निः + संदेह= निःसंदेह वा निस्संदेह ।
८०---विसर्ग के आगे क, ख वा प, फ आवे तो विसर्ग का कोई विकार नहीं होता ; जैसे-
रजः + कण = रजः कण, पयः+पान = पयः पान (हिं०-पयपान)।
(अ) यदि विसर्ग के पूर्व इ वा उ हो तो क, ख वा प, फ के पहले विसर्ग के बदले ष् होता है, जैसे-
निः +कपट= निष्कपट ; दुः+कर्म = दुष्कर्म ।
निः = फल =निष्फल, दु. + प्रकृति = दुष्प्रकृति ।
अपवाद-दुः+ ख= दु.ख, निः + पक्ष = निःपक्ष वा निष्पक्ष ।
(आ) कुछ शब्दों में विसर्ग के बदले स् आता है, जैसे--
नम + कार=नमस्कार, पुरः + कार पुरस्काए ।
भा. + कर = भास्कर, भा’ + पति= भास्पति ।
८१—यदि विसर्ग के पूर्व अ हो और आगे घोप-व्यंजन हो तो अ और विसर्ग ( अ ) के बदले ओ हो जाता है, जैसे-
अधः + गति = अधोगति, मन’ + योग= मनोयोग । तेज' + राशि= तेजोराशि , वयः +वृद्ध= वयोवृद्ध ।
[ सूचना-वनोवास और मनोकामना शब्द अशुद्ध हैं।
(अ) यदि विसर्ग के पूर्व अ हो और आगे भी अ हो तो ओ के पश्चात् दूसरे अ का लोप हो जाता है और उसके बदले लुप्त अकार का चिन्ह ऽ कर देते हैं ( ६६ वा अंक ), जैसे-
प्रथम' +अध्याय-प्रथमोऽध्याय ।
मनः + अनुसार= मनोऽनुसार।
८२-यदि विसर्ग के पहले अ, आ को छोड़कर और कोई स्वर हो और आगे कोई घोष-वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान में र् होता है; जैसे---
नि, अशा =निराशा, दुः+ उपयोग= दुरुपयोग ।