पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१०२

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देखसा- ११७८ विशेष-इसकी बेल प्रायः जंगलों और झाड़ियों में प्रापसे अाप खेटको'-संज्ञा पुं० [सं०] भड्डरी। भडेरिया । भढर । उ०-कोई | उगती है। यह बेल कुंदरू की वेल : के समान होती है और . पूछे चेटकीन कोई. पूछे खेटकीन कोई नैष्ठिकिन पूछ कोई पूछ इसमें पीले फूल लगते हैं । इसका कच्चा फल हरा होता है और काग तें।-रघुराज (शब्द०)। पकने पर लाल हो जाता है। इसका स्वाद करने से मिलता खेटकी- संवा पुं० [सं०. पावेटकी] १. शिकारी। अंहेरी। २. .. जुलता होता है. और इसके ऊपरी भाग में मोटे, कड़े काटे या माना और इसके ऊपरी भाग में मोहे, कडे काट या ... वधिक । ... . रोएँ होते हैं। बंधक में इसे चरपरा, गरम, पित्त, वात और खेटितान-संज्ञा पुं० [सं०] गीत वाद्य के द्वारा स्वामी को जगाने. विप का नायक, दीपन और रुचिकारक कहा है। और कुष्ठ, .. वाला-वैतालिक । क्षारण बंदीजन [को०] 1 .. अरुचि, खाँसो और ज्वर को दूर करनेवाला माना है। इसके खंटिताल-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'खेटितान'.. पत्ते वीर्यवर्धक, त्रिदोषनाशक और रुचिकारक होते हैं तथा खेटी'--वि० [सं० खेटिन] चरित्रहीन । कामी । | कृमि, क्षय, हिचकी और ववासीर को दूर करते हैं। खटी-संघा पुं० [सं०] १..तालिफ। चारण । २. नागरिक। खेखसा--संशा धुं० [देश॰] दे॰ 'खकक्षा'। ... ...... . नगरवासी [को०] 1 .. सेवर-वि० पुं० [सं०] [वि० .. की खेचरी]. आकाशचारी । खड-सका पु० [सं०] छोटा गाव । खेट। खेटक [को०] 1 .. खेचर--संज्ञा पुं० [सं०] १.वह जो पासमान में चले । प्राकाशचारी। खंडा-संशा पुं० [सं० खेटक] छोटा गांव। २. सूर्य चंद्रादि ग्रह। ३. तारागण। ४.वायू । ५. देवता। यो०-खेड़ापति । ६.विमान। ७.पक्षी। ८. बादल. .भून प्रेत।१०. मुहा०-खेड़े की दूब-अत्यंत बलहीन । दुर्घल या तुच्छ । उ०- ... मा . बासर .शिवा १३.पारा १४ नंदनंदन ले गए हमारी सब बकुल की कब । सुरश्याम कसीस । तूदिया।... , .... ..... तजि और सूझ ज्यों खेड़े की दूब ।-सूर (शब्द०)1. ...... खेचरान्न-मंचा पुं० [सं०] खिचड़ी। ..... . .. ... खेड़ा-संचा पुं० [देश॰] कई प्रकार का मिला हुया रद्दी और सस्ता खेचरी-संज्ञा स्त्री० [सं० ) १. दुर्गा का एक नाम । २. अाकाश अनाज, जो प्रायः पालतू चिड़ियों विशेषतः कबूतरों को । चारिणी स्त्री । परी । ३. आसमान में उड़ने की विद्या या खिलाया जाता है. करकर ।। | ... शक्ति (को०)। . ... .... .. खेड़ापति--संज्ञा पुं० [हिं० खेड़ा+सं० पति] १ गाँव का मुखिया। खंचरी गुटिका-संजा श्री[सं०1 तंत्र के अनुसार एक प्रकार की ५.गांव का पुरोहिता . I..योगसिद्ध गोली जिसके मुह में रखने से प्राकाश में उड़ने की खंडो-संथा श्री [देश॰] १.एक प्रकार का देशी लोहा। ।.. शक्ति या जाती है। विशेप-इसके बने हुए हथियार बहुत तेज होते हैं यह एक 'खेचरी मुद्रा-संज्ञा ली [सं०] १. योगसाधन को एक मुद्रा। प्रकार फौलाद है और नेपाल में बहुतायत से बनता है। 1. विशेप-योगी इस मुद्रा में जवान को उलटकर ताल से लगाते ... इसे कहीं कहीं भरकुटिया लोहा भी कहते हैं। .. हैं और दृष्टि को दोनों भौंहों के बीच : मस्तक पर लगाते हैं। २.वह मांसखंड जो जरायुज जीवों के बच्चों की नाल के दूसरे इस स्थित में चित और जीभ दोनों ही प्रकाश में स्थित छोर में लगा रहता है। । रहते हैं, इसी लिये इसे 'खेचरी' मुंद्रा कहते हैं । इसके साधन खेड़ा-संशा पुं० [फा० खैल या हि० खेड़ा] समूह । जमात । . से मनुष्य को किसी प्रकार का रोग नहीं होता। । जैसे-साधुओं का खेढ़ा ... |... २. तंत्र के अनुसार एक प्रकार की मुद्रा जिसमें दोनों हाथों को खेढ़ी-संज्ञा स्त्री० [देश॰] दे० 'सेड़ी', एक दूसरे पर लपेट लेते हैं। खेत-संझा पुं० [सं० क्षेत्र] २. वह भूमिखंड जो जोतन, बोने और खेचरोलम-संशा पुं० [सं०] सूर्य (को०)। । अनाज ग्रादि की फसल उत्पन्न करने के योग्य हो। जोतने | खेजड़ी-संक्षान्त्री० देशाशमी का वक्ष।' . . बौने की जमीन । . .. खेट-संशा पुं० [सं०] १. वेतिहरों का गांव । खेड़ा। खेरा। २. क्रि० प्र०--जोतना ।-निराना । बोना। .. । घास । ३. बारहों ग्रह । ४. घोड़ा। ५. मगया । शिकार। ... मुहा०-खेत कमाना-खाद आदि डालकर खेत को उपजाऊ | आखेट । ६. कफ । ७. ढाल । .सिपर । ८ लाठी। छदी।. .. इनाना । बेत करना = (१) समथ ने फरना । उ०-सौखि के' चमड़ा। १०. एक प्रकार का अस्त्र । ११. तृण । तिनका!: खेत के वांघि सेतु करि उतरिवो उदधि न बोहित चहियो।- | ' .. १२. वलराम की गदा (को०)...... . तुलसी (शब्द०) उदय के समय चंद्रमा का पहले । विशेप-समास के अंत में प्राने पर यह शब्द सदोपता, क्षुद्रता: पहल प्रकाश फैलाना। खेत काटना%खेत में उपभी हुई फसल . . भाग्यहीनता तथा ह्रास प्रादि अर्थ देता है। जैसे,-नगर-" , . काटना । खेत रखना = खेत की रखवाली करना। उ०- | खेटम्' अर्थात् प्रमागा नगर, इंद्र नगर । ...::.:. राखति खेत खरी खरी खरे उरोजन वाल।-बिहारी खेटक-संचा पुं० [सं०] १.खेड़ा। गाँव । २. सितारा । तारा ! ३... . - (शब्द०)। .... . .. ... ..., |" बलदेव जी की गदा। ४. ढाल.. साठी....... ..२.खेत में खड़ी हुई फसल । . . . . . . . । खेटकी --संवा पुं० [सं० माखेटन शिपार । मृगया है कि ४०-चाटना जाता। .....