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अरबवाले अभी तक “हिन्दसा” ही अंक से। उनके “सर" में चोट लगी है।

(च) पुस्तक, समाचार-पत्र, लेख, चित्र, मूर्त्ति और पदवी के नाम में तथा लेखक के उपनाम और वस्तु के व्यक्तिवाचक नाम में; जैसे, कालाकॉकर से “सम्राट्" नाम का जो साप्ताहिक पत्र निकलता था, उसका इन्होंने दो मास तक संपादन किया। इसके पुराने अंकों में “परसन" नाम के एक लेखक के लेख बहुत ही हास्यपूर्ण होते थे। बंबई में “सरदार-गृह" नाम का एक बड़ा विश्रान्ति-गृह है।

[सू०―(१) अक्षर, शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य अप्रधान हो या अवतरणचिह्नों से घिरे हुए वाक्य के भीतर भी इन चिह्नो का प्रयेाजन हो तो इकहरे अवतरण-चिह्नो का उपयोग किया जाता है; जैसे, “इस पुस्तक का नाम हिंदी में ‘आर्या-समाचार' छपता है”। “बच्चे माँ को ‘मा' और पानी को ‘पा’ आदि कहते है।”

(२) जब अवतरण-चिह्नों का उपयेाग ऐसे लेख में किया जाता है, जो कई पैरो में विभक्त है, तब ये चिह्न प्रत्येक पैरे के आदि में और अन्तिम अनुच्छेद के आदि-अंत में लिखे जाते है।]

७४५―पूर्वोक्त चिह्नों के सिवा नीचे लिखे चिह्न भी भाषा-रचना में प्रयुक्त होते हैं―

(१) वर्गाकार केष्ठक [ ]
(२) सर्पाकार केतुक { }
(३) रेखा
(४) अपूर्णता-सूचक × × ×
(५) हंस-पद ^
(६) टीका-सूचक *, +, ‡, ॥
(७) संकेत
(८) पुनरुक्ति-सूचक