें होना। गाड़ी में घोड़े जोतना । चलने के लिये गाड़ा तयार करना। गुप्त सलाह होना। (३) लाग डाँट होना । विरोध होना। .. गाड़ी छूटना- गाड़ी का रवाना हो जाना। . . ४. बढ़ा चढ़ा। घोर । कठिन । विकट । प्रह। कट्ठर । दुल्ह। .. विशेष--ऐसा प्रायः ऐसी गाड़ियों के ही संबंध में बोलते हैं - जैसे, गाढ़ी मेहनत । उ0-द्विज देवता धरहि के बाढ़े। मिले। ' जिनका संबंध सर्वसाधारण से होता है और जिनके आने जाने न कबहुँ सुभट रन गाढ़े।-तुलसी (शब्द०)। का समय नियत होता है । रेलगाड़ी छूटना, बस या मोटर मुहा०-- गाढ़े की कमाई = बहुत मेहनत से कमाया हुआ धन ... छूटना आदि। अत्यंत परिश्रम से उपार्जित धन । गाढ़े का साथी या संगी- २. रेलगाड़ी। । संकट के समय का मित्र । विपत्ति के समय सहारा देनेवाला।। मुहा०- गाड़ी काटना=(१) किसी डिब्बे का ट्रेन से अलग उ०-दस्तगीर गाड़े कर साथी । बहु अवगाह दीन तेहि ।। होना । (२) चलती गाड़ी में से माल चोरी जाना । हाथी।-जायसी (शब्द०)। गाड़े विन=संकट के दिन । ' गाड़ीखाना--संज्ञा पुं० [हिं० गाड़ी+खाना] वह स्थान जहाँ गाड़ियाँ विपत्ति काल । मुसीवत का वक्त । गाढ़े में=विपत्ति के दिनों ।। रखी जाती हो। गाड़ीवान--पंज्ञा पुं० [हिं० गाड़ी + वान (प्रत्य॰)] १. गाड़ी होकने- से। संकट के समय में। जैसे,--मित्र वही जो गाड़े में । | वाला । २. कोचवान । ., काम नावे। गाडू@--वि० [हिं०] दे० 'गाँड' । उ०--खए यफ चूप में रहउ - गाढ़ा-संज्ञा पुं० [सं० गाढ] १. एक प्रकार का मोटा और. भद्दा । , - गारि गाडू दे तवही |--कीर्ति०, पृ० ४२ । सूती कपड़ा जिसे जुलाहे बुनते हैं और गरीब यादमी पहनते । । हैं। २. मस्त हायी। गाढ़'--वि० [सं० गाढ] १. अधिक । वहुत'। अतिशय । २. दृढ़ । गाढावटी-संगा श्री० [सं०] भारतीय शतरंज का एक भेद (को०] | ... मजबूत । उ०---अजहून लक्ष्मी चंद्रगुप्तहि गाढ़ आलिंगन गाढ़ --क्रि० वि० [हिं० गाढ़ा] १. दृढ़ता से। जोर से । उ०मैं । करै ।--भारतेंदु ग्रं०, भा० १, पृ० १६३ । २. धना । गाढ़ा। गोरस ले जात अकेली काल्हि कान्ह बहियां गही मेरी । हार । उ०--पासा ही के खंभ दोय गाढ़ के धरत है। भारतेंदुः सहित मॅचरा गह्यो गाढ़े एक कर गयो मटुकिवा मेरी सूर । . ग्रं०, भा०१, पृ०४५२ । ४. गहरा । अथाह् । ५. विकट । (शब्द०)।२. अच्छी तरह । भली भांति । खुब । उ०--- कठिन । दुरूह । दुर्गम । उ०- क्षेत्र अगम गढ़ गाढ़ सुहाया । लाडिली के कर को मेंहदी छवि जात यही नहिं शंभुह जू पर। सपनेहुँ नहिं प्रतिपच्छिन पावा।--तुलसी (शब्द०)। गाढ़--संज्ञा पुं० [सं० गाढ] १. कठिनाई । आपत्ति । संकट 1 -- भूलिहू जाहि विलोकत ही गड़ि गाड़े, रहे अति ही दृग दूपर। (क) जहँ-जहें गाढ़ पर संतन पर सकल काम तजि होहु सहाई। -शंभु (शब्द०)।


तुलसी (शब्द०)। (ख) इसी मरी माई श्याम भुसंगम कारे।

गाणपत'-वि० [सं०] [वि० पी० गाणपती] १. गणपति संबंधी! । मोहन मुख मुसुकानि मनहुं विग जाते मरे सो मारे ।..." २. सेना में गण के नायक से संबद्ध । गाणपत-संज्ञा पुं० एक संप्रदाय जो गणेश की उपासना करता है। .. निविप होत नहीं कैसेहुं करि बहुत गुणी पचि हारे। सूरपयाम गाणपत्य--संक्षा पुं० [सं०] १. गणेश का उपासक । २. गणेश की । गारुडी विना को सो सिर गाढ़ उतार ।--सूर (शब्द०)। ' क्रि० प्र०--पड़ना। ' उपासना । ३. सेना की टुकड़ी का नायक । मुहा०--गाड़े में पड़ना=संकट में पड़ना । आपत्तिग्रस्त होना। गाणिक्य---संज्ञा पुं० [सं०] गरिएकानों का समूह (को०)। । ... उ०-एक पर गाड़े, एक डाढ़त ही फाढ़ एक देखत हैं ठाढ़ें, माणातक-सशापु [स] पापा कहैं पावक भयावनो ।--तुलसी (शब्द०)। .. ... .[को०)। २. जुलाहों का करघा । गाणेश-संज्ञा पुं० [सं०] गणेश का उपासक [को०)। गाढ़ा'---वि० [सं० गाढ़] [वि० सी० गाढ़ी] १. जो पानी की तरह गात-संघा पुं० [सं० गात्र, पा० गत्त] १. शरीर । अंग। उ०- । पतला न' हो । जिसमें जल के समान बहनेवाले अंश के वैठे देख कुशासन जटा मुकुट कुश मात । तुलसी (शब्द०)। अतिरिक्त ठोस अंश भी मिला हो । जिसकी तरलता घनत्व २. लज्जा का अंग । गुप्तांग । जैसे,--गात दिखाना। ३. । लिए हो । जैसे,--गाढ़ा दूध, गाढ़ा रस, गाढ़ी स्याही, स्तन । कुच। गाढ़ा शरीर । । . . - मुहा०—गात उमगना-- छाती उठना । कुच निकलना। मुहा०—गाढ़ी छनना=(१) खूब भाँग का पिया जाना । (२) । ४. गर्भ । . गहगड्ड नशा होना। मुहा०-गात से होना=गर्भवती होना। ... . २. जिसके सूत परस्पर खूब मिले हों। ठस । मोटा। (कपड़ें गासलीन--संज्ञा स्त्री० [अं० गाटलिन ] जहाज में की एक डासा आदि के लिये) जैसे,--गाड़ी बुनावट, गाढ़ा कपड़ा। २. मस्तूल के ऊपर एक चरखी में लगी रहती है भार ' । . 'घनिष्ट । गहरा । गूढ़। जैसे,-गाढ़ी मित्रता । उठाने में काम आती है। " . . . . . .. .... - -