पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/११२

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११८८ स्खेतर याल'-संक्षा पं० [अ० खयाल] [वि. पाली] १.ध्यान । ख्वा ----प्रत्य० [फा० एवा] पढ़नेवाला । जैसे, गजलबा । | मुहा०- ख्याल करना=सोचना । याद करना । ख्याल पड़ना= बार--संशा पुं० [फा० स्वाद ] स्वान का लघु रूप । दे० 'खान' । ' घ्याव में माना। याद माना। स्थाल पर चढ़ना= दे० 'बाल स्वादा-वि० [फा० रुबादह.] १.पढ़ालिखा। शिक्षित । २.निमंत्रित । पड़ना' । ख्याल में ग्राना= समझ में माना। स्याल में रख ना= स्वाजा-संशा पुं० [तु० वाजह..] १. मालिका स्वामी। पति । - न स्याल रखना । देखते भालतेर हना। याद रखना । स्मरण २ सरदार । ३. कोई प्रसिद्ध पुरुष । ४. बड़ा व्यापारी । ५. सुना। स्याल रहना=याद रहना । स्याल से उतरना या ऊंचे दर्जे का मुसलमान फकीर । ६. रनिवास का नपुसक उत्तर जाना भूल जाना । विस्मृत हो जाना । किसी के ख्याल मृत्य । स्वाजासरा। खोजा। पड़ना=किसी को पीछे पड़ना। किसी को दिक करने पर स्थान --संझा पुं० [फा० स्वान] थाल । परात । स्तार होना । उ०-राधा मन में यह विचारति । ये सब, यो०-पानपोश =वह कपड़ा जिससे पकवान, मिठाई आदि से मेरे ख्याल परी हैं वहीं वातन ल नित्प्रारति ।-सूर भरे स्वान को ढक देते हैं। (शब्द०)। स्वान चा-संज्ञा पुं० [फा० एवान चह.] एक बड़ी थाली (या । २. अनुमान । अंदाज । अटकल । जैसे,-हमारा ख्याल है कि वह शीशेदार संदूक) जिसमें मिठाई, पकवान श्रादि बेचने के लिये रखते हैं । दे० 'सोनचा'। . यहां नहीं प्रावेगा। मुहा०- स्याल बाँधना=अनुमान लगाना कल्पना करना। ख्वानाg+-क्रि० स० [हिं० लावाना खिलाना । उ०-छल कियो ३.विचार । भाव । संमति । जैसे,—उनके बारे में प्रापका क्या पाडवनि कौरव ऋपट पामा ढरन । दाय विप, गृह लाय दोन्हौं, तउन पाए जरन 1--सूर०, १५२०२। ख्याल है। ख्वानी-शा मी० [फा. स्वानी] पढ़ना ! सुनाना। ४.प्रादर । लिहाज । अदव । विशेष--इसका व्यवहार समास के अंत में ही होता है। जैसे, मुहा०- हयाल फरना-रियायत करना । बाल में लाना- गजलगवानी। (१) रियायत करना । (२) महत्वपूर्ण समझना। स्याल स्वाव संज्ञा पुं० [फा० स्वाय १. सोने की अवस्था नींद। २स्वप्न । रखना=(१) लिहाज रखना । (२) कृपादृषि रखना। यो.. स्वावगाह सोने का घर । शयनागार। ५. एक विशेष प्रकार का गान जिसमें केवल एक स्थायी पद थोर महा.- एत्राव होना या हो जाना=(१) स्वप्नदोप होना , स्वप्न | एक अंतरा होता है तथा अधिकतर शृंगार रस का वर्णन में दीर्यपात हो जाना । (२) कभी प्राप्त न होना । रहता है। यह अनेक राग रागनियों का होता है और तिल- स्वार-वि० [फा० एवार] १. वर्वाद । खराव । नष्टभ्रष्ट। वाड़ा ताल पर गाया बजाया जाता है। जैसे, ख्याल केदारा, सत्यानाश । २. अनादत । तिरस्कृत । बेइज्जत । अपमानित। | ख्याल देश, स्वातंतश्री, न्याल सिंदूरियामादि। ६. लाघनी विप्र-करना ।-होना । गाने का एक ढंग। ख्वारी-माहा गोल [फा० स्वारी] २.बर्वादी। खरावी। नष्टता । | स्यालर- संन्हा पु० [हिं० खेत] सेल । छोड़ा। हंसी। दिल्लगी। ध्रप्ता । २. अनादर । तिरस्कार । वेइज्जती । अपमान । . उ०—(क) वह सुनि कामिनि भई वेहाल । जान परचो नहि कि० प्र० करना |--होना। हरि को ख्याल ।--सूर (शब्द॰) । (ख) कंत बीस लोचन वास्त-संधा की [फा० हयास्त] चाह । इच्छा।

बिलौकिये कुमंत फल च्याल लका लाई कपिराड़ की सी स्वास्तगार-संशा पुं० [फा० स्वास्तगार] [ भाव० स्वास्तगारी]

- झोपड़ी!-तुलसी (शब्द०)। चाहनेवाला । इच्छा करनेवाला। - त्यालिया-वि० [हिं० स्थाल+इया (प्रत्य॰)] स्माल गानेवाला। ख्वास्ता-वि० [फा० बास्तह ] चाहा हुमा । इच्छिन । कांक्षित । वांछित । वह जो ख्याल गाता हो। ख्वाह-अव्य० [फा० स्वाह] या । अथवा । या तो। ': स्याली'-वि० [हिं० स्याल] १. कल्पित । फर्जी । अनुमित । यो०--स्वाह प स्वाह-(१) चाहे कोई चाहे या न चाहे। - महा-याली पुलाव पकाना--प्रसंभव बातें सोचना । मनोराज्य अपनी टेक से । जबरदस्ती । (२) जरूर । अवश्य । . करना । कल्पित बातें सोचना । स्वाहां-वि० [फा० रवाही] १. इच्छा रखनेवाला । इच्छुक । पाहने. २.सुनी। सनकी। वहमी। वाला । अनुरागी। प्रेमी। स्यालोर-वि० [हिं० खेल] किसी प्रकार का मेल या कौतुक करने. स्वाहिर - संद्या स्त्री० [फा० स्वाहिर] बहन । भगिनी। ' वाला । उ०-व्याली कपाली है याली चहू दिसि भाग के यो०- रबाहिरजादा...-भानेज । भानजा। . टाटिन के परदा है1 -तुलसी (शब्द॰) । ख्वाहिश-मंशा को [फा० रयाहिा ] [वि० एवाहिनमद] इच्छा। | खिप्टान-मंदा हमीप्ट ईसाई। मिस्ताना अभिलाया। प्राकक्षिा। 'हिप्टीय- वि० [अ० प्राइस्ट] १.ईसाई । २. ईसा संबंधी । ईसाई क्रि० प्र०- करना ।—रखना ।-होना। ख्वाहिशमंद-वि०-[फा० रयाहिशमंद) व्याहिम रखनेवाला। खोप्ट-संशा पुं० [अं० शाइस्ट] [वि. छिप्टीमा हजरत ईसामसीह । इनछुक । माकांक्षी। | गौर-जीदगीता वाइगिल ! वेतर-संहा प्रदेश०] गोफना । लशंस।-(लय)। .. " धर्म संबधी।