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कर्त्ता—स्त्रीलिंग।
पुरुष एकवचन पुरुष बहुवचन
पावति हौं १—३ पावति हैं
२—३ पावति है पावति हौ

अपूर्ण भूत-काल।
कर्त्ता—पुल्लिंग

पावत रह्यों १—३ पावत रहे
२—३ पावत रह्यो। पावत रहे—रहौ

कर्त्ता—स्त्रीलिंग।

१—३ पावत रही १—३ पावत रहीं

सामान्य भूत-काल।
कर्म—पुल्लिंग

१—३ पायौ १—३ पाये

कर्म—स्त्रीलिंग।

१—३ पाई १—३ पाई

[सू॰—सामान्य भूतकाल तथा इस वर्ग के अन्य कालों में सकर्मक क्रिया की काल-रचना अकर्मक क्रिया के समान होती है। अवशिष्ट काल ऊपर के आदर्श पर बन सकते है।]

अव्यय।

१०—अव्ययों की वाक्य-रचना में गद्य और पद्य की भाषाओं में विशेष अंतर नहीं है; पर पिछली भाषा में इन शब्दों के प्रांतिक रूपों का ही प्रचार होता है, जिनके कुछ उदाहरण ये हैं—

क्रिया-विशेषण।

स्थान-वाचक—इहाँ, इत, इतै, ह्याँ, तहाँ, तित, तितै, उहाँ, तहँ, तहँवाँ, कहाँ, कित, कितै, कहँ, कहँवा, जहाँ, जित, जितै, जहँ, जहँवा।