हैं; जैसे, 'दूध' से 'दूधवाला’, ‘दुधार’ ‘दूधिया', इत्यादि । कभी कभी दो या अधिक शब्दों के मेल से एक नया शब्द' बनता है; जैसे, गंगा-जल, चौकोन, रामपुर, त्रिकालदर्शी, इत्यादि ।
एक शब्द से दूसरा नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को व्युत्प-त्ति कहते हैं ।
९३--वाक्य में, प्रयोग के अनुसार, शब्दों के आठ भेद होते हैं-
( १ )वस्तुओं के नाम बतानेवाले शब्द .... संज्ञा ।
(२) वस्तुओं के विषय में विधान करनेवाले शब्द..... क्रिया ।
( ३ )वस्तुओं की विशेषता बतानेवाले शब्द..... विशेषण ।
( ४ ) विधान करनेवाले शब्दों की विशेषता बतानेवाले शब्द..... क्रिया-विशेषण ।
(५) संज्ञा के बदले आनेवाले शब्द... सर्वनाम ।
( ६ ) क्रिया से नामार्थक शब्दों का संबंध सूचित करनेवाले शब्द...... संबंध-सूचक ।
(७) दो शब्दों वा वाक्यों को मिलानेवाले शब्द...... समुच्चय-बोधक ।
(८) मनोविकार 'सूचित करनेवाले शब्दः... विस्मयादि-बोधक ।
( क ) नीचे लिखे वाक्यों में आठों' शब्द-भेदों के उदाहरण
दिये जाते हैं--
अरे ! सूरज डूब गया और तुम अभी इसी गाँव के पास फिर रहे हो ।
अरे ।--विस्मयादि-बोधक है। यह शब्द केवल मनोविकार सूचित करता है। यदि हम इस शब्द को वाक्य से निकाल दे तो वाक्य के अर्थ में कुछ भी अंतर न पड़ेगा ।
सूरज-संज्ञा है; क्योंकि यह शब्द एक वस्तु का नाम सूचित करता है।