पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१२०

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। गंधकाम्ल ११६६ ... गंधपत्रा 'जो शुद्ध गंधक, चित्रक, मित्र, पीपल आदि के योग से बनाई गंवना-संज्ञा सी० [सं० गन्धज्ञा] नासिका । नाक [को०]। .... | - .जाती है। यह गोली अजीर्ण, शूल, ग्रामदोप, गोल आदि गंधण@-वि० [फा० गंदह ] मलिन 1 अपवित्र । -गंधरण . रोगों में दी जाती है। बैरए नहीं पतिया। अंतरि ज्ञान तिन प्राचार्य ।-प्राण, | गंधकाम्ल-संज्ञा पुं० [सं० गन्यकाम्ल] गंधक का तेजाव (को०] । पृ० २४२ । [को०] . गंधकारिका-संशा खी० [सं० गन्यकारिका] सुगंधित अंगराग प्रादि गंधतंडुल-संज्ञा पुं० [सं० गन्यतण्डुल गंध शालि । सुगंधित चावल | तैयार करनेवाली, सेविका। कपड़ों को सुगंध से बसाने फो०] । का काम करनेवाली दासी या सेविका [को०] । गंबतूर्य-संशा पुं० [गन्धतूर्य ] विगुल, तुम्ही, दुदुमी आदि युद्ध का गंधकालिका-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धकालिका] सत्यवती । योजनगंधा।। र बाजा [को०] । गंधकाली-संशा सी० [सं० गन्धकाली] सत्यवती। योजनगंधा । गंधतृण-संज्ञा पुं० [सं० गन्धतृण] एक प्रकार की सुगंधित घास जो गंधकाष्ठ-संज्ञा पुं॰ [सं०] १. अगर की लकड़ो । अरू । २.चंदन। न वैद्यक में कुछ तिक्त, सुगंधित, रसायन, स्निग्ध, मधुर, शीतल गंधकी-वि० [हिं० गंधक- ई (प्रत्य॰)] गंधक के रंग का । हलका । और कफ तथा पित्त की नाशक कही गई है। 1. ' पीला। ... . गंधतेल-संज्ञा पुं० [सं० गन्धतल] सुगंधित तेल को ! गंधकी-संज्ञा पुं० एक रंग जो कुछ सफेदी लिए पीला होता है। ' गंबत्राण-संवा पुं० [गन्ध+ बारा ] ज्वरांकुश नाम की घास, ।' यह रंग असवर्ग से निकाला जाता है और छींट छापने तथा जिसमें से नीबू की सी गंध पाती है। नीली जाय । .... सूती और रेशमी कपड़े, रंगने में काम आता है। गंधद-संज्ञा पुं० [सं० गन्धद] चंदन। | गंधकी तेजाब-संश पुं० [हिं० गंधकी + फा० तेनाव ] गंधक का गंधदला-संवा स्त्री० [सं० गन्धदला ] अजमोदा । अजवायन । तेजाब। गंधदारु-संज्ञा पुं० [सं० गन्बदारु] अगर । गंधकाण्ड (को०)। गंधद्रव्य-संज्ञा पुं० [सं० गन्धद्रव्य] सुगंधित पदार्थ, जैसे, चंदन, गंधकुटि-संज्ञा सी० [सं०] किसी देवालय के अंतर्गत यह कमरा या केत्तर आदि। .. दालान जिसमें बहुत सी देवमूर्तियां रखी हों। गंवद्वार-वि० [सं० गन्धद्वार जो गंध से जाना जाय [को०।। गंवकुटी-संज्ञा स्त्री० [सं०] मुरा नामक एक गंधद्रव्य [को॰] । गंधवारी'- वि० [सं० गन्वधारिन ] सुगंधयुक्त । जो सुगंध लगाए हो। - गंधकुसुमा-संञ्चा सौ. [सं० गन्ध+ कुसुमा] एक पौधा । गनि- गंवधारी-संज्ञा पुं० शिव को . 'यारी [को०। गंधवूलि-संज्ञा स्त्री॰ [सं० गन्यधूलि कस्तूरी। | गंधकेलिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] कस्तूरी [को०] । गंधन'-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'गंदना'। | गंधकोकिल-संज्ञा पुं० [सं गन्धकोकिल[ एक सुगंधित वस्तु । गत to fio कटनी मोनो-सितारों सुगंध कोकिल । .. गंधनकुल--संज्ञा पुं० [सं० गन्धनकल] छछू दर (को०] । गंधखेद, गंधखेदक-संज्ञा पुं० [सं० गत्वखेद, गन्धवेदक एक गंधनाकूली-संशा ग्री० [सं० गन्धनाकुली] एक प्रकार का नाकुली . सुगंधित घास । गंधतृण[को०] । कंद जो साधारण 'नाकुली से अच्छा होता है। रास्ना । गंधग-वि० [सं० गन्वग] गंधवाला । गंधयुक्त [को०] । घोड़ रासन । | गंधगज-मंबा पुं० [सं० गत्यगज] वह हायी जिसके कुंभस्थल से गंधनाडी-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धनाडी] नासिका । नाक (को०] । मद निकलता हो! . गंधनामा--संज्ञा पुं॰ [सं० गन्यनामन्] लाल तुलसी [को०।। 1. पर्या---गंघहिप । गंवद्विरद । गन । गंधनाम्री-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धनानी] साधारण बीमारी । मामली गंधगात@-संज्ञा पुं० [सं० गन्धगात्र] चंदन ।-(डि.)। वीमारी ! क्षुद्र रोग [को॰] । गंवगुण-वि० [सं० गत्वगुण] जिसका गुण गंध हो (को०)। गंधनाल -मंदा पुं० [हिं० गन्ध+नाल] नाक का छेद । नथुना। . गंधग्राहक-वि० [सं० गन्यग्राहक] गंध ग्रहण करनेवाला (जैसे, उ०-गंधनाल दुइ राह एक सम राखिये । चढ़ि सुखमना - प्राण [को०)। घाट अमीरस चाखिये। कबीर (शब्द०)। गंधनाही-वि० [सं० गन्धवाहिन्]१.गंधग्राहक । २. सुगंधित [को०] । गंधनालिका, गधनाली-संशा सी० [सं० गन्धनालिका, गवनाली] गवघ्रारण-संज्ञा पुं० [सं० गयघ्राए] किसी भी गंध का ग्रहण मासिका । नाक (को०] । करना (को०] 1, .. गधनिलया-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धनिलया] चमेली का एक भेद (को०] । . : नवचेलिका-संश स्त्री० [सं० गन्वचेलिका] कस्तुरी। . . गंधप-मंडा पुं० [मं० गन्धप] पितरों का एक वर्ग को । गंधज-वि० [सं० गन्धज] सुगंधित पदार्थ संबंधी या उससे युक्त किो०] । गंधपत्र--संञ्चा पुं० [म गन्धपत्र] १.सफेद तुलसी । २.मरुवा । ३. ' गजल संशा पु[सं० गन्धजलासुगंधित तोय या सुवासित जल फिो०] । नारंगी४.वेल । ...... पर्या०-गंधोद । गंधोदक। .. गधपत्रा--संधाली [म० गन्धपत्रा] कपूरकचरी। गंधजात:-संशा पुं० [सं० गन्धजास] तेजपात । पर्या०-गंधपत्रिका | गंधनिया । गंधपीता। " ..